Bihar News: सोशल मीडिया के जुनून ने ली जान की बाजी, युवक रेल इंजन पर चढ़कर हुआ घायल Life Style: नकली कॉफी से रहें सावधान, आपकी सुबह की चुस्की बिगाड़ सकती है सेहत Bihar News: विधान परिषद डाटा डिलीट मामले में SIT का गठन, CIBER SP की अगुआई में 6 सदस्यीय टीम करेगी जांच Bihar Crime News: गया में युवक की पीट-पीटकर हत्या, परिजनों का पुलिस के खिलाफ हंगामा Bihar News: इंडो-नेपाल बॉर्डर पर मानव तस्करी की कोशिश नाकाम, एक युवक गिरफ्तार Bihar News: बिहार को मिलेगा नया एयर कनेक्शन, इस एयरपोर्ट से उड़ानें होंगी जल्द शुरू Bihar News: पुलिस टीम पर हमले में 3 जवान घायल, अपराधियों की तलाश में छापेमारी जारी Bihar News: बिहार में गर्मी से बचाव का अनोखा ठिकाना, मिलेगा गोवा जैसा मजा; जानिए... Iran Israel War: खामनेई ने किया जंग का ऐलान, फतह मिसाइल से इजरायल पर हमला; तेल अवीव और तेहरान में भारी तबाही Bihar News: DGP का सख्त आदेश, गवाही से गैरहाजिर पुलिस अधिकारियों के वेतन में होगी कटौती
07-Aug-2022 09:57 AM
By
DESK : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज यानि 7 अगस्त को अपने पहले छोटे रॉकेट लांच कर दिया. इस रॉकेट का नाम 'स्माल सैटेलाइट लांच व्हीकल' है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड लॉन्चिंग सफलतापूर्वक की गई. यह SSLV एक पृथ्वी अवलोकन सैटेसाइट और छात्रों द्वारा बनाया एक उपग्रह लेकर जाएगा. इसरो ने 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में 500 किलोमीटर तक स्थापित करने का मिशन शुरू किया है. उसका उद्देश्य तेजी से बढ़ते एसएसएलवी बाजार का बड़ा हिस्सा बनना है.
SSLV उपग्रह छह मीटर रिजोल्यूशन वाला एक इन्फ्रारेड कैमरा लेकर जा रहा है, जिसका रेजोल्यूशन 6 मीटर है. यानी ये रात में भी निगरानी कर सकता है. उस पर एक स्पेसकिड्ज इंडिया द्वारा संचालित सरकारी स्कूलों के 750 छात्रों द्वारा निर्मित आठ किलोग्राम का आजादी सैट सैटेलाइट भी है. SSLV 34 मीटर लंबा है जो PSLV से लगभग 10 मीटर कम है और PSLV के 2.8 मीटर की तुलना में इसका व्यास दो मीटर है. इस परियोजना का महत्व यह है कि इसे स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत बनाया गया है.
बता दें कि यह देश का पहला स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है. इससे पहले छोटे उपग्रह सुन सिंक्रोनस ऑर्बिट तक के लिए पीएसएलवी पर निर्भर थे तो बड़े मिशन जियो सिंक्रोनस ऑर्बिट के लिए जीएसएलवी और जीएसएलवी मार्क 3 का इस्तेमाल होता था. जहां पीएसएलवी को लॉन्च पैड तक लाने और असेंबल करने में दो से तीन महीनों का वक्त लगता है, वहीं एसएसएलवी महज 24 से 72 घंटों के भीतर असेंबल किया जा सकता है.