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08-Mar-2025 01:04 PM
By First Bihar
Women's day 2025 : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने विकास के कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किए हैं। राज्य में सड़क, बिजली, अस्पताल और शिक्षा के क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। हालांकि, इन क्षेत्रों में अभी भी और काम करने की आवश्यकता है क्योंकि नीतीश कुमार के प्रयास पूरी तरह से मुकम्मल नहीं हैं। नीति आयोग के हालिया आंकड़ों के अनुसार, बिहार अब भी कई अन्य राज्यों की तुलना में पिछड़ा हुआ है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिलाओं के उत्थान के लिए दूरदर्शी सोच की सराहना करनी होगी, जिसने बिहार में सामाजिक बदलाव को एक नई दिशा दी है।
नीतीश सरकार ने छात्राओं को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। जैसे मैट्रिक परीक्षा पास करने पर आर्थिक सहायता के रूप में प्रोत्साहन राशि. वहीं ,साइकिल योजना से भी लड़कियों के स्कूल जाने के प्रति रुचि को बल मिला.इस योजना के तहत छात्राओं को साइकिल खरीदने के लिए आर्थिक सहायता दी गई, जिससे उन्हें स्कूल आने-जाने में सहूलियत हुई। इस योजना ने बिहार में शिक्षा को एक नई दिशा दी और महिलाओं की साक्षरता दर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। आपको बता दे की पिछले एक दशक में बिहार में स्कूल छोड़ने वाली छात्राओं की संख्या में असाधारण गिरावट आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब लड़कियां लगातार उच्च शिक्षा की ओर बढ़ रही हैं, जो राज्य में महिला शिक्षा के विकास का प्रमाण है।
महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए नीतीश सरकार ने जीविका परियोजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत लाखों महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जोड़ा गया, जिससे वे छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रही हैं। जीविका योजना के माध्यम से 13 लाख से अधिक महिलाएं आज आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। इस पहल ने बिहार में महिलाओं के लिए आर्थिक स्वावलंबन का एक सफल मॉडल प्रस्तुत किया है, जिसकी सराहना पूरे देश में की जाती है।
महिलाओं को समाज में बराबरी का हक दिलाने और उन्हें सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनाने के लिए बिहार पुलिस में वर्ष 2013 में 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। इस फैसले के बाद बिहार पुलिस में महिलाओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। वर्ष 2009 में बिहार पुलिस बल में मात्र 893 महिला पुलिसकर्मी कार्यरत थीं, लेकिन आरक्षण लागू होने के बाद वर्तमान में यह संख्या बढ़कर करीब 29,000 हो गई है। बड़ी संख्या में महिला पुलिसकर्मियों की भर्ती से न केवल कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है, बल्कि इससे महिलाओं को अपनी शिकायतें दर्ज कराने में भी सहजता महसूस करने लगी हैं ।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इन प्रयासों ने बिहार की महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का पंख दिया है। ये योजनाएं महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर उन्हें समाज में एक नई पहचान दिलाने में सफल रही हैं। बिहार में महिलाओं के लिए उठाए गए ये कदम राज्य को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में देशभर में एक मिसाल की तरह पेश की जा रही हैं।