बिहार में चुनावी सरगर्मी हुई तेज: शाह-नीतीश की मुलाकात के बाद JDU ने की बैठक, राहुल और तेजस्वी पर साधा निशाना अमित शाह का बेगूसराय दौरा, राहुल-लालू-तेजस्वी पर साधा जमकर निशाना पटना के गर्दनीबाग में 28.66 करोड़ से बनेगा आधुनिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, क्रिकेट की 15 पिचों समेत जिम-हॉल की सुविधा BIHAR NEWS : 'एक दिन एक घंटा एक साथ’, बिहार में ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान शुरू, गंगा तटवर्ती जिलों में पहुँचेगा स्वच्छता संदेश कल BJP के किस नेता का नंबर..? प्रशांत किशोर चौथा किस्त जारी करेंगे, दावा- जो फड़फड़ा रहा वो धाराशाई होकर गिर जाएगा मोबाइल पर पत्नी से बात करने के दौरान युवक ने उठा लिया बड़ा कदम, दो साल पहले किया था लव मैरिज BIHAR NEWS : पटना में DRI की बड़ी कार्रवाई, साधु वेश में वन्यजीव तस्करों का भंडाफोड़; करोड़ों के तेंदुए की खाल बरामद खगड़िया में तेजस्वी यादव की गाड़ी कीचड़ में फंसी, ट्रैक्टर की मदद से निकाला गया New Rail Bridge Bihar: बिहारवासियों को बड़ी खुशखबरी, इस दिन से शुरू होगा यह पुल; तीन जिले के लोगों को मिलेगा सीधा फायदा BIHAR NEWS : बिहार में उद्यमिता को बढ़ावा : मुख्यमंत्री उद्यमी योजना और लघु उद्यमी योजना से अब तक 1.15 लाख से अधिक लाभुकों को मिला सहारा
04-Aug-2025 02:52 PM
By First Bihar
DESK: बिहार के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में 150 रुपये की घड़ी चोरी होने का मामला पूरे 49 साल तक कोर्ट में चला। आरोपी की गुहार के बाद फैसला आया और कोर्ट ने सजा सुनाई। आरोपी के जुर्म कबूलने के बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने दोषी करार देते हुए सभी धाराओं में बिताई गई अवधि की सजा और ढाई हजार रुपये अर्थदंण्ड की सजा सुनाई। जुर्माना भरने के बाद बुजुर्ग और बीमार हो चुका आरोपी घर वापस चला गया।
दरअसल मामला झांसी के टहरौली थाना क्षेत्र के बमनुआ गांव का है। 1976 में एलएसएस सहकारी समिति में चोरी और गबन का मामला दर्ज हुआ था। समिति में मध्यप्रदेश के ग्वालियर के रहने वाले कन्हैयालाल चपरासी के पद पर कार्यरत था। उसके साथ लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ भी काम करते थे। तत्कालीन सचिव बिहारीलाल गौतम ने तीनों के खिलाफ टहरौली थाने में शिकायत दर्ज करायी थी कि तीनों ने 150 रुपए कीमत की एक घड़ी और रसीद बुक चुरा ली है। साथ ही आरोप लगाया था कि इन्होंने सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर करके 14,472 रुपए की वसूली की। लक्ष्मी प्रसाद ने अकेले ही 3887.40 रुपए की रसीद काटी थी। पुलिस ने मामला दर्ज कर तीनों को गिरफ्तार किया और चार्जशीट दाखिल कर दी। बाद में तीनों को जमानत मिल गई।
49 साल की लंबी कानूनी लड़ाई
मुकदमा चलते-चलते लंबा समय लग गया और आरोपी लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ की मौत हो गई। सिर्फ कन्हैया लाल ही जीवित रहा और हर तारीख पर कोर्ट में पेश होता रहा। 23 दिसंबर 2023 को कन्हैया लाल पर आरोप तय हुए, लेकिन फैसला नहीं आया।
3 अगस्त 2025 को आया फैसला
शनिवार (3 अगस्त 2025) को जब फिर से सुनवाई हुई तो कन्हैयालाल अदालत में हाजिर हुआ। उसने जज साहेब से कहा कि "हुजूर, मैं बहुत बुढ़ा हो गया हूं और अक्सर बीमार रहता हूं। हर बार तारीख पर आना मेरे लिए मुश्किल हो रहा है। मैं अपना जुर्म कबूल करता हूं, लेकिन कृपया मुझे कम से कम सजा दी जाए।
कोर्ट का फैसला
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुन्नालाल ने कन्हैयालाल को दोषी करार देते हुए उसे अब तक जेल में बिताई गई अवधि को ही सजा माना साथ ही ढाई हजार रूपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना भरने के बाद कन्हैयालाल अदालत से घर लौट गया, और आखिरकार यह 49 साल पुराना मामला अपने अंजाम तक पहुंचा।