BIHAR: बंद बोरे में शव मिलने की अफवाह का वैशाली पुलिस ने किया खुलासा, बोरे से निकला दर्जनों मरा हुआ चूहा BIHAR: कंपाउंडर के बेटे ने नीट में 390 रैंक हासिल कर पिता का सपना किया साकार, पहले प्रयास में मिली सफलता बिहार वैश्य महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद कुमार बने धार्मिक न्यास पर्षद के सदस्य, वैश्य समाज के लोगों ने दी बधाई ROHTAS: जेल से छूटकर आने के बाद भाई के जख्म का लिया बदला, चलती बस में आरोपी को मारा चाकू ARRAH: समाजसेवी अजय सिंह ने बखोरापुर में मनाया जन्मदिन, खिलाड़ियों और छात्रों को किया सम्मानित डोमिसाइल नीति पर तेजस्वी यादव और आरजेडी की दोहरी सोच बेनकाब: ऋतुराज सिन्हा भाजपा को चाहिए सिर्फ आपका वोट, सीवान में बोले मुकेश सहनी..आपकी तकलीफों से बीजेपी कोई लेना-देना नहीं How to Become Pilot: 12वीं के बाद पायलट बनने का सपना करें पूरा, जानें... कौन सा कोर्स है जरूरी Bihar News: 19 जून को इस जिले में लगेगा रोजगार कैंप, 8वीं पास से लेकर ITI वालों तक के लिए नौकरी Bihar News: शराब मामले में गिरफ्तार महादलित युवक की जेल में मौत, परिजनों का हंगामा
24-Jun-2020 07:49 AM
By
PATNA : 5 विधान पार्षदों के पाला बदल के साथ आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद छोड़कर दूसरा झटका देने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह पर विरोधियों की नजरें टिक गई हैं। बिहार की सियासत में शह और मात का खेल बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है और ऐसे में रघुवंश प्रसाद सिंह की नाराजगी का फायदा आरजेडी के विरोधी उठाना चाहते हैं। रघुवंश प्रसाद सिंह फिलहाल कोरोना से पीड़ित हैं और पटना एम्स में अपना इलाज करा रहे हैं। आरजेडी में रामा सिंह की एंट्री की खबरों को देखते हुए रघुवंश बाबू ने पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि रघुवंश बाबू ने कहा है कि वह कोरोना से उबरने के बाद इस मसले पर बातचीत करेंगे लेकिन जानकार बता रहे हैं कि रघुवंश बाबू रामा सिंह को लेकर तेजस्वी यादव के फैसले से आहत हैं।
PM मोदी भी हैं कायल
आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के काजल उनके विरोधी भी रहे हैं। यूपीए सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रह चुके रघुवंश बाबू ने ग्रामीण स्तर पर केंद्रीय योजनाओं को जिस तरह से एक्टिवेट किया था वह गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी को भी बेहद पसंद आया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी दौर से रघुवंश बाबू की कार्यशैली के कायल हैं। जानकार बताते हैं कि गुजरात के लिए जब भी यूपीए सरकार से किसी तरह की आवश्यकता हुई तब मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने बेहिचक रघुवंश बाबू से बातचीत की। दोनों नेताओं के बीच विकास योजनाओं को लेकर अच्छी बॉन्डिंग भी रही और यही वजह है कि रघुवंश बाबू के मंत्रालय ने गुजरात में सबसे ज्यादा काम किया। सूत्रों की माने तो रघुवंश बाबू की नाराजगी को लेकर बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में है। बीजेपी इन संभावनाओं पर नजर बनाए हुए हैं कि क्या रघुवंश बाबू वाकई आरजेडी छोड़कर बाहर आते हैं। अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी अपनी अगली रणनीति का खुलासा करेगी।
JDU का भी ऑफर
उधर जनता दल यूनाइटेड को भी रघुवंश प्रसाद सिंह से कोई गुरेज नहीं है। 5 विधान पार्षदों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कराने पहुंचे जेडीयू सांसद ललन सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि आरजेडी में वरिष्ठ नेताओं की इज्जत नहीं है। ललन सिंह पहले ही कह चुके हैं कि अगर रघुवंश बाबू आरजेडी छोड़कर जनता दल यूनाइटेड में आना चाहते हैं तो हम इस पर विचार करेंगे। रघुवंश प्रसाद सिंह की पहचान एक मुखर राजनेता के तौर पर रही है। राष्ट्रीय जनता दल में होते हुए भी वह तमाम मुद्दों पर बेबाक तरीके से अपनी राय जाहिर करते हैं। नीतीश सरकार की कार्यशैली से लेकर केंद्र में मोदी सरकार के वर्किंग स्टाइल को लेकर भी वह सवाल उठाते रहे हैं लेकिन इस सबके बावजूद रघुवंश बाबू का कद बेहद बड़ा है और साथ ही साथ उनका अनुभव किसी भी राजनीतिक दल के लिए फायदेमंद सौदा हो सकता है। रघुवंश बाबू की नाराजगी से लालू भी परेशान हैं। एक तरफ लालू यादव और रांची के रिम्स में एडमिट है तो वहीं रघुवंश बाबू पटना के एम्स में। दोनों नेताओं के बीच दूरी है लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि लालू का साथ छोड़ने के पहले रघुवंश बाबू सौ दफे सोचेंगे।