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06-Mar-2025 07:20 PM
By First Bihar
Women's Day 2025: 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। महिला दिवस के बहाने हम ऐसी महिलाओं को इस दिन याद करते हैं जिसने वैश्विक पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। बिहार के सारण जिले की 7 बहनें वर्दी पहनकर देश की सेवा कर रही हैं तो वही उत्तर प्रदेश की 4 सगी बहनें महिला सशक्तिकरण का नायाब उदाहरण दे रही हैं।
हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश में मथुरा सीमा पर स्थित अछनेरा जनपद आगरा के एक गांव रैपुरा की कर रहे हैं। जहां पिता की मौत के बाद मां ने मजदूरी करके अपने चार बेटियों और बेटे को बड़ी मुश्किल से पढ़ाया। बच्चियों ने अपनी मेहनत के दम पर कामयाबी हासिल की। पिता को खो देने के बाद 5 सगे भाई-बहन उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल बन गए।
विश्व महिला दिवस 2025 के मौके पर यूपी की 4 सगी बहनों की सक्सेस स्टोरी उन लोगों के मिसाल है, जो परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के सामने हार मान लेते हैं और असफलताओं से घबराकर घुटने टेक देते हैं। लेकिन इन बहनों ने बेइंतहा गरीबी देखी और दिन-रात मेहनत की। एक दूसरे के नक्शे पर चलते हुए चार बहन और एक सगे भाई ने उत्तर प्रदेश पुलिस ज्वाइन की। लेकिन एक बहन ने कांस्टेबल पद से इस्तीफा देकर टीचर बन गयी।
सफलता हासिल करने वाली बहनों का नाम सुनीता, रंजीता, अंजलि, कुंती और भाई का नाम धीरज है। BBA तक की शिक्षा हासिल करने वाली सुनीता को सबसे पहले 2016 में पुलिस विभाग में नौकरी लगी अभी वह बरेली पुलिस लाइन में तैनात हैं। सुनीता से प्रेरित होकर रंजीता, कुंति और अंजलि ने 2019 में यूपी पुलिस की परीक्षा पास की। रंजीता को यूपी के मलवा थाने में पोस्टिंग मिली लेकिन रंजीता ने बीएड कर रखा था। उसका सपना टीचर बनने का था इसलिए उसने तैयारी जारी रखी। आखिरकार रंजीता का वो सपना भी पूरा हो गया। वो शिक्षक भर्ती परीक्षा भी पास कर गयी और अब पुलिस कांस्टेबल की नौकरी से इस्तीफा देकर टीचर बन गई है। अभी टीचर की ट्रेनिंग चल रही है।
इधर दूसरी बहन रंजीता टीचर बन गयी उधर दो अन्य बहन सिपाही बन गयी। तीसरी और चौधी बहन अंजलि और कुंती यूपी पुलिस की परीक्षा 2019 में पास कर ली। दोनों बहनों की पोस्टिंग फतेहपुर जिले के हुसैनगंज थाने में हुई है। दोनों एक ही थाने में तैनात है। अंजलि इंटर पास है तो वही कुंती ने बीए प्रथम वर्ष तक की पढ़ाई की है। चार बहनों की सफलता को देख भाई भी प्रेरित हुआ और उसका चयन भी पीएसी में कॉस्टेबल के पद पर हो गया। अभी वो ट्रेनिंग ले रहा है। धीरज बीए सेकंड इयर में रहते हुए यह सफलता प्राप्त की।
बता दें कि इनके पिता की मौत सड़क हादसे में 2002 में हो गयी थी। पिता वीरेंद्र सिंह पेशे से किसान थे। उनके जाने के बाद मां ने पांचों बच्चों को मजदूरी करके पढ़ाया। पांचों भाई-बहनों ने भी खूब मेहनत की। इसी का नतीजा है कि आज पांच बहनों के साथ-साथ इकलौता भाई भी सरकारी नौकरी कर रहा है। पांचों ने अपनी अलग पहचान बनाई है। पांचों बच्चों की सफलता से मां काफी खुश है। पति की मौत के बाद मां मछला देवी ने अपने कंधों पर 7 बच्चों की जिम्मेदारी संभाली। उस समय छोटी बेटी अंजलि 10 महीने की थी। सुनीता-8 साल, रंजीता-6, कुंती-2, धीरज-4 साल, दूसरा भाई सुधीर-14 साल का था। वही सबसे बड़ी बहन शशि की शादी पिता की मौत से पहले हो चुकी थी।