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11-Nov-2020 03:15 PM
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PATNA : बिहार विधानसभा चुनाव में इसबार कांटे की टक्कर दिखी. नेक टू नेक की लड़ाई में महागठबंधन को हार का सामना करना पड़ा. बिहार की जनता ने एक बार फिर ऐसे एनडीए सरकार के ऊपर भरोसा जताया है. बिहार चुनाव में एनडीए को 125 और महागठबंधन को 110 सीटें हासिल हुई हैं. आरजेडी को सबसे बड़ा नुकसान सहना पड़ा है. राजद ने अपनी पार्टी से कई बड़े नेताओं का सीट बदला, जिन्हें हार का सामना करना पड़ा.
राजद, जदयू और कांग्रेस के करीब दर्जनभर नेताओं ने इस बार चुनाव में अपना अखाड़ा बदल लिया था. राजद ने सबसे ज्यादा रिक्स लिया लेकिन इसका खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ा. आरजेडी के दिग्गज नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा. आरजेडी में जिन लोगों का चुनाव क्षेत्र बदलना फायदेमंद रहा, उनमें तेजप्रताप यादव का नाम शामिल है, लालू के बड़े लाल तेजप्रताप लकी साबित हुए.
राजद के सबसे ज्यादा आधा दर्जन नेता इस बार अपना चुनाव क्षेत्र छोड़कर दूसरी सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, जिसमें तेजप्रताप, अब्दुल बारी सिद्दीकी, भोला यादव, शिवचंद्र राम और अमरनाथ गामी का नाम शामिल हैं. तेजप्रताप को छोड़कर बाकी सभी नेताओं को मुंह की खानी पड़ी. हसनपुर से तेजप्रताप यादव तो जीत गए लेकिन अन्य सभी सीटों पर राजद को हार मिली.
राजद के राष्ट्रीय महासचिव भोला यादव बहादुरपुर की जगह हायाघाट से लड़े और बीजेपी उम्मीदवार रामचंद्र प्रसाद से हार गए. जदयू छोड़ राजद का दामन थामने वाले अमरनाथ गामी हायाघाट की जगह दरभंगा से चुनाव लड़े और बीजपी कैंडिडेट संजय सरावगी से हार गए. पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम को भी राजापाकड़ सीट छोड़ना महंगा पड़ा. शिवचंद्र राम राजापाकड़ की जगह पातेपुर से लड़े और भाजपा के लखेंद्र कुमार रौशन से हार गए.
आरजेडी के दिग्गज नेता और पूर्व पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी को भी अलीनगर सीट छोड़ना महंगा पड़ा. सिद्दीकी इसबार दरभंगा के केवटी से चुनावी मैदान में उतरे लेकिन महागठबंधन की हार की शुरुआत यही से हुई. सबसे पहले इस सीट के नतीजे सामने आये और बीजेपी के मुरारी मोधन झा ने इन्हें चुनावी दंगल में धूल चटा दिया. इसी तरह सीट बदलने वाले राजद के यदुवंश कुमार यादव को निर्मली की जनता ने पसंद नहीं किया और यदुवंश कुमार यादव जेडीयू के उम्मीदवार अनिरुद्ध प्रसाद यादव से हार गए.
वहीं दूसरे खेमे में अगर देखा जाये तो बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा को भी इस बार सीट बदलना महंगा साबित हुआ. 2015 में घोसी से जीतने वाले कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा जहानाबाद से चुनाव लड़े और हार गए. आरजेडी के कुमार कृष्ण मोहन उर्फ़ सुदय यादव ने इन्हें बुरी तरह हराया. इसी तरह कांग्रेस विधायक दल के पूर्व नेता डा. अशोक कुमार पिछली बार रोसड़ा से चुनाव जीते थे. इस बार उन्होंने कुशेश्वर स्थान से अपनी किस्मत आजमाई है वह चुनाव हार गए.