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30-Mar-2025 09:35 AM
By First Bihar
Chanakya Niti : कहते हैं कि किसी इंसान की असली पहचान उसके गुणों से होती है, न कि उसकी बाहरी चमक-दमक से। इस बात को गहराई से समझाने वाले महान कूटनीतिज्ञ और विद्वान आचार्य चाणक्य आज भी अपनी बुद्धिमानी और दूरदर्शिता के लिए जाने जाते हैं। उनकी लिखी चाणक्य नीति जीवन के हर पहलू को बेहतर बनाने का रास्ता दिखाती है। चाहे बात निजी जीवन की हो या सामाजिक रिश्तों की, चाणक्य के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि किसी भी चीज की सही परख का तरीका क्या है? आइए, चाणक्य नीति के एक खास श्लोक के जरिए इस सवाल का जवाब तलाशते हैं।
गुणों से करें हर चीज की पहचान
चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के सोलहवें श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं:
"नीचादप्युत्तमां विद्यां स्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि।"
इसका मतलब है कि जहर में से भी अमृत निकाल लेना चाहिए और गंदगी में पड़ा सोना भी उठा लेना चाहिए। इसी तरह, अगर कोई नीच व्यक्ति से भी उत्तम विद्या मिले तो उसे ग्रहण कर लेना चाहिए, और यदि कोई गुणी स्त्री निम्न कुल से हो तो उसे भी अपनाने में संकोच नहीं करना चाहिए।
चाणक्य का यह विचार बेहद साफ है - किसी भी चीज की कीमत उसकी बाहरी हालत या उत्पत्ति से नहीं, बल्कि उसके गुणों से तय होती है। जैसे सोना गंदगी में गिर जाए तो भी उसकी चमक और कीमत कम नहीं होती, वैसे ही हमें हर चीज को उसके भीतर छिपे गुणों के आधार पर देखना चाहिए।
स्रोत नहीं, ज्ञान देखें
हमारे जीवन में विद्या का स्थान सबसे ऊपर है। चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई ऐसा इंसान, जिसे समाज नीच मानता हो, आपको कुछ सिखा सकता है, तो उससे सीखने में हिचकिचाहट नहीं करनी चाहिए। विद्या की महत्ता इस बात में है कि वह आपके जीवन को संवार सकती है, चाहे वह किसी भी स्रोत से आए। मान लीजिए, कोई अनपढ़ व्यक्ति आपको जिंदगी का कोई ऐसा सबक सिखा दे जो किताबों में न मिले, तो क्या आप उसे ठुकरा देंगे? चाणक्य का जवाब है - नहीं। क्योंकि असली मूल्य उस ज्ञान में है, न कि देने वाले में।
शादी का फैसला, परिवार से ऊपर गुण
शादी जैसा बड़ा फैसला लेते वक्त लोग अक्सर परिवार की हैसियत, रुतबा और सामाजिक स्तर को देखते हैं। लेकिन चाणक्य का नजरिया इससे अलग है। वे कहते हैं कि अगर कोई स्त्री गुणों से भरपूर है - जैसे उसमें समझदारी, धैर्य, और संस्कार हैं, तो उसके परिवार की कमजोरी को नजरअंदाज किया जा सकता है। एक गुणी स्त्री घर को स्वर्ग बना सकती है, जबकि केवल नामी परिवार से आने वाली स्त्री अगर गुणहीन है तो जीवन में परेशानियां बढ़ा सकती है। चाणक्य का यह विचार आज के दौर में भी हमें सोचने पर मजबूर करता है कि रिश्तों में असली आधार क्या होना चाहिए।
जिंदगी में चाणक्य नीति का असर
चाणक्य नीति हमें सिखाती है कि हमें सतही चीजों से ऊपर उठकर गहराई में जाना चाहिए। सोना गंदगी में हो तो उसे धोकर चमकाया जा सकता है, जहर से अमृत निकाला जा सकता है - ठीक वैसे ही इंसानों और परिस्थितियों को भी उनके गुणों की कसौटी पर परखना चाहिए। यह नजरिया न सिर्फ हमें बेहतर इंसान बनाता है, बल्कि कठिन हालात में भी सही रास्ता चुनने की ताकत देता है।
एक सबक जो हमेशा काम आएगा
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर चीजों को जल्दबाजी में आंक लेते हैं। लेकिन चाणक्य का यह संदेश हमें रुककर सोचने की सलाह देता है। अगली बार जब आप किसी इंसान, चीज या मौके को परखें, तो उसके बाहरी रूप या हालात को नहीं, बल्कि उसके गुणों को देखें। यही वो तरीका है जो चाणक्य नीति हमें सिखाती है, ‘सही परख का रास्ता गुणों से होकर जाता है’।