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24-Aug-2025 12:35 PM
By First Bihar
GST Reforms: भारत में सोना हमेशा से एक महत्वपूर्ण निवेश और आभूषण की Commodity रही है। देश में सोने की मांग लगातार बनी हुई है, खासकर त्योहारों और शादियों के सीजन में। हाल ही में सरकार ने जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) में सुधारों की योजना बनाई है, जिससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि सोने की कीमतों में कमी आ सकती है। लेकिन क्या वाकई जीएसटी सुधार से आम आदमी को राहत मिलेगी या फिर बजट और महंगाई की चुनौतियां बढ़ जाएंगी, यह बड़ा सवाल है।
वर्तमान में सोने पर 3% जीएसटी लागू है, जबकि ज्वेलरी पर अलग-अलग रेट्स के तहत टैक्स लगाया जाता है, जो मिलाकर उपभोक्ता पर महंगाई का बोझ बढ़ाते हैं। सरकार ने प्रस्तावित जीएसटी सुधारों में सोने और ज्वेलरी पर टैक्स दरों को एकसमान और कम करने की बात की है, जिससे टैक्स स्लैब में पारदर्शिता आएगी और अनावश्यक टैक्स बोझ घटेगा। इससे उम्मीद है कि सोने की कीमतों में कुछ कमी आएगी, क्योंकि निर्माताओं और विक्रेताओं के लिए टैक्स प्रणाली सरल हो जाएगी और वे इस बचत को ग्राहकों तक पहुंचा सकेंगे।
हालांकि, सोने की कीमतें सिर्फ टैक्स पर निर्भर नहीं करतीं, बल्कि वैश्विक सोने की कीमत, मुद्रा विनिमय दर, मांग-पूर्ति और अंतरराष्ट्रीय बाजार के उतार-चढ़ाव भी प्रभावित करते हैं। जीएसटी में सुधार से टैक्स की बाधाएं कम होंगी, जिससे आम उपभोक्ता को थोड़ा आर्थिक लाभ हो सकता है, खासकर उन लोगों को जो नियमित रूप से आभूषण खरीदते हैं। इसके अलावा, टैक्स में पारदर्शिता से कालाबाजारी और धोखाधड़ी पर भी लगाम लग सकती है, जो लंबी अवधि में उपभोक्ताओं के लिए बेहतर साबित होगा।
वहीं दूसरी ओर, सरकार के लिए जीएसटी रिफॉर्म्स का मतलब है राजस्व में अस्थायी कमी हो सकती है, क्योंकि कम टैक्स दर से सरकारी आय घट सकती है। इससे बजट को संतुलित करने के लिए अन्य क्षेत्रों में करों या व्यय में कटौती की आवश्यकता पड़ सकती है। अगर बजट में सुधार सही तरीके से लागू न हो तो महंगाई बढ़ने की आशंका भी बनी रहती है, जिससे आम आदमी की जेब पर दबाव बढ़ सकता है।
जीएसटी सुधारों से सोने की कीमतों में कमी की संभावना तो है, लेकिन यह असर सीमित और दीर्घकालीन होगा। आम आदमी को तत्काल बड़ी राहत मिलना थोड़ा मुश्किल दिखता है, लेकिन बेहतर टैक्स व्यवस्था से समय के साथ उपभोक्ता को फायदा जरूर होगा। सरकार के लिए यह आवश्यक है कि जीएसटी सुधारों के साथ बजट और आर्थिक नीतियों को भी समुचित रूप से संतुलित रखा जाए, ताकि आर्थिक स्थिरता बनी रहे और महंगाई पर काबू पाया जा सके।