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12-Jan-2022 02:51 PM
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PATNA: शराब के मामलों से बिहार में कोर्ट का पूरा सिस्टम अस्त व्यस्त हो जाने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को जमकर फटकार लगायी है. नीतीश सरकार शराब के मामलों से जुड़े 40 अपील लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी थी. सुप्रीम कोर्ट ने ये सारी याचिकायें एक झटके में खारिज कर दी. चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना की खंडपीठ ने बिहार सरकार के वकील की दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया.
जमानत रद्द कराने गयी थी नीतीश सरकार
दरअसल बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट में उन लोगों की जमानत खारिज कराने गयी थी, जिन्हें बिहार पुलिस ने शराब के मामलों में गिरफ्तार किया था लेकिन पटना हाईकोर्ट ने बेल दे दिया था. कई ऐसे भी मामले थे जिनमें पुलिस ने शराबबंदी कानून के तहत केस दर्ज किया था और कोर्ट ने आऱोपी को अग्रिम जमानत दे दिया था. कोर्ट से बेल मिलने के बाद रिहा हुए ऐसे तमाम लोगों को फिर से जेल में डालने के लिए बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी थी. कोर्ट से गुहार लगायी गयी थी कि 40 मामलों में जिन्हें बेल दिया गया था उनकी जमानत रद्द कर दी जाये.
कोर्ट ने जमकर फटकार लगायी
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एन. वी. रमन्ना की बेंच में ये मामला आया. कोर्ट की बेंच के सामने बिहार सरकार के वकील ने दलील दी कि आरोपियों के पास भारी मात्रा में शराब बरामद हुई थी. शराब की मात्रा को देखते हुए उन्हें दी गयी जमानत को रद्द कर दिया जाना चाहिये. बिहार सरकार के वकील मनीष कुमार ने कोर्ट में कहा कि सरकार ने सख्त शराबबंदी कानून बनाया है, जिसमें आऱोपियों को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दिया जाना है. हाई कोर्ट ने ऐसे मामले के आरोपियों को बिना कारण बताये जमानत दे दी है. बिहार सरकार के वकील ने कहा कि कुछ आऱोपी 400 से 500 लीटर शराब ले जाते या बेचते पकड़े गये लेकिन उन्हें भी बेल दे दी गयी है.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के वकील की दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया. कोर्ट की बेंच ने कहा कि शराब के मामलों ने बिहार में कोर्ट के कामकाज को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है. पटना हाईकोर्ट का हाल ये है कि वहां दायर किसी मामले को सूचीबद्ध करने में एक साल लग जा रहे हैं. हाल ये है कि पटना हाईकोर्ट के 14-15 जज हर रोज शराब के मामलों में जमानत याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं. किसी दूसरे मामले की सुनवाई ही नहीं हो पा रही है.
चीफ जस्टिस की तीखी टिप्पणी
दरअसल कोर्ट में बिहार सरकार के वकील ने कहा था कि इन मामलों में बेल नहीं दिया जाना चाहिये क्योंकि बिहार सरकार ने शराब के मामले में सख्त कानून बना दिया है. चीफ जस्टिस एस वी रमना ने कहा कि आपके हिसाब से हमें सिर्फ इसलिए जमानत नहीं देनी चाहिये क्योंकि आपने सख्त कानून बना दिया है. चीफ जस्टिस ने हत्या के मामले में आईपीसी के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि मर्डर केस में जमानत दी जाती है औऱ कई मामलों में कोर्ट अग्रिम जमानत भी देती है. आप कह रहे हैं शराब के मामले में जमानत नहीं दी जानी चाहिये.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा दायर सभी 40 अपील को एक झटके में खारिज कर दिया. गौरतलब है कि इससे पहले भी देश के मुख्य न्यायाधीश बिहार में शराब के मामलों के कारण कोर्ट का काम बाधित होने पर चिंता जता चुके हैं. आंध्र प्रदेश में एक समारोह में बोलते हुए चीफ जस्टिस एस वी रमना ने कहा था कि बिहार में शराब के केसों के कारण कोर्ट का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है.