Bihar Politics: VIP ने सुपौल के छातापुर में चलाया सघन जनसंपर्क अभियान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजीव मिश्रा हुए शामिल महागठबंधन की बैठक में CM फेस पर फिर चर्चा नहीं: तेजस्वी को जवाब नहीं सूझा, कहा-पिछली ही बैठक में सब तय हुआ था, होशियार लोग समझ रहे हैं Bihar Rain Alert: बिहार में बदलेगा मौसम का मिजाज, 26 से 30 अप्रैल तक होगी आंधी-बारिश Bihar Crime News: संत पॉल एकेडमी में महिला सफाईकर्मी के साथ रेप, स्कूल के शिक्षक पर जबरन दुष्कर्म करने का आरोप Bihar News: थाने का ड्राइवर ही निकला गांजा तस्कर, SP की नजरों में आने के बाद हुआ खुलासा Bihar News: बिहार के CRPF जवान की आत्महत्या से हड़कंप, बैरक में सर्विस रायफल से समाप्त की जीवन लीला PSL 2025 Broadcast Suspended: पाकिस्तान के खिलाफ एक और बड़ा फैसला, अब भारत में नहीं दिखेंगे पाक में होने वाले मैच Pahalgam Terrorist Attack: आतंकी हमले में मारे गये IB अफसर मनीष रंजन के परिजनों से मिली पवन सिंह की पत्नी, बोलीं..कायराना हरकत करने वालों को दें मुंहतोड़ जवाब Bihar News: बिहार के एक SDO को नहीं मिली राहत, DM की रिपोर्ट पर मिली थी सजा Cricket News: “युवराज उसे क्रिस गेल बना देगा”, अर्जुन तेंदुलकर पर योगराज सिंह का बड़ा बयान, फैंस बोले “चाचा, वो गेंदबाज है”
03-Mar-2025 07:31 AM
By First Bihar
नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि भारत में रोजगार तो बढ़ रहा है, लेकिन नियमित नौकरियों में वेतन की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। महंगाई के मुकाबले वेतन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है, जिसका असर कर्मचारियों की क्रय शक्ति पर पड़ रहा है।
विरमानी ने पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पिछले सात सालों में श्रमिक-जनसंख्या अनुपात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में यह अनुपात 34.7% था, जो 2023-24 में बढ़कर 43.7% हो गया। इसका मतलब यह है कि रोजगार तो बढ़ा है, लेकिन वास्तविक वेतन में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है।
पीएलएफएस के मुताबिक कैजुअल वर्कर्स की स्थिति में सुधार हुआ है और उनका वेतन बढ़ा है। लेकिन नियमित वेतन पाने वाले कर्मचारियों की असली समस्या यह है कि सात सालों में महंगाई के अनुरूप उनका वेतन नहीं बढ़ा है।
विरमानी ने कहा कि कौशल की कमी वेतन वृद्धि में ठहराव का एक बड़ा कारण है। उन्होंने कहा, "हम कुशल नौकरियां उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। यही वजह है कि कर्मचारियों का वेतन महंगाई के साथ तालमेल नहीं रख पा रहा है।" उन्होंने दूसरे देशों के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारत को कौशल विकास पर तेजी से काम करने की जरूरत है।
केंद्र सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है, लेकिन राज्यों को भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी। जिला स्तर पर प्रशिक्षण और रोजगार संबंधी कार्यक्रमों को मजबूत करना जरूरी है, क्योंकि रोजगार का वास्तविक सृजन वहीं होता है।
अरविंद विरमानी ने यह भी कहा कि राज्यों के लिए निवेश अनुकूल सूचकांक के दूसरे चरण पर काम चल रहा है और इसे अगले एक-दो महीने में जारी कर दिया जाएगा। इस सूचकांक का उद्देश्य निवेश में बाधा डालने वाले नियमों की समीक्षा करना और निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।
अगर भारत को उच्च वेतन वाली नौकरियां पैदा करनी हैं, तो कौशल विकास और निजी निवेश बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। अन्यथा, रोजगार बढ़ने के बावजूद, श्रमिक बढ़ती मुद्रास्फीति के प्रति संवेदनशील बने रहेंगे।