सीवान में मनचलों ने छेड़खानी के दौरान दो लड़कियों पर चाकू से किया हमला, हालत गंभीर गया में सिंदूर महायज्ञ ने रचा इतिहास: अब तक 8 करोड़ आहुतियाँ, विकास और सनातन पर जोर आरा में संत सम्मेलन का भव्य आयोजन, अजय सिंह ने धर्म-संस्कृति पर दिया जागरूकता का संदेश नीतीश की योजनाओं का क्रेडिट ले रहे तेजस्वी यादव, बोले मंगल पांडेय..लालू परिवार ने किसी का भला नहीं किया 26 जून के छात्र-युवा संवाद को लेकर भोजपुर से जागरूकता रथ रवाना, रथयात्रा से गांव-गांव तक जागरूकता अभियान की शुरुआत नीतीश के गृह क्षेत्र में मुकेश सहनी ने किया वादा, कहा..हमारी सरकार बनी तो निषाद के खाते में 3 महीने तक दिया जाएगा ₹5000 बम की धमकी से मचा हड़कंप: यूके से दिल्ली आ रही एयर इंडिया फ्लाइट की सऊदी अरब में इमरजेंसी लैंडिंग Life Style: जब उम्मीद बाकी हो, तो कोशिशें चमत्कार कर सकती हैं; जानिए... राजा की कहानी परमानंदपुर पंचायत में VIP नेता संजीव मिश्रा का जनसंपर्क अभियान, बोले..अब गांव की सरकार गांव के लोगों के हाथ में होनी चाहिए Road Accident: आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे सड़क हादसे में बिहार के युवक की मौत, बिजनेस के सिलसिले में गए थे दिल्ली
29-Jul-2024 03:06 PM
By First Bihar
DELHI : योगगुरु बाबा रामदेव को एक बार फिर कोर्ट से झटका लगा है। अब दिल्ली हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को उस दावे को सोशल मीडिया से वापस लेने को कहा है जिसमें 'कोरोनिल' को कोरोना का इलाज बताते हुए प्रमोट किया गया था। इतना ही नहीं एलोपैथी के प्रभाव को लेकर कहीं गईं बातों को भी वापस लेने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने उन्हें 3 दिन के भीतर ऐसा करने को कहा है।
दरअसल, कोर्ट ने दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में कहा गया था कि रामदेव की कंपनी ने कोरोनिल किट को लेकर झूठे दावे किए और इसे कोरोना बीमारी का इलाज बताया। सबसे बड़ी बात है कि बाबा रामदेव ने जिसे कोरोना की दवाई बताई थी उसे लाइसेंस इम्यूनिट बूस्टर के तौर पर मिला था।
इस याचिका में यह भी कहा गया था कि रामदेव का दावा झूठा प्रचार अभियान और मार्केटिंग की रणनीति थी ताकि कोरोनिल समेत अपने प्रॉडक्ट्स की बिक्री को बढ़ा सकें। इतना ही नहीं इस दौरान एलोपैथी के प्रभाव को लेकर भी कई तरह की बातें कहीं गई थी। जिससे कई लोगों को नुकसान हुआ था। ऐसे में अब कोर्ट ने रामदेव को झटका दिया है।
उधर, जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की बेंच ने फैसला देते हुए कहा, 'मैं आवेदन को मंजूर कर रहा हूं। मैंने कुछ सामग्री, पोस्ट को हटाने को कहा है। मैंने बचाव पक्ष को तीन दिन के भीतर हटाने को कहा है, नहीं तो मैंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म को ऐसा करने का निर्देश दिया है। जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद 21 मई को इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।