Bihar Crime News: बिहार में वार्ड पार्षद की शर्मनाक करतूत, मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर लड़की के साथ किया गंदा काम BIHAR NEWS : 15 सितंबर तक सड़क और पुल निर्माण शुरू करें ठेकेदार, वरना होगी सख्त कार्रवाई Bihar Politics: राहुल-तेजस्वी पर गिरिराज सिंह का जोरदार हमला, ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ पर खूब बरसे बिहार में शराबबंदी लागू करने में पुलिस नाकाम, खुद शराब की दुकानें बंद करवाने का ग्रामीणों ने उठाया बीड़ा Bihar Police Transfer: बिहार के इस जिले में 19 पुलिस अधिकारियों का तबादला, 4 नए थानाध्यक्षों की तैनाती Bihar Police Transfer: बिहार के इस जिले में 19 पुलिस अधिकारियों का तबादला, 4 नए थानाध्यक्षों की तैनाती SSC EXAM : नॉर्मलाइजेशन के तरीके में हुआ बड़ा बदलाव, शिफ्ट बदलने पर भी नहीं होगा मार्क्स में अंतर BPSC Prelims 2025: 13 सितंबर को होगी BPSC 71वीं PT परीक्षा, आयोग ने जारी किया नोटिस; सेंटर जाने से पहले पढ़ लें यह खबर CP Radhakrishnan: सीपी राधाकृष्णन ने राज्यपाल पद से दिया इस्तीफा, इन्हें मिली महाराष्ट्र के गवर्नर की जिम्मेवारी CP Radhakrishnan: सीपी राधाकृष्णन ने राज्यपाल पद से दिया इस्तीफा, इन्हें मिली महाराष्ट्र के गवर्नर की जिम्मेवारी
04-Dec-2024 03:05 PM
By First Bihar
Bihar Politics: बिहार की राजनीति जाति के इर्द-गिर्द की घूमती है. जाति के सहारे ही नेताजी अपनी ताकत बढ़ाना चाहते हैं. नेताजी जाति की ताकत दिखाकर सेट होना चाहते हैं. इसके लिए विभिन्न जाति के नेताओं के बीच कंपीटिशन तो है ही, जाति के अंदर भी कड़ी प्रतियोगिता है. एक ही दल में जाति विशेष के कई नेता हैं. उनमें भी एक-दूसरे को पीछे छोड़ने की कड़ी प्रतिस्पर्द्धा है. सुर्खियों में बने रहने और सत्ता की मलाई खाने का कंपीटिशन है. आज चर्चा एक ही जाति,एक ही पार्टी और एक ही क्षेत्र के तीन नेताओं की करेंगे.
सबसे बड़ी पार्टी के तीन नेता..तीनों का है क्षेत्र एक
बात कर रहे हैं, बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी की. इस दल में एक ही जाति के तीन नेता हैं. तीनों एक ही क्षेत्र(मगध) से जुड़े हैं. यानि जाति एक, पार्टी एक और क्षेत्र भी एक. हालांकि तीनों की भूमिका अलग-अलग है. वर्तमान में तीनों माननीय हैं. एक माननीय देश के ऊपरी सदन के सदस्य हैं, दूसरे राजा के वजीर हैं और तीसरे सूबे के उच्च सदन के सदस्य हैं. सभी समाज का सबसे बड़ा नेता, पकड़ वाला नेता, साबित करने में जुटे हैं. जुटे भी क्यों नहीं....जाति की ताकत साथ होगी, तभी तो सत्ता की मलाई खायेंगे. लिहाजा पीछे क्यों रहें.
किस्मत का फिर खुला ताला..और पहुंच गए ऊपरी सदन
सहयोगी दल वाली पार्टी के मुखिया से खिलाफत कर इस दल में इंट्री मारने के बाद एक नेताजी कुछ समय तक तो साइड लाइन रहे. अचानक किस्मत का ताला खुला,चूंकि नेताजी अति पिछड़ा समाज से आते हैं, वर्तमान में जिस दल में है, वहां की राजनीति अब पिछड़ा-अति पिछड़ा केंद्रित हो गई है, लिहाजा उन्हें प्रदेश संगठन में डिप्टी की कुर्सी मिल गई. इसके बाद तो वो पद मिलाा...जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. सीधे उच्च सदन पहुंच गए। वो भी राज्य वाला नहीं बल्कि...। पद तो मिल गया...लेकिन अभी भी कड़ी प्रतियोगिता है. जाति का बड़ा नेता कौन...? क्यों कि वजीर साहब पहले से ही इस पार्टी में हैं. लंबे समय से माननीय हैं, पार्टी के पुराने लोग हैं. दूसरी प्रतियोगिता दल के एक और माननीय से है. वे भी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं. संगठन से जुड़े लोग हैं, साथ ही जानकार भी हैं. मगध क्षेत्र में अपने समाज पर भी अच्छी पकड़ है.
पुराने खिलाड़ी हैं माननीय..चर्चा में बने रहने के लिए छपना जरूरी
दल के अंदर से पुराने नेताजी को कड़ी टक्कर मिल रही है. समाज में जितनी पकड़ होनी चाहिए, वो हो नहीं पा रही. लिहाजा जाति का एक संगठन खड़ा किया है. राजधानी वाले आवास में ही कार्यालय खोल लिया है. पटना में रहने के दौरान समाज के कुछ लोगों को बुलाकर चाय पर चर्चा कर लेते हैं. फिर उसे समाज की बैठक का रूप देकर मीडिया में छप जाना चाहते हैं. मीडिया में छपने के मामले में जाति के दूसरे नेताओं से आगे रहना चाहते हैं. दरअसल, वे नेतृत्व को बताना चाहते हैं कि वे अपनी जाति के लोगों को इकट्ठा कर पार्टी का काम कर रहे, पार्टी हित में बैठक कर रहे हैं. जानकार बताते हैं कि यह सब कुछ छपने के लिए,पार्टी नेतृत्व के समक्ष अपनी पकड़ बनाए रखने की एक कोशिश मात्र है. नेताजी के बारे में बता दें, ये पूर्व में बिहार में मंत्री भी रह चुके हैं.
विवेकानंद की रिपोर्ट