भारत की कार्रवाई के खिलाफ पाकिस्तान ने उठाए कदम, एयरस्पेस और वाघा बॉर्डर को किया बंद Pahalgam Terror Attack: ढाबे वाले की गलती ने बचा ली 11 लोगों की जान, पहलगाम हमले में बाल-बाल बचे पर्यटकों की आपबीती Bihar Politics: VIP ने सुपौल के छातापुर में चलाया सघन जनसंपर्क अभियान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजीव मिश्रा हुए शामिल महागठबंधन की बैठक में CM फेस पर फिर चर्चा नहीं: तेजस्वी को जवाब नहीं सूझा, कहा-पिछली ही बैठक में सब तय हुआ था, होशियार लोग समझ रहे हैं Bihar Rain Alert: बिहार में बदलेगा मौसम का मिजाज, 26 से 30 अप्रैल तक होगी आंधी-बारिश Bihar Crime News: संत पॉल एकेडमी में महिला सफाईकर्मी के साथ रेप, स्कूल के शिक्षक पर जबरन दुष्कर्म करने का आरोप Bihar News: थाने का ड्राइवर ही निकला गांजा तस्कर, SP की नजरों में आने के बाद हुआ खुलासा Bihar News: बिहार के CRPF जवान की आत्महत्या से हड़कंप, बैरक में सर्विस रायफल से समाप्त की जीवन लीला PSL 2025 Broadcast Suspended: पाकिस्तान के खिलाफ एक और बड़ा फैसला, अब भारत में नहीं दिखेंगे पाक में होने वाले मैच Pahalgam Terrorist Attack: आतंकी हमले में मारे गये IB अफसर मनीष रंजन के परिजनों से मिली पवन सिंह की पत्नी, बोलीं..कायराना हरकत करने वालों को दें मुंहतोड़ जवाब
24-Feb-2025 06:08 PM
By First Bihar
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA ने इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें टेस्ला की भारत में एंट्री और इसके प्रभाव का गहन विश्लेषण किया गया है। भारत में टेस्ला की राह आसान नहीं होगी। आयात शुल्क, किफायती कीमतों की कमी और स्थानीयकरण की आवश्यकता कुछ ऐसी चुनौतियां हैं, जो कंपनी के लिए दिक्कतें खड़ी कर सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में $40,000 से अधिक की कारों पर 110% आयात शुल्क लगाया जाता है, जो टेस्ला के वाहनों की कीमत को और भी अधिक महंगा बना देगा। इसका असर सीधे तौर पर भारतीय बाजार में टेस्ला की बिक्री पर पड़ सकता है, क्योंकि भारतीय कंज्यूमर आमतौर पर ₹15 लाख से कम के वाहन खरीदने को प्राथमिकता देते हैं।
अभी के लिए, टेस्ला का सबसे किफायती मॉडल, Model 3, जिसकी कीमत लगभग $35,000 है, भारत में ₹35-40 लाख के बीच बेचा जाएगा, जो इसे महिंद्रा XEV 9e, हुंडई ई-क्रेटा और अन्य घरेलू EV मॉडल्स से 20-50% अधिक महंगा बना देगा। इस कारण टेस्ला को भारतीय ग्राहकों की रुचि जीतने में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। भारत में EV की पैठ अभी बहुत कम है। जबकि चीन और अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी क्रमशः 30% और 9.5% है, भारत में यह सिर्फ 2.4% है। Tata Motors इस सेगमेंट में अग्रणी भूमिका निभा रही है, और MG Motors जैसे ब्रांड्स भी भारतीय EV बाजार में तेजी से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक भारत में बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (BEVs) की हिस्सेदारी बढ़कर 20% तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, इस तेजी से बढ़ते EV बाजार में टेस्ला की हिस्सेदारी 10-20% तक हो सकती है, लेकिन यह कुल पैसेंजर वाहन बाजार में सिर्फ 2-5% हिस्सेदारी हासिल कर सकेगी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टेस्ला को भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करनी होगी। यह कदम आयात शुल्क को कम करने और कीमतों को ग्राहकों के लिए सस्ती बनाने में मदद कर सकता है। भारत की EV नीति के तहत, टेस्ला को ₹4,150 करोड़ ($500 मिलियन) का निवेश करना होगा, ताकि उसे आयात शुल्क में कुछ राहत मिल सके। भारत में टेस्ला की सफलता कई कारकों पर निर्भर करेगी, जिनमें सरकारी नीतियां, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण प्रमुख हैं। सरकार द्वारा दिए जाने वाले इन्सेंटिव्स, जैसे कि सब्सिडी और टैक्स में राहत, टेस्ला के लिए एक बड़ा सहारा साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, देशभर में चार्जिंग स्टेशन का नेटवर्क मजबूत होने पर इलेक्ट्रिक वाहनों की स्वीकार्यता बढ़ सकती है।
कुल मिलाकर, Tesla का भारत में प्रवेश प्रीमियम सेगमेंट को आकर्षित करने और इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति भारतीय उपभोक्ताओं की सोच को बदलने में मदद कर सकता है। हालांकि, किफायती मूल्य निर्धारण, स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग और आयात शुल्क जैसी चुनौतियों का सामना करते हुए, इसकी सफलता भारतीय बाजार में बहुत हद तक सरकारी नीतियों और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर करेगी। अगर टेस्ला इन समस्याओं का समाधान ढूंढने में सफल होती है, तो वह न केवल भारतीय EV बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सकती है, बल्कि ऑटो सेक्टर में भी एक नए युग की शुरुआत कर सकती है। लेकिन क्या यह महिंद्रा, टाटा और हुंडई जैसी स्थानीय कंपनियों के लिए खतरे की घंटी साबित होगा? यह सवाल आने वाले समय में उत्तर पाएगा।