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भारत में Tesla की एंट्री: चुनौतियों के बीच क्या है ऑटो सेक्टर का भविष्य?

दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के लिए पहचानी जाने वाली कंपनी Tesla अब भारत में अपनी एंट्री के लिए तैयार है, लेकिन क्या इसका असर भारतीय ऑटो सेक्टर पर उतना प्रभावी होगा, जितना की उम्मीद की जा रही है?

Tesla in India

24-Feb-2025 06:08 PM

By First Bihar

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA ने इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें टेस्ला की भारत में एंट्री और इसके प्रभाव का गहन विश्लेषण किया गया है। भारत में टेस्ला की राह आसान नहीं होगी। आयात शुल्क, किफायती कीमतों की कमी और स्थानीयकरण की आवश्यकता कुछ ऐसी चुनौतियां हैं, जो कंपनी के लिए दिक्कतें खड़ी कर सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में $40,000 से अधिक की कारों पर 110% आयात शुल्क लगाया जाता है, जो टेस्ला के वाहनों की कीमत को और भी अधिक महंगा बना देगा। इसका असर सीधे तौर पर भारतीय बाजार में टेस्ला की बिक्री पर पड़ सकता है, क्योंकि भारतीय कंज्यूमर आमतौर पर ₹15 लाख से कम के वाहन खरीदने को प्राथमिकता देते हैं।

अभी के लिए, टेस्ला का सबसे किफायती मॉडल, Model 3, जिसकी कीमत लगभग $35,000 है, भारत में ₹35-40 लाख के बीच बेचा जाएगा, जो इसे महिंद्रा XEV 9e, हुंडई ई-क्रेटा और अन्य घरेलू EV मॉडल्स से 20-50% अधिक महंगा बना देगा। इस कारण टेस्ला को भारतीय ग्राहकों की रुचि जीतने में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। भारत में EV की पैठ अभी बहुत कम है। जबकि चीन और अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी क्रमशः 30% और 9.5% है, भारत में यह सिर्फ 2.4% है। Tata Motors इस सेगमेंट में अग्रणी भूमिका निभा रही है, और MG Motors जैसे ब्रांड्स भी भारतीय EV बाजार में तेजी से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक भारत में बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (BEVs) की हिस्सेदारी बढ़कर 20% तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, इस तेजी से बढ़ते EV बाजार में टेस्ला की हिस्सेदारी 10-20% तक हो सकती है, लेकिन यह कुल पैसेंजर वाहन बाजार में सिर्फ 2-5% हिस्सेदारी हासिल कर सकेगी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टेस्ला को भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करनी होगी। यह कदम आयात शुल्क को कम करने और कीमतों को ग्राहकों के लिए सस्ती बनाने में मदद कर सकता है। भारत की EV नीति के तहत, टेस्ला को ₹4,150 करोड़ ($500 मिलियन) का निवेश करना होगा, ताकि उसे आयात शुल्क में कुछ राहत मिल सके। भारत में टेस्ला की सफलता कई कारकों पर निर्भर करेगी, जिनमें सरकारी नीतियां, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण प्रमुख हैं। सरकार द्वारा दिए जाने वाले इन्सेंटिव्स, जैसे कि सब्सिडी और टैक्स में राहत, टेस्ला के लिए एक बड़ा सहारा साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, देशभर में चार्जिंग स्टेशन का नेटवर्क मजबूत होने पर इलेक्ट्रिक वाहनों की स्वीकार्यता बढ़ सकती है।

कुल मिलाकर, Tesla का भारत में प्रवेश प्रीमियम सेगमेंट को आकर्षित करने और इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति भारतीय उपभोक्ताओं की सोच को बदलने में मदद कर सकता है। हालांकि, किफायती मूल्य निर्धारण, स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग और आयात शुल्क जैसी चुनौतियों का सामना करते हुए, इसकी सफलता भारतीय बाजार में बहुत हद तक सरकारी नीतियों और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर करेगी। अगर टेस्ला इन समस्याओं का समाधान ढूंढने में सफल होती है, तो वह न केवल भारतीय EV बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सकती है, बल्कि ऑटो सेक्टर में भी एक नए युग की शुरुआत कर सकती है। लेकिन क्या यह महिंद्रा, टाटा और हुंडई जैसी स्थानीय कंपनियों के लिए खतरे की घंटी साबित होगा? यह सवाल आने वाले समय में उत्तर पाएगा।