ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: बिहार के सबसे बड़े अस्पताल में होगी तीन हजार से अधिक बहाली, दिल्ली AIIMS की तर्ज पर विकसित करने का लक्ष्य Bihar News: बिहार के सबसे बड़े अस्पताल में होगी तीन हजार से अधिक बहाली, दिल्ली AIIMS की तर्ज पर विकसित करने का लक्ष्य Success Story: कौन हैं डॉक्टर से IAS बनीं अर्तिका शुक्ला? जिन्होंने बिना कोचिंग UPSC में लाया 4th रैंक; जानें... सफलता की कहानी Which pulse is Good for Health: शरीर की जरूरत के अनुसार चुनें दाल, जानें किससे मिलेगा ज्यादा फायदा Bihar News: बिहार में दो सगी बहनों की डूबने से मौत, गंगा स्नान के दौरान हुआ हादसा Bihar News: बिहार में दो सगी बहनों की डूबने से मौत, गंगा स्नान के दौरान हुआ हादसा Kerala Congress Controversy: ‘B से बीड़ी और B से बिहार’ केरल कांग्रेस के विवादित पोस्ट पर फजीहत के बाद एक्शन, सोशल मीडिया चीफ को देना पड़ा इस्तीफा Kerala Congress Controversy: ‘B से बीड़ी और B से बिहार’ केरल कांग्रेस के विवादित पोस्ट पर फजीहत के बाद एक्शन, सोशल मीडिया चीफ को देना पड़ा इस्तीफा Patna News: पटना का वांटेड अपराधी शैलेन्द्र यादव गिरफ्तार, देसी कट्टा और कारतूस बरामद SBI Clerk Prelims Exam 2025: SBI क्लर्क भर्ती प्रारंभिक परीक्षा की तारीखें घोषित, 6589 पदों पर होगी बहाली

Pitru Paksha 2025: गया जी ही नहीं, इन 7 पवित्र स्थानों पर भी किया जाता है पिंडदान; जान लें... पूरी डिटेल

Pitru Paksha 2025: भाद्रपद पूर्णिमा के समापन के साथ ही पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) की शुरुआत होती है, जो 15 दिनों तक चलता है। यह समय काल विशेष रूप से पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है।

Pitru Paksha 2025

07-Sep-2025 12:25 PM

By First Bihar

Pitru Paksha 2025: भाद्रपद पूर्णिमा के समापन के साथ ही पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) की शुरुआत होती है, जो 15 दिनों तक चलता है। यह समय काल विशेष रूप से पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है। वर्ष 2025 में पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर 2025 तक चलेगा। इस दौरान पूरे भारत में श्रद्धालु अपने पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जैसे धार्मिक कर्म करते हैं।


पितृ पक्ष को हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व दिया गया है। मान्यता है कि इस समय पितरों का आशीर्वाद पाने और उनके ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म और पिंडदान किया जाता है। यह कर्म पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के साथ-साथ परिवार की सुख-समृद्धि के लिए भी आवश्यक माना जाता है।


बिहार का गया जी पितृ पक्ष के दौरान देशभर से श्रद्धालुओं का केंद्र बन जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां पिंडदान करने से सात पीढ़ियों तक के पितरों को मुक्ति मिलती है। गया को इसलिए ‘मुक्तिधाम’ भी कहा जाता है। यहां पर विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी, और अन्य तीर्थस्थलों पर तर्पण व पिंडदान किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्वयं भगवान विष्णु ने यहां पिंडदान को स्वीकार किया था।


यदि किसी कारणवश गया जी जाना संभव न हो, तो भारत में कुछ अन्य पवित्र स्थान भी हैं, जहां पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है-


काशी (वाराणसी), उत्तर प्रदेश

शिव नगरी काशी में स्थित मणिकर्णिका घाट और पिशाचमोचन कुंड श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि यहां त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पितरों को शिवलोक प्राप्त होता है।


मथुरा, उत्तर प्रदेश

यहां के ध्रुव घाट पर पिंडदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, राजा उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव ने यहां अपने पितरों का श्राद्ध किया था।


हरिद्वार, उत्तराखंड

गंगा तट पर स्थित कुशावर्त घाट और नारायण शिला पिंडदान के लिए प्रमुख स्थल हैं। मान्यता है कि नारायण शिला पर किए गए श्राद्ध से प्रेत योनि में भटक रही आत्माओं को शांति मिलती है।


प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश

तीनों नदियों के संगम पर स्थित इस तीर्थ में भगवान राम ने पिता दशरथ का तर्पण किया था। यहां श्राद्ध करने से पितर जन्म-जन्मांतर के बंधन से मुक्त हो जाते हैं।


बद्रीनाथ, उत्तराखंड

चारधामों में शामिल बद्रीनाथ के ब्रह्मकपाल घाट पर पिंडदान का विशेष महत्व है। यहां किया गया श्राद्ध पितरों को सद्गति प्रदान करता है।


पुरी, ओडिशा

जगन्नाथ धाम के रूप में प्रसिद्ध पुरी में भी पितृ पक्ष में पिंडदान किया जाता है। मान्यता है कि यहां पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।


पितृ पक्ष केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि संस्कार, श्रद्धा और परंपरा का प्रतीक है। यह पूर्वजों को याद करने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का समय होता है। पितृ तर्पण और पिंडदान का कार्य ब्राह्मणों को भोजन कराने, दान देने और मंत्रोच्चार के साथ संपन्न किया जाता है। पितरों की संतुष्टि का सीधा संबंध घर की समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति से जोड़ा जाता है।


पितृ पक्ष के दौरान किया गया श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध व पिंडदान न केवल आत्मिक संतोष देता है, बल्कि यह एक धार्मिक कर्तव्य भी है। ऐसे में यदि आप गया नहीं जा सकते, तो बताए गए अन्य तीर्थों पर जाकर या घर पर ही विधिपूर्वक तर्पण कर सकते हैं। इससे न केवल पितरों को शांति मिलती है, बल्कि संतान को भी आशीर्वाद और सुखमय जीवन का मार्ग प्रशस्त होता है।