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हैदराबाद डॉक्टर गैंगरेप पर मचे बवाल के बीच यौन हिंसा पर सख्त सुप्रीम कोर्ट, रेपिस्ट के बेल को किया खारिज

हैदराबाद डॉक्टर गैंगरेप पर मचे बवाल के बीच यौन हिंसा पर सख्त सुप्रीम कोर्ट, रेपिस्ट के बेल को किया खारिज

30-Nov-2019 07:46 PM

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DELHI: हैदराबाद लेडी डॉक्टर गैंगरेप केस के बाद पूरे देश में विरोध की लहर चल रही है। हर तरफ इस मामले की पुरजोर भर्त्सना की जा रही है। लोग घटना के विरोध में सड़क पर उतर आए हैं। इस बीच बलात्कार और यौन हिंसा के मामलों के खिलाफ देश की सबसे बड़ी अदालत ने कड़ा रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि किसी भी रेप के मामले में लड़की सेक्स लाइफ की वजह से आरोपी को बेल नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि चिकित्सकीय सबूत भले ही इस ओर इशारा कर रहे हों कि पीड़िता सेक्सुअली एक्टिव है, तब भी इस आधार पर कोई हाईकोर्ट जमानत नहीं दे सकता।

मुख्य न्यायाधीश एस.ए.बोबड़े, जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ ने एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर नाराजगी दिखायी। सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पीड़िता का सेक्सुअली एक्टिव होना जमानत देने का आधार नहीं हो सकता। रेप केस में आरोपी रिजवान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसी आधार पर जमानत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने रिजवान की जमानत भी रद्द कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है आरोपी चार हफ्ते के भीतर खुद को मुजफ्फरनगर कोर्ट में सरेंडर कर दे। 

वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में दर्ज किया था कि लड़की के पिता की शिकायत पर यूपी पुलिस ने आईपीसी की धारा 376 और पोस्को के तहत एफआईआर दर्ज की थी। डॉक्टरों ने लड़की की जांच की।एक मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपने बयान में लड़की ने दावा किया कि उसके सिर पर एक देशी पिस्टल रख कर रिजवान ने उसका यौन उत्पीड़न किया। उसने कहा कि जब उसने सारी बात बताई तब उसके पिता को इसकी जानकारी हुई और फिर एफआईआर दर्ज की गई।

हाईकोर्ट ने 3 अप्रैल, 2018 के आदेश में रिज़वान के वकील की ओर दिए गए सबमिशन को दर्ज किया। रिकॉर्ड में दाखिल किए गए मेडिकल जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़िता को कोई भी अंदरुनी चोट नहीं आई है। डॉक्टर की रिपोर्ट भी कह रही है कि उसे सेक्स की आदत थी। आरोपी के वकील ने कहा कि प्राथमिकी इसलिए दर्ज की गई क्योंकि लड़की के पिता ने इस घटना को देख लिया।आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि लड़की की उम्र बालिग होने में सिर्फ 2 साल बचे हैं लेकिन कानून के तहत 2 साल की छूट दी जा सकती है। मतलब यह माना जा सकता है कि दोनों के बीच सहमति से संबंध बने।