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09-Nov-2019 07:43 AM
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PATNA : 20 नवम्बर 2015 यहीं वो तारीख है जब क्रिकेट के मैदान का खिलाड़ी राजनीति का खिलाड़ी बन गया और राजनीति के पिच पर अपनी धाक जमाने उतर पड़ा. साल 2015 दिन शुक्रवार इसी दिन लालू के लाल तेजस्वी यादव की राजनीतिक पारी की शुरुआत हुई और तेजस्वी ने बिहार के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अपने दो- दो राजकुमारों को राजपाठ चलाने की शपथ लेते देख बिहार के किंग मेकर लालू यादव का कलेजा गदगद हो उठा. इसी के साथ तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति के लालू वर्जन 2.0 बन गए .
लालू प्रसाद यादव की 9 संतानों में सबसे छोटे 30 वर्षीय तेजस्वी प्रसाद यादव राजनीति से इतर क्रिकेट में अपना करियर बनाना चाहते थे. बॉल को स्विंग कराने वाले, लोअर ऑर्डर पर बैटिंग करने वाले और लम्बे बाल रखने वाले तेजस्वी इस तरह से क्रिकेट से दूरी बना लेंगे किसी ने सोचा भी नहीं था.
तेजस्वी यादव को राजनीति विरासत में मिली. 2015 में पहली बार बीजेपी के सतीश कुमार को मात देकर विशाली जिले के राघोपुर से विधायक चुने गए. कहीं ना कहीं लोगों को तेजस्वी में संभावनाएं दिखीं और सही तो है युवा तेजस्वी ने राजनीति में कदम रखते ही RJD को सोशल मीडिया से जोड़ा जिससे लालटेन की रौशनी और बिखरी. लेकिन 20 महीने के बाद ही तेजस्वी को बड़ा झटका लगा. सीबीआई ने कथित आईआरसीटीसी होटल घोटाले में लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी को समन भेजा. यह पहला मौका था जब तेजस्वी यादव से सीबीआई अधिकारी ने पूछताछ की. लालू और तेजस्वी पर रेलवे के होटल के बदले पटना के बेली रोड पर दो एकड़ जमीन अपने नाम लिखवाने का आरोप लगा. इसी दौरान तेजस्वी को दूसरा झटका तब लगा जब इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी से डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा देने की मांग की थी. जब लालू यादव ने तेजस्वी के इस्तीफे से मना किया तो नीतीश कुमार ने खुद इस्तीफा दे देकर महगठबंधन खत्म कर दिया और बीजेपी के साथ सरकार बना ली.तेजस्वी यादव के लिए ये बड़ा सियासी नुक्सान था. लेकिन इन सभी से इतर तेजस्वी ने राजनीति के गुर को समझा और इसी के साथ लालू के छोटे लाल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव बन गए. 20 जुलाई 2017 को तेजस्वी नीतीश सरकार के खिलाफ खूब गरजे.
लेकिन चारा घोटाला मामले में लालू के जेल जाने के बाद तेजस्वी यादव के सामने सियासत संभालने की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई . इसके बाद तेजस्वी का पहला एक्शन रहा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा यानि हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी को NDA से अलग करना. तेजस्वी ने 2019 के उपचुनाव में 2 सीटें जीतकर अपने आप को साबित तो किया पर अब भी चुनौतियां कम नहीं है. पार्टी में लालू की कमी को ना खलने देना और मिशन 2020 में अपनी धाक ज़माना तेजस्वी के सामने और भी कई बड़ी चुनौतियां हैं . अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या लालू के छोटे लाल इस टेस्ट में पास हो पाते हैं.