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Bihar education: बिहार के इस स्कूल के सचिव थे राष्ट्रपति... और छात्रा रहीं थीं राज्यपाल

Bihar education: बिहार के लखीसराय जिले का एक ऐतिहासिक शिक्षण संस्थान वालिका विद्यापीठ जिसकी स्थापना भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के मार्गदर्शन में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के के उदेश्य से की गयी थी .

बालिका विद्यापीठ, लखीसराय, बिहार, प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान, राजेंद्र प्रसाद, महिला शिक्षा, मृदुला सिन्हा, गोवा की पूर्व राज्यपाल, CBSE बोर्ड, आवासीय विद्यालय, गौशाला, शुद्ध दूध, खेती प्रशिक्षण, सब्जी

10-Mar-2025 01:24 PM

By First Bihar

Bihar education: बिहार के लखीसराय जिले में स्थित बालिका विद्यापीठ एक ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान है, जहां छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाती है। इस विद्यालय का गौरवशाली इतिहास और उच्च शिक्षण गुणवत्ता इसे बिहार के चुनिंदा प्रतिष्ठित स्कूलों में शामिल करता है। यहां प्रवेश पाना हर छात्रा का सपना होता है, और इसकी लोकप्रियता पूरे देशभर में फैली हुई है।

इतिहास और स्थापना

बालिका विद्यापीठ की स्थापना भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के मार्गदर्शन में हुई थी। इस विद्यालय की स्थापना का उद्देश्य महिला शिक्षा को बढ़ावा देना था, और यह आज भी अपने उसी उद्देश्य के साथ शिक्षा प्रदान कर रहा है।यह विद्यालय बिहार का एक ऐसा दुर्लभ शिक्षण संस्थान है, जहां देशभर के बच्चे पढ़ाई के लिए लालायित रहते हैं। इस स्कूल के कई छात्र-छात्राओं ने समाज के विकास में अहम भूमिका निभाई है। आपको बता दें कि इस विद्यालय की प्रतिष्ठा को और बढ़ाने वाली प्रमुख हस्तियों में प्रसिद्ध साहित्यकार और गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा भी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा यहीं से प्राप्त की थी।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है संस्थान विशेषता

बालिका विद्यापीठ छात्राओं को न केवल शैक्षणिक रूप से बल्कि नैतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों के साथ भी तैयार करता है। यह विद्यालय CBSE बोर्ड से संबद्ध है, जिससे छात्राओं को राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा का लाभ मिलता है।यह विद्यालय छात्राओं के व्यक्तित्व और क्रिटिकल थिंकिंग को भी विकसित करने पर विशेष जोर देता है।विशेष रूप से यह एक आवासीय विद्यालय है, जहां छात्राओं के लिए रहने, खाने, खेलने और सुरक्षा के बेहतरीन इंतजाम किए गए हैं।वहीं विद्यालय परिसर में एक गौशाला भी है, जहां से छात्राओं को शुद्ध दूध उपलब्ध कराया जाता है।साथ ही, यहां छात्राओं को खेती करने और सब्जी उगाने के गुर भी सिखाए जाते हैं, ताकि वे बड़े होकर समाज के विकास में योगदान दे सकें।

प्रवेश प्रक्रिया और शुल्क

बालिका विद्यापीठ में प्रवेश के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाता है। इच्छुक छात्राएं प्रवेश परीक्षा के माध्यम से यहां दाखिला ले सकती हैं।फीस संरचना: बालिका विद्यापीठ में शिक्षा का खर्च तुलनात्मक रूप से किफायती है, जिससे मध्यमवर्गीय परिवार भी अपनी बेटियों को यहां पढ़ा सकते हैं। विद्यालय के आवासीय शुल्क (हॉस्टल फीस) की बात करें तो यह लगभग ₹80,000 प्रति वर्ष है।

बालिका विद्यापीठ, लखीसराय न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसकी उच्च शिक्षा गुणवत्ता और समग्र विकास पर दिया जाने वाला ध्यान इसे बिहार के सबसे खास और प्रतिष्ठित स्कूलों में शामिल करता है। यही कारण है कि यहां प्रवेश पाना काफी कठिन होता है, और हर छात्रा का सपना होता है कि उसे इस प्रतिष्ठित विद्यालय में पढ़ने का अवसर मिले।