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Bihar Police Encounter Arms : आखिर इस वजह से अपराधियों के सामने नहीं टिक पा रही बिहार पुलिस, पूर्व IPS का चौंकाने वाला खुलासा

Bihar Police Encounter Arms : बिहार में बढ़ते अपराध और पुलिस एनकाउंटर के बीच एक बड़ा सवाल उठ रहा है: क्या बिहार पुलिस के पास अपराधियों से मुकाबला करने के लिए पर्याप्त हथियार हैं?

Bihar Police Encounter Arms

25-Mar-2025 07:36 AM

By First Bihar

Bihar Police Encounter Arms : पिछले 10 दिनों में बिहार पुलिस और एसटीएफ ने मनेर (पटना), बिदूपुर (हाजीपुर), नरपतगंज (अररिया) और नौबतपुर (पटना) में चार बड़े एनकाउंटर किए, जिसमें अपराधी मारे गए, लेकिन पुलिसकर्मी भी घायल हुए। इस बीच, 1994 बैच के पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि बिहार पुलिस आज भी द्वितीय विश्व युद्ध के समय के हथियारों से लैस है, जबकि अपराधियों के पास एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार हैं।


80 साल पुरानी राइफल

अमिताभ कुमार दास ने बताया कि बिहार के ज्यादातर पुलिस स्टेशनों में 303 राइफल (3 नॉट 3) का इस्तेमाल होता है, जो द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के समय का हथियार है। यह राइफल इतनी पुरानी है कि इसमें अक्सर गोली फंस जाती है या चलती ही नहीं। दूसरी ओर, बिहार एसटीएफ और एटीएस के पास कुछ आधुनिक हथियार जैसे इंसास राइफल और एसएलआर हैं। बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) के पास भी इंसास और एसएलआर जैसे हथियार हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। दास ने कहा, "जब तक थानों में तैनात आम पुलिसकर्मियों के पास अत्याधुनिक हथियार नहीं होंगे, अपराधियों से मुकाबला मुश्किल रहेगा।"


एसटीएफ और एटीएस की स्थिति

एसटीएफ और एटीएस के पास कुछ हद तक बेहतर हथियार और संसाधन हैं। उनके पास बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलमेट, नाइट विजन कैमरे और विशेष ट्रेनिंग है। लेकिन दास का कहना है कि यह भी "ऊंट के मुंह में जीरे" के बराबर है। हाल के एनकाउंटर में एसटीएफ ने अपनी तैयारी का परिचय दिया, लेकिन आम पुलिस की स्थिति चिंताजनक है। उदाहरण के लिए, 15 मार्च 2025 को मनेर में हुए एनकाउंटर में एक अपराधी मारा गया, लेकिन दो पुलिसकर्मी भी घायल हो गए, क्योंकि अपराधी के पास एके-47 थी, जबकि पुलिस के पास पुरानी राइफलें थीं।


अपराधियों के पास एके-47 कैसे पहुंची?

अमिताभ कुमार दास ने 1995 के पुरुलिया हथियार कांड का जिक्र करते हुए बताया कि अपराधियों तक एके-47 जैसे हथियार कैसे पहुंचे। 17 दिसंबर 1995 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में एक लातवियाई एंटोनोव एएन-26 विमान ने जालदा, खटंगा, बेलमु और मरमु जैसे गांवों के ऊपर सैकड़ों एके-47 राइफलें, पिस्तौल, एंटी-टैंक ग्रेनेड और रॉकेट लॉन्चर गिराए थे। यह हथियार कांड भारत के इतिहास में सबसे बड़े हथियार तस्करी मामलों में से एक था, जिसका मकसद कथित तौर पर पश्चिम बंगाल में अस्थिरता पैदा करना था। इस घटना के बाद भारी मात्रा में हथियार बिहार के अपराधियों तक पहुंच गए, जिसने उनके हौसले बुलंद कर दिए।  

बिहार में अपराध और हथियारों का गठजोड़

पुरुलिया कांड के बाद से बिहार में अपराधियों के पास अत्याधुनिक हथियारों की मौजूदगी एक बड़ी समस्या रही है। 2023 में बिहार पुलिस ने 1,200 से ज्यादा अवैध हथियार जब्त किए, जिनमें 150 एके-47 और अन्य अत्याधुनिक राइफलें शामिल थीं। इसके अलावा, नेपाल सीमा से हथियारों की तस्करी भी एक बड़ा मुद्दा है। नेपाल के रास्ते चीनी पिस्तौल और राइफलें बिहार में आसानी से पहुंच रही हैं, जिसके लिए खुली सीमा और कमजोर निगरानी जिम्मेदार है। बता दें कि बिहार में अपराध को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को सशक्त बनाना जरूरी है, वरना अपराधी बेखौफ होकर वारदात करते रहेंगे। सरकार को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, ताकि पुलिस और अपराधियों के बीच हथियारों का यह असंतुलन खत्म हो सके।