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24-Aug-2021 02:00 PM
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PATNA : बिहार में पूर्ण रूप से शराबबंदी है. लेकिन इसके बावजूद भी लोग अपनी बुरी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं. शराबबंदी कानून तोड़ने के आरोप में कई दिनों से जेल में बंद नीतीश कुमार को जज ने रिहा करने का फैसला सुनाया है. लेकिन जज ने जमानत के साथ जो शर्त रखी है, उसकी काफी चर्चा हो रही है. ख़ास शर्त ये है कि नीतीश कुमार को तीन महीने तक 5 गरीब बच्चों को पढ़ाना होगा.
यह वाकया बिहार के मधुबनी जिले का है. यहां झंझारपुर कोर्ट ने परंपरा से हटकर एक अजीबोगरीब फैसला सुनाया है. इस यूनिक फैसले की काफी तारीफ हो रही है. झंझारपुर कोर्ट के एडीजे अविनाश कुमार (प्रथम) की अदालत ने सोमवार को नीतीश कुमार नाम के एक शराब तस्कर को जमानत दे दी. नीतीश कई दिनों से शराब तस्करी के मामले में जेल में बंद है.
एडीजे अविनाश कुमार (प्रथम) की अदालत ने नीतीश को जमानत देने के साथ-साथ एक शर्त रखी है. कोर्ट ने कहा है कि नीतीश शराबबंदी कानून का पूर्ण रूप से पालन करेगा और उसकी दूसरी शर्त ये है कि नीतीश 5 गरीब बच्चों को तीन महीनों तक नि:शुल्क शिक्षा देगा. यानी कि इन बच्चों के पढाई-लिखाई की जिम्मेदारी नीतीश की होगी. उनका खर्च नीतीश ही उठाएगा.
तीन महीना पूरा होने के बाद नीतीश बच्चों के परिवारों से लिखित प्रमाण-पत्र लेकर अदालत में जमा करेगा. इस प्रमाणपत्र में लिखा होगा कि नीतीश ने इन परिवारों के बच्चों को तीन महीनों तक फ्री शिक्षा ग्रहण करवाई है.
दरअसल पूरा मामला ये है कि पिछले साल मधुबनी के झंझारपुर के मधेपुर थाना में 16 नवंबर 2020 को चौकीदार जलधारी पासवान के आवेदन पर शराबबंदी कानून के उल्लंघन के मामले में केस दर्ज हुआ था. इसमें मधेपुर थाना क्षेत्र निवासी नीतीश कुमार यादव समेत कई अन्य लोगों को आरोपित किया गया था. एफआईआर के मुताबिक सभी आरोपी पचही गांव के पास स्कार्पियो और बाइक से शराब की तस्करी कर रहे थे. गांववालों की सूचना पर चौकीदार जलधारी पासवान ने अपने साथी चौकीदार के साथ शराब के धंधेबाजों को रोकने की कोशिश की, लेकिन सभी आरोपी हवाई फायरिंग करते हुए मौके से फरार हो गए थे.
इस केस को लेकर आरोपी नीतीश कुमार यादव साल 2020 के 16 नवंबर से जेल में बंद है. बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने एडीजे कोर्ट में नीतीश की बेल के लिए अर्जी दी थी. इस बेल अर्जी पर एडीजे अविनाश कुमार प्रथम ने आरोपी के समक्ष शर्त रखी कि उसको भविष्य में शराब बंदी कानून का पालन करना होगा और तीन महीनों तक गरीब परिवारों के पांच बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दिलानी होगी. इसी शर्त पर एडीजे अविनाश कुमार प्रथम ने आरोपी की बेल अर्जी स्वीकार की.