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19-Sep-2025 12:34 PM
By First Bihar
Building Department : बिहार के सरकारी महकमे में पिछले कुछ महीनों से भ्रष्टाचार के कई मामले लगातार सामने आ रहे हैं। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में अनियमितताओं और घपलों की खबरें अब आम हो गई हैं। कभी कोई इंजीनियर लाखों रुपये के कैश को नष्ट कर देता है, तो कभी कोई अधिकारी घूस लेते हुए गिरफ्तार हो जाता है। ऐसे में एक नया मामला अब भवन निर्माण विभाग से जुड़ा हुआ है, जिसने फिर से सुर्ख़ियों में जगह बना ली है।
जानकारी के अनुसार, किशनगंज जिले के खगड़ा क्षेत्र में सरकारी ऑफिसर क्वार्टर की चारदीवारी सहित अन्य निर्माण कार्य करीब एक साल पहले बिना किसी टेंडर के पूरा कर लिया गया था। अब चौकाने वाली बात यह है कि उसी काम का टेंडर चार दिन पहले जारी किया गया, जिससे यह शक गहरा गया कि टेंडर के नाम पर विभागीय अधिकारियों द्वारा पैसों की बैकडोर निकासी की जा रही है। इस खुलासे के बाद मामला सुर्खियों में आ गया और डीएम विशाल राज ने तुरंत जांच के आदेश दे दिए।
डीएम ने कहा कि सरकारी नियमों के उल्लंघन की किसी को भी छूट नहीं दी जा सकती है। भवन निर्माण विभाग के अधिकारी को सरकारी गाइडलाइन के अनुसार ही काम करना होगा। जांच में अगर गड़बड़ी पाई गई तो न केवल टेंडर रद्द किया जाएगा बल्कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।
यह पहली बार नहीं है जब भवन निर्माण विभाग में ऐसे घोटाले सामने आए हैं। लगभग तीन महीने पहले भी विभाग द्वारा जिला कोषागार परिसर में लाखों की लागत से गार्ड रूम, समाहरणालय और कई अधिकारियों के आवास का निर्माण किया गया था। उस समय भी निर्माण कार्य के कई महीने बाद ही टेंडर जारी किया गया था। डीएम के कड़े रुख के कारण उस समय टेंडर को रद्द करना पड़ा था।
विभागीय अधिकारियों पर लगातार बढ़ते दबाव के बीच, भवन निर्माण विभाग के अधिकारी फिलहाल मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। इसके बावजूद फर्जी कागजी कार्रवाई की जानकारी भी सामने आई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह जांच का विषय है कि किन-किन स्तरों पर नियमों की अवहेलना की गई और किन अधिकारियों ने प्रक्रिया का उल्लंघन किया।
वहीं, भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता पंकज सिंह ने स्पष्ट किया कि मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि टेंडर की प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जाना चाहिए। अगर कार्य पूरा होने के बाद टेंडर जारी किया गया है तो जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें टेंडर रद्द करने और नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की संभावना है।
इस मामले ने राज्य सरकार की पारदर्शिता और सरकारी नियमों के पालन को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता और मीडिया लगातार इस पर नजर बनाए हुए हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कौन कितना प्रभावी कदम उठाता है। भवन निर्माण विभाग के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि नियमों का पालन सुनिश्चित करना अब केवल कागजी कार्रवाई नहीं बल्कि विश्वास की परीक्षा भी बन चुका है।