ब्रेकिंग न्यूज़

NEET की तैयारी को लेकर रांची में Goal Institute का सेमिनार, विशेषज्ञों ने दिये सफलता के टिप्स विश्व फिजियोथेरेपी दिवस पर बोले अनिल सुलभ..बिहार को इस चिकित्सा पद्धति से इंडियन इंस्टीच्युट ने अवगत कराया बिहार ने 20 सालों में विकास का नया आयाम हासिल किया: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय बिहार ने 20 सालों में विकास का नया आयाम हासिल किया: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी ने कोलकाता में की रेटिना की जटिल LIVE सर्जरी, बने बिहार के पहले नेत्र रोग विशेषज्ञ Bihar Police News: अपराधियों को गिरफ्तार करने में बिहार पुलिस ने बनाया रिकॉर्ड, 7 महीनों में 2.28 लाख अभियुक्तों को अरेस्ट करने का दावा Bihar Police News: अपराधियों को गिरफ्तार करने में बिहार पुलिस ने बनाया रिकॉर्ड, 7 महीनों में 2.28 लाख अभियुक्तों को अरेस्ट करने का दावा BIHAR: अवैध बालू खनन पर पटना पुलिस का शिकंजा, हथियार के साथ आधा दर्जन अपराधी गिरफ्तार छपरा में महावीरी अखाड़ा के समापन पर निकाली गई शोभायात्रा, आस्था के नाम पर परोसी गई अश्लीलता Bihar News: बिहार के इस जिले में सड़क निर्माण को मिली मंजूरी, पर्यटन और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

Trump Tariff: अमेरिका को बिहार से 250 करोड़ रुपये का निर्यात खतरे में, नए शुल्क से प्रभावित होगा व्यापार

Trump Tariff: अमेरिका द्वारा भारत पर आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ाने के फैसले का असर अब सीधे तौर पर बिहार के निर्यात पर पड़ने जा रहा है। इस ‘ट्रंप टैरिफ’ के कारण बिहार से अमेरिका को होने वाला करीब 250 करोड़ सालाना का निर्यात प्रभावित हो सकता है।

Trump Tariff: अमेरिका को बिहार से 250 करोड़ रुपये का निर्यात खतरे में, नए शुल्क से प्रभावित होगा व्यापार

27-Aug-2025 07:36 AM

By First Bihar

Trump Tariff: अमेरिका द्वारा भारत पर आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ाने के फैसले का असर अब सीधे तौर पर बिहार के निर्यात पर पड़ने जा रहा है। इस ‘ट्रंप टैरिफ’ के कारण बिहार से अमेरिका को होने वाला करीब 250 करोड़ सालाना का निर्यात प्रभावित हो सकता है। खासकर मखाना, लीची, हल्दी, मधुबनी पेंटिंग, जर्दालु आम, भागलपुरी सिल्क और अन्य हस्तशिल्प उत्पादों की मांग पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है।


दरअसल, देश के कुल मखाना उत्पादन का 80% से अधिक बिहार में होता है, और स्थानीय खपत के बाद जो मखाना निर्यात होता है, उसमें से 25% हिस्सा अकेले अमेरिका भेजा जाता है। यह मात्रा करीब 600 टन प्रति वर्ष है। ऐसे में टैरिफ लागू होने से इसकी कीमत बढ़ेगी, जिससे अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा। मखाना निर्यातक सत्यजीत सिंह का कहना है कि उत्पादन पहले से ही मांग के मुकाबले कम है। अगर अमेरिका से ऑर्डर घटते हैं, तो हम दूसरे देशों की ओर रुख करेंगे। लेकिन इसके लिए नए बाजार ढूंढने होंगे, जो आसान नहीं है।


बिहार से अमेरिका को हर साल 50 लाख से 1 करोड़ के बीच की मधुबनी पेंटिंग, मंजूषा कला और कंटेम्परेरी आर्ट का निर्यात होता है। उपेन्द्र महारथी शिल्प संस्थान के पूर्व निदेशक अशोक कुमार सिन्हा के अनुसार, "डाकघर निर्यात केंद्र में दर्जनों कलाकार पंजीकृत हैं जो नियमित रूप से अमेरिका को अपनी कला सामग्री भेजते हैं। टैरिफ बढ़ने से इनकी प्रतिस्पर्धा कमजोर हो सकती है।"


बिहटा ड्राइपोर्ट से इस वर्ष अमेरिका को हल्दी भी भेजी गई है। इसके अलावा मुजफ्फरपुर की लीची, भागलपुरी सिल्क, कतरनी चावल, और हैंडलूम कपड़े जैसी चीजें भी अमेरिका में लोकप्रिय हैं। लेकिन बढ़े हुए आयात शुल्क के कारण इन उत्पादों की कीमत बढ़ेगी, जिससे अमेरिका में उनकी मांग 30% तक घट सकती है। बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष पीके अग्रवाल कहते हैं, "टैरिफ बढ़ने से ऑर्डर में गिरावट आ सकती है। भारतीय सामान अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। इसका विकल्प खोजना जरूरी है।"


बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष इसे सीमित प्रभाव वाला कदम मानते हैं। उनके मुताबिक, बिहार से निर्यात की मात्रा बहुत ज्यादा नहीं है। मखाना, चावल, आम और लीची की मांग दुनिया भर में है। इसलिए पूरी तरह नकारात्मक असर की आशंका नहीं है।


निर्यातकों का मानना है कि अगर केंद्र और राज्य सरकारें जल्द कदम नहीं उठातीं, तो बिहार के किसानों और कारीगरों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। सुझाव दिए जा रहे हैं कि मखाना जैसे सुपरफूड को GI टैग के साथ प्रमोट किया जाए। मधुबनी पेंटिंग और हस्तशिल्प उत्पादों के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा दिया जाए। नई ट्रेड डील के ज़रिए वैकल्पिक बाज़ारों तक पहुंच बनाई जाए और निर्यात पर सब्सिडी या शिपिंग सहायता दी जाए। 


‘ट्रंप टैरिफ’ के कारण भारत-अमेरिका व्यापार में नए तनाव पैदा हुए हैं, जिनका सीधा असर बिहार जैसे राज्यों पर हो रहा है। हालांकि विकल्प मौजूद हैं, लेकिन उनके लिए सरकारी सहयोग, रणनीतिक योजना और निर्यातकों की तत्परता बेहद जरूरी होगी