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06-Nov-2020 04:44 PM
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ARA : भोजपुर में आरटीआई कार्यकर्ता के हत्या के मामले में नगर पंचायत अध्यक्ष समेत 2 अपराधियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. जगदीशपुर नगर पंचायत के चेयरमैन मुकेश कुमार उर्फ गुड्डू समेत दो लोगों को आजीवन कारावास के साथ-साथ 5000 का जुर्माना भी लगा है. चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीश त्रिभुवन यादव ने इन दोनों अपराधियों के खिलाफ सजा का एलान किया है.
आरटीआई कार्यकर्ता मृत्युंजय सिंह के हत्या के मामले में तुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीश त्रिभुवन यादव ने जगदीशपुर नगर पंचायत के चेयरमैन को धारा 302,120 (b) के तहत आजीवन कारावास की सजा और 5 हजार रुपये का जुर्माना भरने का फैसला सुनाया. आपको बता दें कि मंगलवार को कोर्ट ने दोनों अपराधियों को दोषी करार दिया था.
मामला भोजपुर जिले के जगदीशपुर थाना इलाके का है, जहां 4 साल पहले नगर स्थित वार्ड नंबर 11 बिशेन टोला निवासी रहे आरटीआई कार्यकर्ता मृत्युंजय सिंह की जिनकी हत्या 2016 में 9 जून को अपराधियों द्वारा गोलियों से भूनकर की गई थी. इस चर्चित हत्याकांड के मामले में भोजपुर के चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीश त्रिभुवन यादव की कोर्ट ने जगदीशपुर नगर पंचायत अध्यक्ष और उसके एक साथी को दोषी पाया है. इन दोनों को जेल भेज दिया गया है. इन्हें सजा सुनाने के लिए कोर्ट ने आगामी 6 नवंबर की तारीख मुक़र्रर की है.
जगदीशपुर नगर पंचायत के चेयरमैन मुकेश कुमार उर्फ गुड्डू
विशेष न्यायाधीश त्रिभुवन यादव की कोर्ट ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में आरोपी मो सद्दाम को आरोप मुक्त करते हुए रिहाई का आदेश भी दिया है. अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक नागेश्वर दुबे ने बताया कि 9 जून 2016 को जगदीशपुर थानान्तर्गत अखोरी मुहल्ला के मृत्युंजय सिंह को उनके घर के कुछ दूरी पर गोली मारकर हत्या कर दिया गया था. घटना को लेकर चुन्नू महतो समेत तीन को अभियुक्त बनाया गया था. दोनों पक्ष के बहस सुनने के बाद चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री यादव ने आरोपी चुन्नू महतो को भादवि की धारा 302 और 27 आर्म्स एक्ट और आरोपी मुकेश को आईपीसी की धारा 302/120 (बी) के तहत दोषी करार देते हुए जेल भेज भेजने का फैसला सुनाया है.
आपको बता दें कि लगभग 4 साल पहले 2016 में 9 जून को अपराधियों ने भोजपुर जिले के जगदीशपुर थाना क्षेत्र के बिशेन टोला निवासी आरटीआई कार्यकर्ता मृत्युंजय सिंह की हत्या कर दी थी. मृत्युंजय सिंह गुरुवार की उस काली रात को दवा लेकर बाइक पर घर लौट रहे थे कि तभी पहले से ही घात लगाए बैठे करीब आधा दर्जन हथियारबंद अपराधीयों ने मंगनी चौक पर ही घटना को अंजाम देकर फरार हो गए थे.
मृतक आरटीआई कार्यकर्ता मृत्युंजय सिंह जगदीशपुर नगर पंचायत में धड़ल्ले से हो रहे भ्रष्टाचार और वितीय अनियमितता के खिलाफ जंग छेड़ दी थी. हाथ में सत्ता और रुपये की गर्मी के कारण विरोधियों द्वारा मृत्युंजय को मरने से पहले कई बार प्रताड़ना का भी सामना करना पड़ा था. उसके ऊपर पुलिसिया मिलीभगत से कई फर्जी मुकदमें भी कराए गए, जो कि जांच के बाद फर्जी निकले थे. मृत्युंजय की हत्या के बाद शवयात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे और हर किसी की नम आंखों में एक सवाल था इतने हँसमुख स्वभाव का व्यक्ति भ्रष्टाचार से जंग लड़ने अकेले निकला था.
पिछले साल भी हुई थी आरा में RTI कार्यकर्ता की हत्या
भोजपुर जिले के उदवंतनगर थानान्तर्गत श्रीरामपुर रेलवे क्रासिग के पास पिछले साल दिसंबर 2019 में 24 तारीख को एक और आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या सरेआम कर दी गई थी. इस हत्याकांड में 3 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें से दो अपराधी जेल में हैं हालांकि एक आरोपी सूरज प्रताप सिंह अभी भी फरार है, जिसकी गिरफ़्तारी नहीं हुई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आरटीआई कार्यकर्ता कमलेश सिंह की आंख, माथे और पेट के पास गोली मारी गई थी.
आरटीआई कार्यकर्ता कमलेश सिंह (50) श्रीरामपुर गांव के रहने वाले गणेश सिंह के बेटे थे. मृतक कमलेश सिंह भ्रष्टाचार उन्मूलन संगठन और आरक्षण विरोधी संगठन भारतीय विकास मंच से जुड़े थे. तब छोटे भाई अखिलेश सिंह ने आरोप लगाया था कि अनाज की कालाबारी के विरुद्ध आवाज उठाने के कारण बड़े भाई कमलेश की हत्या की गई.
आपको बता दें कि समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता कमलेश सिंह पिछले साल 24 दिसंबर की शाम को बुलेट से घर लौट रहे थे. श्रीरामपुर रेलवे क्रासिग के समीप पहले से घात लगाए बाइक सवार अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिग कर उनकी हत्या कर दी.