ISM पटना में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 'सस्टेनोवेट 2025' का भव्य शुभारंभ, देश-विदेश से जुटे शोधकर्ता दृष्टिपुंज आई हॉस्पिटल में कंटूरा विज़न लेसिक की बड़ी उपलब्धि: 300 सफल ऑपरेशन पूरे Bihar Crime News: अदालत में सबूत पेश नहीं कर सकी बिहार पुलिस, कोर्ट ने SHO समेत 7 पुलिसकर्मियों के खिलाफ जारी कर दिया अरेस्ट वारंट Bihar Crime News: अदालत में सबूत पेश नहीं कर सकी बिहार पुलिस, कोर्ट ने SHO समेत 7 पुलिसकर्मियों के खिलाफ जारी कर दिया अरेस्ट वारंट अरवल में करंट लगने से युवक की मौत, जर्जर तार बना हादसे की वजह, बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप Bihar Politics: बाल-बाल बचे सांसद पप्पू यादव, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के दौरान हुआ हादसा Bihar Politics: ‘लालू परिवार बिहार की बर्बादी का जिम्मेदार’ युवा चेतना सुप्रीमो रोहित सिंह का तेजस्वी पर बड़ा हमला Bihar Politics: ‘लालू परिवार बिहार की बर्बादी का जिम्मेदार’ युवा चेतना सुप्रीमो रोहित सिंह का तेजस्वी पर बड़ा हमला Bihar News: बिहार में यहां एक ही घर से निकले 60 किंग कोबरा, परिवार ने त्यागा मकान; गाँव वालों ने बदला रास्ता BIHAR NEWS:चोरी के शक में युवक की बेरहमी से पिटाई, भीड़ ने चप्पल पर चटवाया थूक
19-May-2025 06:35 PM
By First Bihar
Vat Savitri Vrat 2025: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत रखेंगी। इस वर्ष यह व्रत सोमवार, 26 मई 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन सोमवती अमावस्या भी है, जो इस व्रत को और भी अधिक फलदायी बना देती है। यह व्रत विशेष रूप से पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और वैवाहिक सुख के लिए किया जाता है।
अमावस्या तिथि 26 मई, सोमवार को दोपहर 2:11 बजे से शुरू होकर 27 मई मंगलवार को सुबह 8:31 बजे तक रहेगी। पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त: 26 मई को प्रातःकाल से सूर्यास्त तक (विशेष रूप से दोपहर में) ज्योतिषाचार्य ने बताया कि व्रत करने वाली महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं। वे विभिन्न पकवानों, मिठाइयों और फलों से डलिया भरकर वट वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना करती हैं। इस दौरान महिलाएं कच्चे सूत (धागे) से वट वृक्ष की तीन, पांच या सात परिक्रमा करते हुए वृक्ष को बांधती हैं।
वट सावित्री व्रत में सुहाग के 16 श्रृंगार का विशेष महत्व होता है। महिलाएं श्रृंगार कर नए वस्त्र पहनती हैं और पूजा के लिए निकलती हैं। वे अपने सिर पर मिट्टी का जल भरा घड़ा लेकर वट वृक्ष तक जाती हैं और गीतों के माध्यम से इस पर्व की महत्ता को व्यक्त करती हैं। पहली बार व्रत करने वाली नवविवाहिताओं को विशेष पूजा करनी होती है। मान्यता है कि वे 14 बांस के पंखों से व्रत करती हैं—जिसमें मायके और ससुराल की ओर से 7-7 पंखे भेजे जाते हैं। व्रत के दिन वे इन पंखों पर फल, पकवान, श्रृंगार की वस्तुएं रखकर पूजा करती हैं।
पूजन के दौरान की जाने वाली विशेष क्रिया है कि वट वृक्ष को जल अर्पित करना, सूत से वृक्ष की परिक्रमा करना, व्रत कथा सुनना और सुनाना, चने के सात दानों को निगलना और इसके महिलाएं मंगल चार यानि गीत आदि भी गाती है।
वहीं, वट सावित्री व्रत को लेकर बाजारों में भी चहल-पहल बढ़ गई है। महिलाएं बांस के पंखे, डलिया, सिंदूर, चूड़ी, बिंदी और पूजा सामग्री की खरीदारी में जुटी हैं। पंडितों के अनुसार, यह व्रत धार्मिक आस्था के साथ सामाजिक एकता और पारिवारिक सौहार्द का भी प्रतीक है। यह व्रत सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा पर आधारित है, जिसमें सावित्री ने अपने तप, व्रत और श्रद्धा से यमराज से अपने पति सत्यवान का जीवन वापस ले लिया था। इसलिए इस दिन की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
वट सावित्री व्रत हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत मुख्यतः पति की लंबी उम्र, सुखी दांपत्य जीवन और संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं, क्योंकि यह वृक्ष दीर्घायु और स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है।