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26-Jun-2025 01:39 PM
By RAKESH
Bihar News: बिहार के भोजपुर जिले में एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसमें दो किशोरियों ने एक-दूसरे से प्रेम विवाह कर लिया। यह घटना न सिर्फ स्थानीय समाज को चौंकाने वाली है। इनमें से एक लड़की, आरती (बदला हुआ नाम), 18 वर्ष की है जबकि दूसरी, ज्योति (बदला हुआ नाम), मात्र 15 वर्ष की है। दोनों एक ही मोहल्ले में रहती हैं और पिछले तीन वर्षों से एक-दूसरे के प्रेम में थीं। परिवार वालों को यह एक सामान्य सहेली जैसा संबंध लगता रहा, लेकिन जब दोनों घर से भाग गईं और गुजरात के राजकोट में एक मंदिर में शादी रचाई, तब सच्चाई सामने आई।
दरअसल, राजकोट पहुंचकर दोनों ने एक मंदिर में शादी की रस्म पूरी की। आरती ने खुद को ‘पति’ की भूमिका में मानते हुए ज्योति की मांग में सिंदूर भरा और लड़कों की तरह बाल कटवाकर एक पुरुष की छवि अपनाई। यह कदम उन्होंने समाज और परिवार की अपेक्षाओं के खिलाफ उठाया, जो परंपरागत लैंगिक भूमिकाओं के अनुसार नहीं था।
राजकोट से भागने के बाद दोनों दिल्ली पहुंचीं और आरती के एक रिश्तेदार के यहां शरण ली। परिवार वालों को यह बात तब पता चली जब आरती ने उन्हें वॉट्सऐप पर एक ऑडियो मैसेज भेजा, जिसमें उसने कहा, “हम अपनी मर्जी से निकले हैं, हमें मत ढूंढो। अगर हमें कुछ हुआ, तो हमारे घरवाले जिम्मेदार होंगे।” इस मैसेज में 'अहमदाबाद' की पृष्ठभूमि में आवाज़ सुनाई दी, जिससे उन्हें लड़कियों की लोकेशन का अनुमान लगाया गया है।
राजकोट में आरती के एक रिश्तेदार को सूचना दी गई और जल्द ही यह जानकारी भोजपुर के परिवार तक पहुंची। डर के चलते दोनों किशोरियां दिल्ली चली गईं और वहां आरती के दूसरे रिश्तेदार के पास रहीं। इसी दौरान रिश्तेदार ने दोनों के परिवारों को जानकारी दी और परिवार वाले दिल्ली पहुंच गए। दिल्ली में दोनों लड़कियों ने परिवार के सामने यह स्वीकार किया कि वे एक-दूसरे से प्रेम करती हैं और साथ रहना चाहती हैं। परिवार ने उन्हें काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों टस से मस नहीं हुईं। इसके बाद उन्हें भोजपुर वापस लाया गया।
भोजपुर लौटने के दो दिन बाद परिवार ने दोनों को नगर थाना पहुंचाया। पुलिस ने चाइल्ड लाइन को सूचित किया, जिसके बाद दोनों की काउंसलिंग की गई। काउंसलिंग में फैसला लिया गया कि वे अपने-अपने परिवारों के साथ रहेंगी। आरती ने उस वक्त कहा कि “अगर हमें जबरदस्ती अलग किया गया, तो हम ज़हर खाकर जान दे देंगे।” 24 जून को फिर से काउंसलिंग हुई, जिसमें फिर से यही निर्णय लिया गया कि लड़कियों को परिवार के साथ ही रहना होगा।
आरती की बहन ने कहा कि वे नहीं चाहतीं कि किसी के खिलाफ कोई केस हो। ज्योति की मां ने आरती पर गंभीर आरोप लगाए, कि वह पहले भी लड़कियों को भगाने जैसी हरकत कर चुकी है और उसका व्यवहार ठीक नहीं है। हालांकि, सामाजिक विशेषज्ञों का मानना है कि LGBTQ+ रिश्तों को लेकर ग्रामीण भारत में अब भी स्वीकार्यता की भारी कमी है। ऐसे मामलों में परिवारों का दबाव और सामाजिक बदनामी के डर से अक्सर लड़कियों को मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
ज्योति अभी नाबालिग है, इसलिए यह मामला बाल विवाह निषेध अधिनियम और POCSO एक्ट के अंतर्गत भी जांच के दायरे में आ सकता है। हालांकि भारत में समलैंगिकता को 2018 में कानूनी मान्यता मिल चुकी है (IPC की धारा 377 हटाए जाने के बाद), लेकिन समलैंगिक विवाह को लेकर अभी स्पष्ट कानून नहीं हैं। नाबालिग होने के कारण यह मामला और भी संवेदनशील हो जाता है। बल्कि देशभर में LGBTQ+ अधिकारों, बाल संरक्षण कानूनों और पारिवारिक संरचनाओं को लेकर गंभीर बहस को जन्म दे रही है। दोनों लड़कियों की सुरक्षा, मानसिक स्थिति और भविष्य को लेकर प्रशासन को बेहद संवेदनशील और सुसंगत तरीके से आगे बढ़ने की जरूरत है।