ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar School News: बिहार के सरकारी स्कूल का हेडमास्टर बना हैवान! 8वीं की दो छात्राओं को बेहोश होने तक पीटता रहा; एक्शन लेंगे ACS सिद्धार्थ? Bihar School News: बिहार के सरकारी स्कूल का हेडमास्टर बना हैवान! 8वीं की दो छात्राओं को बेहोश होने तक पीटता रहा; एक्शन लेंगे ACS सिद्धार्थ? Chanakya Niti: युद्ध के समय अपनाएं साम, दाम, दंड, भेद ,जानिए क्यों आज भी प्रासंगिक हैं चाणक्य रणनीतियां India Pakistan War: अपना ही ड्रोन गिराकर उसे चप्पलों से पीटने वाला विश्व का पहला मुल्क बना पाकिस्तान NTPC Kahalgaon: भारत-पाक तनाव के बीच हाई अलर्ट पर भागलपुर NTPC, सघन जांच जारी Shivangi Singh: कौन हैं भारत की एकमात्र महिला राफेल पायलट शिवांगी सिंह? भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच खूब हो रही चर्चा Bihar News: बिहार के इस विश्वविद्यालय में होगी वास्तु शास्त्र की पढ़ाई, वैदिक एस्ट्रोनॉमी समेत ये कोर्स भी होंगे उपलब्ध India-Pakistan Tension: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच चारधाम यात्रा को लेकर बड़ा फैसला, जानिए.. India-Pakistan Tension: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच चारधाम यात्रा को लेकर बड़ा फैसला, जानिए.. Civil Defence Volunteer: युवाओं को देशसेवा और रोजगार दोनों का अवसर,जानिए इतिहास

STET की परीक्षा ली फर्जी केन्द्राधीक्षक ने, पोल खुली तो प्रशासन के उड़ गए तोते

STET की परीक्षा ली फर्जी केन्द्राधीक्षक ने, पोल खुली तो प्रशासन के उड़ गए तोते

05-Feb-2020 01:21 PM

By PRIYARANJAN SINGH

SUPAUL:सुपौल एनएनएस महिला महाविद्यालय परीक्षा केंन्द्र पर  28 जनवरी को बिना बोर्ड औऱ जिला प्रशासन की अनुमति के एसटीईटी की परीक्षा एक फर्जी केंन्द्राधीक्षक द्वारा लेने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिसके बाद प्रशासनिक महकमे में खलबली मच गई है। एसटीईटी की परीक्षा संपन्न कराने में लगे जिला प्रशासन के मजिस्ट्रेट ,शिक्षा विभाग और बिहार बोर्ड से आये पर्यवेक्षक  को भी इस बात की  भनक नही लग सकी कि जिस व्यक्ति ने पूरी परीक्षा प्रक्रिया को संपन्न कराया  वो बिहार बोर्ड द्वारा नियुक्त असली केंन्द्राधीक्षक नही है। कोषागार से दंडाधिकारी ने प्रश्न पत्र और ओएमआर सीट प्राप्त कर जिसके हाथों में  सौंपा  वो असली केंन्द्राधीक्षक नही है। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब परीक्षा के दिन देर रात तक जिला प्रशासन के पास परीक्षा की खैरियत रिपोर्ट नही पहुंची। अब इस मामले को लेकर  परीक्षा रद्द करने औऱ दोषी पर कार्रवाई की भी मांग उठने लगी है।

सुपौल एसएनएस महिला महाविद्यालय में परीक्षा केन्द्र कोड संख्या 6202 पर  28 जनवरी को हुए शिक्षक पात्रता परीक्षा में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। जिसे बिहार बोर्ड ने केंन्द्राधीक्षक बनाकर स्वच्छ परीक्षा लेने की जिम्मेवारी सौंपी थी वो दिल्ली में थे लेकिन इधर महाविद्यालय के एक शिक्षक शैलेंन्द्र कुमार सिंह ने फर्जी केंन्द्राधीक्षक बनकर पूरी परीक्षा प्रक्रिया को संपन्न करा दिया। हद तो तब हो गई कि उस केंन्द्र पर ट्रेजरी से प्रश्न पत्र लेकर देने वाले वरीय अधिकारीयों को भी इस बात की भनक नहीं लगी कि जिसे बिहार विद्यालय परीक्षा समीति ने केंन्द्राधीक्षक नियुक्त किया है ये वो नही हैं।

लेकिन आखिरी ढोल की पोल तो खुलनी ही थी।  परीक्षा संपन्न हो जाने  के बाद जब देर रात तक उस दिन अनुमंडल कार्यालय में खैरियत रिपोर्ट नही पहुंची तब जाकर इस बात का खुलासा हुआ कि जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण एक गैर केंन्द्राधीक्षक ने पूरी परीक्षा प्रक्रिया को संपन्न करा दिया। दरअसल एसएनएस महिला महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य अवनिंदर कुमार सिंह को बिहार बोर्ड ने एसटीईटी की परीक्षा संपन्न कराने के लिए केंन्द्रधीक्षक नियुक्त किया था। लेकिन प्रभारी प्रचार्य सह केंन्द्राधीक्षक दिल्ली में थे और उन्होने इस बात की जानकारी विभाग से छुपा ली औऱ उनकी जगह पर फर्जी केंन्द्राधीक्षक बनकर महाविद्यालय के शिक्षक शैलेंन्द्  कुमार सिंह ने ही प्रचार्य के लेटर पेड का उपयोग कर केंन्द्राधीक्षक की जगह अपना सिग्नेचर कर पूरी परीक्षा प्रक्रिया को संपन्न करा दिया। इसकी प्रशासनिक महकमे को भनक तक नही लगी और उस केंन्द्र पर दंडाधिकारी ,उड़नदस्ता,डीईओ,एसडीओ समेत बिहार बोर्ड के पर्यवेक्षक तक ने परीक्षा के दौरान जांच की और स्वच्छ औऱ निष्पक्ष परीक्षा संपन्न होने की रिपोर्ट भी सौप दी। अब इधर महाविद्यालय के पूर्व प्रचार्य प्रो. निखिलेश कुमार सिंह ने ही इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा कर पूरे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा दी है।

इस पूरे मसले पर फर्जी केन्द्राधीक्षक की भूमिका में सामने आए महाविद्यालय के शिक्षक शैलेन्द्र कुमार सिंह को मामला उजागर होने के बाद मानों सांप सूंघ गया है। अब उन्हे अपनी गलती की अहसास होने लगा है. वहीं इस पूरे मसले में जिला शिक्षा पदाधिकारी अजीबो-गरीब बयान दे रहे हैं उनका कहना है कि परीक्षा तो कोई मनुष्य ही लेता है उन्होनें लिया तो कौन सी गलती कर दी। बहरहाल अब सवाल उठता है कि इतनी चाक-चौबंद व्यवस्था के बाबजूद इतनी बड़ी गलती कैसे हुई, जो कही न कही निष्पक्ष परीक्षा संपन्न कराने के बिहार बोर्ड और जिला प्रशासन के दावे की पोल खोलता दिखता है।