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19-May-2025 10:52 AM
By First Bihar
Spy and Deshdroh: हरियाणा की रहने वाली ज्योति मल्होत्रा, जो सोशल मीडिया पर अपनी खूबसूरती और ट्रैवल व्लॉग्स के लिए जानी जाती थीं, अब जासूसी के गंभीर आरोपों में फंसी हैं। बचपन से ही शाही और विलासिता भरी जिंदगी के सपने देखने वाली ज्योति ने 12वीं के बाद नौकरी करना शुरू किया, ताकि महंगी जिंदगी और विलासिता की चाह पूरी कर सके। कोरोना महामारी के दौरान बेरोजगार होने पर उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल "ट्रैवल विद जो" शुरू किया, जहां उनके वीडियो में पाकिस्तान की सकारात्मक छवि को भी दिखाया गया।
ज्योति की विदेश यात्राओं में पाकिस्तान भी शामिल है, जहां उन्होंने दो बार यात्रा की—एक बार सिख जत्थे के साथ और दूसरी बार करतारपुर साहिब दर्शन के लिए। हालांकि, जांच एजेंसियां उनके सोशल मीडिया नेटवर्क और संपर्कों की गहराई से जांच कर रही हैं, क्योंकि उन्हें पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगा है। Spy यानी जासूस वह व्यक्ति होता है जो देश की गुप्त और संवेदनशील जानकारियां चुपके से इकट्ठा करके किसी दुश्मन देश या एजेंसी को देता है। भारतीय कानूनों में इसे गंभीर अपराध माना गया है।
भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) 2023 के लागू होने के बाद देशद्रोह और जासूसी जैसे अपराधों की परिभाषा और सजा से जुड़े प्रावधानों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। पहले जो प्रावधान भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत आते थे, अब उन्हें BNS के नए ढांचे में समाहित किया गया है।
देशद्रोह यानि (Sedition) जिसे पहले IPC की धारा 124A के तहत परिभाषित किया गया था, अब BNS की धारा 150 में शामिल किया गया है। हालांकि, अब “देशद्रोह” शब्द का प्रत्यक्ष उपयोग नहीं किया गया है, लेकिन इसके स्थान पर “राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ना”, “सशस्त्र विद्रोह”, या “ऐसी गतिविधियों को उकसाना जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता के लिए खतरा हो सकती हैं” जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। इस बदलाव का उद्देश्य यह है कि व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आलोचना के अधिकार की रक्षा करते हुए देश की सुरक्षा से समझौता करने वाली गतिविधियों को कठोरता से नियंत्रित किया जा सके।
देशद्रोह से जुड़े मामलों में अब भी कड़ी सजा का प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को उम्रकैद या कम से कम सात वर्ष की कठोर कैद दी जा सकती है, साथ ही आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है। यह अपराध गैर-जमानती और संज्ञेय माना गया है, यानी बिना वारंट के गिरफ्तारी की जा सकती है।
वहीं, जासूसी यानि Espionage (Spy) से जुड़े अपराधों को भले ही सीधे तौर पर BNS में नहीं जोड़ा गया है, लेकिन ये अब भी अलग कानूनों के तहत गंभीर अपराध माने जाते हैं। 'द ऑफिसियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923' (Official Secrets Act) के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति भारत की गोपनीय या सामरिक जानकारी को दुश्मन देश के साथ साझा करता है, या जानबूझकर संवेदनशील दस्तावेजों की चोरी करता है, तो वह व्यक्ति जासूस माना जाता है।
इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (National Security Act – NSA), 1980 के तहत सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी भी ऐसे व्यक्ति को हिरासत में ले सकती है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जाए। साथ ही, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 भी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों और आतंकी कनेक्शन रखने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अनुमति देता है।
बता दे कि जासूसी करने वालों के लिए सजा बेहद कठोर हो सकती है। दोषी पाए जाने पर आरोपी को आजीवन कारावास या कम से कम 10 साल तक की सजा दी जा सकती है, साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने के लिए विशेष अदालतों में इन मामलों की सुनवाई होती है।
BNS 2023 के तहत लाए गए ये बदलाव यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को किसी भी प्रकार के आंतरिक या बाहरी खतरे से बचाया जा सके, और साथ ही साथ नागरिकों के मौलिक अधिकारों की भी रक्षा हो सके। ये प्रावधान इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी किसी भी गतिविधि पर सख्त रुख अपनाए हुए है।
ज्योति मल्होत्रा से जुड़ा ये मामला सोशल मीडिया की चमक-दमक के पीछे छुपे खतरों और जालसाजी को उजागर करता है। यह हमें सतर्क रहने और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सजग रहने की सीख देता है। ज्योति मल्होत्रा का यह सफर इस बात की गवाही है कि महंगी जिंदगी और चमक-दमक के पीछे छुपी झूठी चमक कई बार इंसान को देशद्रोही बनने पर मजबूर कर देती है। जांच अभी जारी है और जल्द ही इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।