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Bihar News: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच गयाजी में एक साथ बैठकर किया पिंडदान, विदेशी श्रद्धालुओं ने निभाई भारतीय परंपरा

Bihar News: बिहार के गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला इस वर्ष एक ऐतिहासिक और अद्भुत दृश्य का साक्षी बना है, जब रूस और यूक्रेन युद्धग्रस्त देशों के श्रद्धालुओं ने एक साथ बैठकर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया।

Bihar News

18-Sep-2025 03:31 PM

By First Bihar

Bihar News: बिहार के गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला इस वर्ष एक ऐतिहासिक और अद्भुत दृश्य का साक्षी बना है, जब रूस और यूक्रेन युद्धग्रस्त देशों के श्रद्धालुओं ने एक साथ बैठकर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। फल्गु नदी के तट स्थित देवघाट पर गुरुवार को रूस, यूक्रेन, अमेरिका और स्पेन से आए कुल 17 विदेशी श्रद्धालुओं ने विधिपूर्वक तर्पण और पिंडदान किया। इस भावपूर्ण अनुष्ठान में 3 पुरुष और 14 महिलाएं शामिल रहीं, जो पारंपरिक भारतीय परिधानों में सजी-धजीं, पूर्ण श्रद्धा भाव से मंत्रोच्चार के साथ अनुष्ठान करती दिखीं।


यह धार्मिक अनुष्ठान गयापाल पंडा मनोज लाल टइयां की अगुवाई में संपन्न हुआ। श्रद्धालुओं ने विष्णुपद मंदिर में भगवान विष्णु का पूजन कर आशीर्वाद भी प्राप्त किया। विदेशी श्रद्धालुओं ने पितृपक्ष मेले को हिन्दू संस्कृति का जीवंत प्रतीक बताया और कहा कि गयाजी की आध्यात्मिक ऊर्जा और पारंपरिक अनुष्ठान उन्हें आत्मिक शांति प्रदान कर रहे हैं।


विदेशी श्रद्धालु सियाना ने गयाजी की संस्कृति से प्रभावित होकर कहा, “यह मेरे जीवन का एक अविस्मरणीय अनुभव है। यहां की आध्यात्मिकता और पितरों के प्रति सम्मान ने मेरे मन को गहराई से छू लिया है।” उन्होंने कहा कि इस धार्मिक नगरी में आकर भारतीय संस्कृति को समझने और उसे आत्मसात करने का एक अनुपम अवसर मिला।


गया जिला प्रशासन से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, अब तक लगभग 25 लाख 19 हजार श्रद्धालु गयाजी पहुंच चुके हैं और अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान कर चुके हैं। प्रतिदिन देवघाट, अक्षयवट, रामशिला और प्रेतशिला वेदियों पर देश-विदेश से आए श्रद्धालु बड़ी संख्या में पिंडदान करते नजर आ रहे हैं। प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतज़ाम किए गए हैं, जिनमें सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधा, पेयजल, स्वच्छता और रात्रि विश्राम की समुचित व्यवस्था शामिल है।


रूस और यूक्रेन के श्रद्धालुओं का एक साथ बैठकर पिंडदान करना न केवल एक अद्भुत दृश्य था, बल्कि यह इस बात का प्रतीक भी बना कि आस्था और संस्कृति की शक्ति सीमाओं और युद्ध जैसी परिस्थितियों से कहीं ऊपर होती है। यह क्षण गयाजी की "मोक्ष नगरी" की पहचान को और भी प्रबल करता है, जहां हर जाति, धर्म और देश का व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए एकत्र होता है। इस वर्ष का पितृपक्ष मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बना, बल्कि वैश्विक एकता, सांस्कृतिक समरसता और आध्यात्मिक चेतना का संदेश भी पूरी दुनिया को देता नजर आया।

गयाजी से नीतम राज की रिपोर्ट