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BIHAR: मिट गया माथे पर लगा कलंक: पॉक्सो एक्ट में बुरी तरह से फंस चुके केशव को मिला नया जीवन दान

पॉक्सो विशेष कोर्ट-प्रथम की अदालत ने 10 साल पुराने मामले में मुजफ्फरपुर जेल में बंद आरोपी केशव राय को बाईज्जत रिहा कर दिया।

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14-Jun-2025 08:25 PM

By First Bihar

MUZAFFARPUR: पॉक्सो विशेष कोर्ट-प्रथम की अदालत ने 10 साल पुराने मामले में  मुजफ्फरपुर जेल में बंद आरोपी केशव राय को बाईज्जत रिहा कर दिया। पूरा मामला यह था की जिले के काजी मोहम्मदपुर थाना क्षेत्र के रेलवे कॉलोनी,चंद्रलोक चौक के पास 28 फरवरी 2015 की रात्रि करीब 8:00 बजे शौच करने गई एक नाबालिग बच्ची के साथ एक टैंकर के चालक ने कुछ गलत करने का प्रयास किया था लेकिन लोगों के जुट जाने के बाद वह चालक उस बच्ची के साथ कुछ गलत नहीं कर पाया। इस मामले को लेकर काजी मोहमदपुर थाना में एक प्राथमिकी भी दर्ज की गयी थी।


टैंकर के चालक को गिरफ्तार करके जेल भी भेज दिया गया और बाद में पता चला कि उस टैंकर के खलासी बेगूसराय निवासी केशव राय को भी अभियुक्त बनाया गया हैं। केशव राय उस टैंकर का खलासी था, घटना वाले दिन से तीन चार दिन पूर्व से ही वह बुखार से पीड़ित था जिस कारण वह दवा खाकर टैंकर में ही सो गया था। घटना की उसे कोई जानकारी नहीं थी।जैसे ही उसे मुकदमे की जानकारी दस वर्षों के बाद मिली तो उसका पूरा परिवार टूट चूका था। केशव अत्यंत ही गरीब और निर्धन परिवार का लड़का था जो मुकदमा लड़ पाने में बिल्कुल ही असक्षम था।


उसे मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा के बारे में जानकारी मिली तो वह सीधे अधिवक्ता एस.के.झा से मिला और सारी बातों को बताया। उसके बाद मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा ने उसकी ओर से पैरवी करना शुरू कर दिया। मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के. झा ने जोरदार बहस शुरू किया और सारे तथ्यो को कोर्ट के सामने रखा, उसके बाद कोर्ट ने आरोपी केशव राय को बाईज्जत रिहा कर दिया।अब केशव राय कलंक से मुक्त हो चुका हैं, जैसे ही उसे जेल से रिहा किया गया उसके बाद सीधे वह अपने अधिवक्ता के पास पहुँचा और अधिवक्ता को पैर छू कर प्रणाम किया और अधिवक्ता एस.के. झा ने उसे सीने से लगा लिया। 


केशव ने अपने अधिवक्ता से वादा किया की अब वह भी समाज में गरीबों की मदद करेगा और अब वह अपना घर भी बसायेगा, उसके बाद केशव अपने घर के लिए निकल पड़ा।मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा ने बताया की आरोपी केशव राय काफ़ी गरीब परिवार का लड़का था उसे देखने के लिए परिजन भी कोर्ट तक नहीं पहुँचते थे।केशव ने बताया की मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा के बदौलत मुझे नई जिंदगी मिली हैं, मैं उम्मीद छोड़ चुका था। मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा ने जोर देकर कहा की सत्य परेशान हो सकता हैं लेकिन पराजित नहीं हो सकता हैं। यह कानून में विश्वास रखने वाले लोगों की जीत हैं।