डोमिसाइल नीति पर तेजस्वी यादव और आरजेडी की दोहरी सोच बेनकाब: ऋतुराज सिन्हा भाजपा को चाहिए सिर्फ आपका वोट, सीवान में बोले मुकेश सहनी..आपकी तकलीफों से बीजेपी कोई लेना-देना नहीं How to Become Pilot: 12वीं के बाद पायलट बनने का सपना करें पूरा, जानें... कौन सा कोर्स है जरूरी Bihar News: 19 जून को इस जिले में लगेगा रोजगार कैंप, 8वीं पास से लेकर ITI वालों तक के लिए नौकरी Bihar News: शराब मामले में गिरफ्तार महादलित युवक की जेल में मौत, परिजनों का हंगामा Ahmedabad Plane Crash: कौन है 17 वर्षीय नाबालिग, जो विमान हादसे का बना गवाह? पुलिस ने की पूछताछ Bihar Election: NDA में शाह-मात का खेल तेज, नीतीश के मास्टरस्ट्रोक से खतरे में चिराग की पसंदीदा सीटें Bihar News: भूमि अधिग्रहण में मूल्य निर्धारण के लिए नई व्यवस्था, MVR को लेकर जारी हुआ यह निर्देश Bihar Crime News: 22 वर्षीय मूक-बधिर मजदूर की गोली मारकर हत्या, बदमाश फरार Bihar Crime News: 50 करोड़ की चरस के साथ तस्कर गिरफ्तार, पूरे देश में बांटने की थी योजना
02-Mar-2025 05:30 PM
By First Bihar
UP: उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकर को लेकर प्रशासन की सख्ती लगातार देखने को मिल रही है। अदालतों और सरकार द्वारा तय किए गए नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई हो रही है, और पीलीभीत का यह मामला इसी दिशा में एक उदाहरण है। दरअसल उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में एक मौलवी पर केस दर्ज किया गया है। यह केस लाउडस्पीकर के इस्तेमाल करने को लेकर दर्ज किया गया है। जहानाबाद थाना क्षेत्र में एक मस्जिद में बिना प्रशासन की अनुमति के लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने का आरोप है।
रविवार को मौलवी पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जहानाबाद के थानाध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि थाने में तैनात उपनिरीक्षक वरुण की ओर से मौलवी के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। पुलिस कर्मी ने बताया कि शनिवार दोपहर काजीटोला स्थित एक मस्जिद में नमाज के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा रहा था। जबकि मौलवी अशफाक को 25 फरवरी को ही उच्चतम न्यायालय और शासन के आदेशों से अवगत करा दिया गया था। लेकिन उन्होंने लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया।
मस्जिद के मौलवी अशफाक 28 फरवरी की शाम को भी नमाज एवं अजान के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बिना अनुमति के कर रहे थे। उस वक्त माध्यमिक शिक्षा परिषद और अन्य बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटर की परीक्षाएं चल रही थी। लाउडस्पीकर की तेज आवाज से परीक्षार्थियों और गंभीर रूप से बीमार लोगों को परेशानी होती है।
यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता और कानून व्यवस्था के संतुलन से जुड़ा है। जहां एक ओर किसी भी धार्मिक स्थल पर लाउड स्पीकर (ध्वनि विस्तारक यंत्रों ) के इस्तेमाल के लिए प्रशासनिक अनुमति आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर यह भी जरूरी है कि धार्मिक गतिविधियों पर प्रशासनिक कार्रवाई को निष्पक्षता और समानता के साथ लागू किया जाए।
अक्सर देखा गया है कि लाउडस्पीकर को लेकर विवाद तब बढ़ता है जब यह आदेश केवल एक पक्ष पर लागू होता दिखाई देता है। अगर प्रशासन परीक्षा और बीमार लोगों को शोर से बचाने के लिए नियम लागू कर रहा है, तो इसे सभी धर्मों और सार्वजनिक आयोजनों पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। इस मामले में कानून का पालन जरूरी है, लेकिन प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्रवाई किसी विशेष धार्मिक समुदाय को लक्षित न लगे। इससे सामुदायिक सौहार्द बना रहेगा और कानून का सम्मान भी होगा।