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02-May-2025 12:40 PM
By First Bihar
Parent-child relation: आज के बच्चे आत्म-सम्मान के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। दोस्तों या रिश्तेदारों के सामने डाँटना, टोकना या अपमान करना बच्चों को मानसिक रूप से आहत करता है। यह न केवल उनका आत्मविश्वास गिराता है, बल्कि माता-पिता से एक मानसिक दूरी भी बना देता है। जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों को अकेले में प्यार से समझाएं।
हर बात पर तुलना करना जैसे देखो शर्मा जी का बेटा क्लास में फर्स्ट आया है, ऐसी तुलना सुनकर बच्चा खुद को कमजोर और हीन समझने लगता है। बार-बार तुलना करने से बच्चों का आत्मविश्वास कमजोर पड़ता है और वे खुद से निराश होने लगते हैं।
बच्चों की प्राइवेसी में दखल
फोन चेक करना, दोस्तों के बारे में जबरदस्ती पूछना या कमरे में बिना पूछे घुस जाना — ये बातें बच्चों को असहज बना देती हैं। हर उम्र में बच्चों को एक सीमा तक निजता चाहिए होती है। उनका भरोसा बनाए रखने के लिए जरूरी है कि माता-पिता उनकी सीमाओं का सम्मान करें।
पुरानी सोच को थोपना
संस्कार देना जरूरी है, लेकिन जब संस्कार के नाम पर बच्चों पर पुरानी सोच थोप दी जाती है, तो वे घुटन महसूस करते हैं। आज के बच्चे खुलकर जीना चाहते हैं, और उन्हें जरूरत होती है समझदारी और खुलेपन की, न कि सिर्फ अनुशासन की।
सोशल मीडिया पर ओवर-शेयरिंग
बिना पूछे बच्चों की तस्वीरें, वीडियो या स्कूल रिपोर्ट सोशल मीडिया पर डालना — माता-पिता को सामान्य लग सकता है, लेकिन बच्चों को इससे शर्मिंदगी महसूस हो सकती है, खासकर जब उनके दोस्त भी माता-पिता से सोशल मीडिया पर जुड़े हों।
बच्चों की परवरिश में प्यार, समझ और सम्मान की ज़रूरत होती है। यह जरूरी है कि माता-पिता बच्चों की भावनाओं को समझें, उन्हें प्राइवेसी और आत्मसम्मान दें। तभी रिश्ता मजबूत होगा और बच्चे खुलकर अपने माता-पिता से जुड़ पाएंगे।