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01-Feb-2025 03:24 PM
By Viveka Nand
Bihar Politics: नीतीश कुमार जैसी ईमानदारी और शासकीय सूझबूझ किसी दूसरे में नहीं. 2025 से 2030 के लिए पूरा बिहार सीएम के रूप में नीतीश कुमार के अगले कार्यकाल की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा है. जदयू प्रवक्ता नवल शर्मा ने जद यू के ऑफिशियल सोशल मीडिया पेज से लाइव संवाद करते हुए ये बातें कहीं.
जनता नीतीश कुमार के अगले कार्यकाल की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही-जेडीयू
जेडीयू प्रवक्ता नवल शर्मा ने कहा कि 2025 से 2030 के लिए पूरा बिहार सीएम के रूप में नीतीश कुमार के अगले कार्यकाल की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा है.बिहार के लोग 2005 से ही नीतीश कुमार के प्रशासकीय पुरुषार्थ के मुरीद रहे हैं. वो जानते हैं कि ऐसी ईमानदारी और शासकीय सूझबूझ दूर दूर तक किसी दूसरे नेता में नहीं है.बिहार को देश के विकसित राज्यों की अग्रिमपंक्ति में खड़ा करने का हुनर यदि किसी एक नेता में है तो वो नीतीश कुमार हैं । बिहार के बड़े अर्थशास्त्री भी नीतीश कुमार की अर्थव्यवस्था की बारीक समझदारी की प्रशंसा करते नहीं थकते हैं ।
कुछ लोग नीतीश कुमार के बारे में भ्रम फैला रहे-जेडीयू
बिहार के लोग हैरत में हैं इस बात को देखकर की मुख्यमंत्री बनने के मुंगेरीलाल जैसे सपने देख रहे लोग इतनी जल्दी बाजी में है की नीतीश कुमार जी के बारे में भ्रम फैलाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे , उनके उम्र को लेकर , स्वास्थ्य को लेकर कितना नीचे जाकर भ्रम फैलाने में लगे हैं । वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार इन सारी बातों से बेपरवाह अपनी अलग ही धुन में लगे हैं, और वह धुन है बिहार के विकास की धुन । किसी के सवालों का कोई जवाब नहीं , बस एक साइलेंट परफॉर्मर की तरह दिन-रात बिहार के विकास की धुन में मगन इसलिए कहा जाता है कि नीतीश कुमार का काम बोलता है जुबान नहीं । नीतीश कुमार के व्यक्तित्व का दायरा इतना व्यापक है, उनकी प्रशासनिक कार्य शैली इतनी निष्पक्ष और रिजल्ट ओरिएंटेड है कि उनके पास फालतू बातों का जवाब देने के लिए कोई समय नहीं है । बिहार के जितने बड़े ब्यूरोक्रेट हैं वह सब जानते हैं कि नीतीश कुमार को हर हाल में रिजल्ट चाहिए उन्हें न सुनना पसंद नहीं है ।
गांधी से मौन संवाद करने का नैतिक बल किसमें हैं..?
उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने स्वरोजगार के माध्यम से जीविका दीदियों के जीवन में आई खुशहाली को देखकर कहा की कितना बढ़िया कपड़ा पहनती हैं, कितना बढ़िया आत्म सम्मान से बोलती हैं . इसको भी लोगों ने गलत तरीके से पेश कर दिया । गांधी जयंती के अवसर पर जब सीएम अपने मौन से बाहर निकले तो उन्हें एकबारगी लगा कि कार्यक्रम खत्म हो गया और उन्होंने हल्की सी क्लैपिंग कर दी. बस इसको लेकर बात का बतंगड़ बना दिया. अरे भाई विपक्ष को जवाब तो यह देना चाहिए की गांधी से मौन संवाद करने का नैतिक बल किसमें है ; नीतीश कुमार में है या तेजस्वी यादव में है । जिस व्यक्ति ने बिहार में शराबबंदी, बाल विवाह , दहेज प्रथा , खुले में सोच से मुक्ति , जैसे गांधीवादी आदर्शों का संकल्प लिया और उसे जमीन पर उतारने में लगे हैं वो गांधी के वह ज्यादा करीब हैं या फिर वह राष्ट्रीय जनता दल और उसके नेता, जिनके हाथ बिहार के 100 से भी ज्यादा सत्ता प्रायोजित नरसंहारों के खून में रंगे हैं, या फिर वह प्रशांत किशोर, जिस व्यक्ति की कोई वैचारिक प्रतिबद्धता नहीं है.
जनता को काम पसंद है , लफ्फाजी नहीं-जेडीयू
आज तक, जिस प्रशांत किशोर का इतिहास पैसा लेकर लोगों को सेवा देने का रहा है चाहे उनके ग्राहक का ' आईडियोलॉजिकल एफीलिएशन ' कुछ भी क्यों ना हो, कैसा भी क्यों ना हो । दक्षिणपंथी हो या वामपंथी हो , पैसा दो सब चलेगा । जो व्यक्ति गांधी मूर्ति के सामने बैठकर बिहार से शराबबंदी खत्म करने की बात करता है । कितनी हास्यास्पद बात है, ऐसे लोग गांधी जयंती के दिन मुख्यमंत्री जी के निश्चल और अनायास शारीरिक भंगिमा को आधार बनाकर गलत नरेटिव बनाने में लगे हैं । लेकिन उन सबकी चुनावी दुर्गति तय है , क्योंकि बिहार की जनता राजनीतिक रूप से काफी परिपक्व है, उन्हें काम पसंद है , लफ्फाजी नहीं ।