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07-Mar-2025 09:08 PM
By First Bihar
Dharm News: इस वर्ष एक विशेष संयोग के कारण होलाष्टक और खरमास की अवधि लगभग सवा महीने तक चलेगी, जिसके चलते कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य संपन्न नहीं किए जाएंगे। हालांकि, इस दौरान आने वाले पर्व और त्योहार अपने पारंपरिक विधि-विधान के अनुसार ही मनाए जाएंगे और इनका कोई निषेध नहीं रहेगा।
होलाष्टक 2025: शुभ कार्यों पर रोक
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष होलाष्टक 7 मार्च 2025 से प्रारंभ हो रहा है और 13 मार्च को समाप्त होगा। होलाष्टक के दौरान शादी-विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार और अन्य शुभ कार्यों पर रोक होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह समय उग्र और अशुभ प्रभावों वाला माना जाता है। इस अवधि में चंद्रमा, सूर्य, शनि, शुक्र, बृहस्पति, राहु और केतु जैसे ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं, जिससे कोई भी शुभ कार्य सफलतापूर्वक संपन्न नहीं हो पाता।
खरमास 2025: 14 मार्च से 14 अप्रैल तक शुभ कार्य वर्जित
होलाष्टक समाप्त होते ही 14 मार्च 2025 से खरमास की शुरुआत हो जाएगी, जो 14 अप्रैल 2025 की रात तक जारी रहेगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, जब सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो खरमास की अवधि आरंभ हो जाती है। इस दौरान शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण संस्कार आदि नहीं किए जाते। ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय सूर्य अपनी कमजोर स्थिति में होता है, जिससे किए गए कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं।
होलाष्टक और खरमास का महत्व
हिंदू धर्म में होलाष्टक और खरमास को आत्मशुद्धि और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उत्तम समय माना जाता है। इस दौरान लोग भगवान विष्णु और शिवजी की उपासना करते हैं, व्रत रखते हैं और भक्ति में लीन रहते हैं। खासकर खरमास में दान-पुण्य, गंगा स्नान, हवन और मंत्र जाप का विशेष महत्व बताया गया है।
क्या इस दौरान कोई शुभ कार्य किया जा सकता है?
हालांकि पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक और खरमास में शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान और आध्यात्मिक कार्य किए जा सकते हैं। इस समय पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन, दान और जरूरतमंदों की सहायता करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
2025 में होलाष्टक और खरमास का संयोग एक लंबी अवधि तक शुभ कार्यों पर विराम लगाएगा। यह समय आत्मचिंतन, भक्ति और सेवा कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है। जो लोग विवाह या अन्य मांगलिक कार्यों की योजना बना रहे हैं, उन्हें 14 अप्रैल के बाद ही शुभ मुहूर्त में इन कार्यों को करने की सलाह दी जाती है।