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चुनावी भागमभाग के पहले BJP नेताओं ने सुनी तेनालीराम की कहानी, मन की बात कार्यक्रम को सुना

चुनावी भागमभाग के पहले BJP नेताओं ने सुनी तेनालीराम की कहानी, मन की बात कार्यक्रम को सुना

27-Sep-2020 11:20 AM

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PATNA : बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद अब नेताओं के लिए भागमभाग की शुरुआत होने वाली है. अगले डेढ़ महीने का वक्त बिहार में सभी राजनीतिक दलों के लिए आपाधापी वाला होगा. खासतौर पर बीजेपी नेताओं का शिड्यूल बेहद टाइट होने वाला है. लेकिन चुनावी भागम भाग के पहले बिहार बीजेपी के नेताओं ने आज रिलैक्स होकर तेनालीराम की कहानी सुनी.

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम को सुनने के लिए बिहार बीजेपी कार्यालय में प्रदेश के बड़े नेताओं का जुटान हुआ. प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल के साथ-साथ डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, मंत्री नंदकिशोर यादव ,मंगल पांडे समेत अन्य नेता बीजेपी कार्यालय पहुंचे. प्रधानमंत्री ने आज मन की बात कार्यक्रम में स्टोरी टेलिंग विषय को रखा मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने एक स्टोरी टेलर से तेनालीराम की कहानी भी सुनी. प्रदेश कार्यालय में बैठे बीजेपी नेता भी तेनालीराम की कहानी सुनते रहे. 


पीएम मोदी ने हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियां सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं. कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं. कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती हैं. मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक के रूप में रहा. घुमंत ही मेरी जिंदगी थी. हर दिन नया गांव, नए लोग, नए परिवार. भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-कोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है. हमारे यहां कथा की परंपरा रही है. ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है.


पीएम मोदी ने कहा कि मैं कथा सुनाने वाले सभी से आग्रह करूंगा कि क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं. विशेषकर, 1857 से 1947 तक, हर छोटी-मोटी घटना से, अब हमारी नयी पीढ़ी को कथाओं के द्वारा परिचित करा सकते हैं. हमारे यहां कहा जाता है, जो जमीन से जितना जुड़ा होता है , वो बड़े से बड़े तूफानों में भी अडिग रहता है. कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण है.