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Life Style: अधिक देर तक बैठकर काम करने से दिमाग में हो सकती है सिकुड़न? जानिए...सही जवाब

Life Style: दिमाग शरीर का सबसे अहम अंग है और अक्सर लोगों को बैठकर काम करना अच्छा लगता है, लेकिन अधिक समय तक बैठकर काम करने से दिमाग में सिकुड़न हो सकता है. जानें...

Life Style

19-May-2025 07:32 PM

By First Bihar

Life Style: दिमाग शरीर का सबसे अहम अंग है, क्योंकि यह न केवल शरीर के सभी अंगों को नियंत्रित करता है, बल्कि यह हमारी सोच, समझ, याददाश्त, और भावनाओं का केंद्र भी होता है। इसलिए दिमाग की सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। हालांकि, हम अक्सर शारीरिक गतिविधियों के दौरान अपनी सेहत का ख्याल रखते हैं। जैसे कि ऑफिस की सीढ़ियां चढ़ना, पैदल चलना और व्यायाम करना लेकिन अगर हम लंबे समय तक बैठे रहते हैं, तो इसका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है। नई रिसर्च से पता चलता है कि अत्यधिक बैठने से मेमोरी और निर्णय लेने से जुड़े दिमाग के हिस्सों में सिकुड़न हो सकती है। इसके लिए बैठने के समय को कम करना आवश्यक है।


वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के मेमोरी और अल्ज़ाइमर सेंटर के शोधकर्ताओं ने 7 सालों तक 404 वृद्धों (औसत आयु 71) के एक्टिविटी लेवल पर नजर रखी। इन वृद्धों में से अधिकतर औसतन प्रतिदिन 13 घंटे बैठते थे। यह संख्या ट्रेवल, डेस्क जॉब, भोजन और खाली समय के साथ बढ़ जाती थी। रिसर्च से यह निष्कर्ष सामने आया कि लंबे समय तक बैठे रहने से मस्तिष्क पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, चाहे आप नियमित रूप से व्यायाम ही क्यों न करते हों। 7 साल के अध्ययन में पाया गया कि जो लोग अधिक समय तक बैठे रहे, उनमें मस्तिष्क सिकुड़न और मानसिक गिरावट अधिक देखी गई। यह निष्कर्ष इस धारणा को चुनौती देता है कि केवल रोजाना वर्कआउट करने से बैठने के कारण होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।


जो लोग ज्यादा समय तक बैठते थे, उनमें हिप्पोकैम्पल वॉल्यूम (जो कि मस्तिष्क का वह क्षेत्र है, जो याददाश्त और सीखने में अहम भूमिका निभाता है) में तेजी से कमी आई, और यह क्षेत्र अल्ज़ाइमर जैसी मानसिक बीमारियों में सबसे पहले सिकुड़ता है। इसके अलावा, याददाश्त से जुड़े टेस्ट में भी इन लोगों की परफॉर्मेंस खराब रही। पहले की गई रिसर्चों में लंबे समय तक बैठने को हार्ट डिजीज, डायबिटीज और कैंसर से जोड़ा गया था, और अब यह अध्ययन मस्तिष्क की सिकुड़न को भी इनमें जोड़ता है। लंबे समय तक बैठे रहने से मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को नुकसान हो सकता है, सूजन बढ़ सकती है और मस्तिष्क कोशिकाओं के बीच कनेक्शन भी बाधित हो सकते हैं। इससे मानसिक समस्याएं बढ़ सकती हैं और समग्र स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।


आजकल, तकनीक, स्मार्टफोन, एआई और रिमोट से चलने वाली हर चीज ने हमारी जिंदगी को और भी सुविधाजनक बना दिया है, लेकिन इसका नतीजा यह हुआ कि लोग पहले से कहीं अधिक समय बैठकर बिताने लगे हैं। कोविड से पहले औसतन लोग 9 घंटे बैठकर बिताते थे, लेकिन अब यही आंकड़ा 12 घंटे तक पहुंच चुका है। ऐसे में मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बदलावों की आवश्यकता है।


बैठने का समय कम करें: अपनी दिनचर्या में बैठने के समय को कम करने का प्रयास करें। काम के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक लें और कुछ समय के लिए खड़े हो जाएं। खड़े होकर काम करने वाली डेस्क का इस्तेमाल करें: ऑफिस में खड़े होकर काम करने वाली डेस्क का उपयोग करें, जिससे आप लंबे समय तक बैठने से बच सकें। नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियाँ करें, जो हलकी-फुलकी एक्सरसाइज करें, जैसे सैर करना, योग, या कोई अन्य एक्टिविटी जो आपके शरीर और मस्तिष्क को सक्रिय रखे।


टेक्नोलॉजी का संतुलित उपयोग करें: स्मार्टफोन और कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल मस्तिष्क को थका सकता है। कोशिश करें कि इनका उपयोग सीमित करें और इनसे ब्रेक लें। सोशल इंटरएक्शन बढ़ाएं, जिससे दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। अकेले बैठने से बचें और सामाजिक गतिविधियों में भाग लें। यह अध्ययन हमें यह समझाता है कि शारीरिक गतिविधियाँ और व्यायाम केवल शरीर के लिए नहीं, बल्कि मस्तिष्क के लिए भी जरूरी हैं। लंबा समय बैठने से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए हमें अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने की आवश्यकता है। यह कदम न केवल मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करेगा, बल्कि शारीरिक सेहत को भी बेहतर करेगा।