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18-Aug-2025 04:49 PM
By First Bihar
Bihar News: दिल के अरमां आंसुओं में बह गए! मनोनीत होने के साथ ही राज्यमंत्री कहलाना-लिखना शुरू कर चुके सत्ताधारी नेताओं को नीतीश सरकार ने ऐसा झटका दिया, जिसकी कल्पना भी नहीं की होगी. सरकार के आदेश से ऐसे औंधे मुंह गिरेंगे, सपने में भी नहीं सोचा होगा. अब नेताजी लोग गलती से भी खुद को राज्यमंत्री नहीं कहेंगे, राज्य मंत्री तो दूर उप मंत्री , उप मंत्री की बात छोड़िए, दर्जा प्राप्त उप मंत्री भी नहीं कह-लिख सकेंगे. नीतीश सरकार के एक पत्र से सत्ताधारी नेता चारो खाने चित्त हो गए हैं.
जून 2025 में नागरिक परिषद का हुआ था गठन
नीतीश सरकार ने 23 जून 2025 को बिहार नागरिक परिषद का गठन किया था. इस परिषद के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री होते हैं. मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग ने बिहार राज्य नागरिक परिषद में दो उपाध्यक्ष, सात महासचिव एवं 21 सदस्यों को मनोनीत करने की अधिसूचना जारी की थी. उपाध्यक्ष, महासचिव और सदस्यों को दी जाने वाली सुविधा को लेकर मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग ने 14 अगस्त को अधिसूचना जारी की है. जिसमें नागरिक परिषद के उपाध्यक्षों को बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के समरूप वेतन एवं सुविधा दी जाएगी .
महासचिवों को न राज्यमंत्री का दर्जा मिला न उप मंत्री का
कैबिनेट सचिवालय की अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य नागरिक परिषद के महासचिवों को बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों के समान 'मानदेय' निर्धारित किया गया है. यानि इन्हें वेतन की बजाय मानदेय मिलेगा. जबकि उपाध्यक्ष को वेतन व अन्य सुविधा दी जायेगी. बिहार राज्य नागरिक परिषद के सदस्यों को प्रतिमाह सिर्फ ₹30000 मानदेय मिलेगा.
उपाध्यक्ष को बीपीएससी अध्यक्ष वाला वेतन व सुविधा
बता दें, बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष को बिहार के मुख्य सचिव स्तर की सुविधा दी जाती है. वहीं बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों को प्रधान सचिव रैंक का वेतन व अन्य सुविधा दी जाती है. इस तरह से नागरिक परिषद के उपाध्यक्ष और राज्य नागरिक परिषद के महासचिवों को न तो राज्यमंत्री का दर्जा मिला और न ही उप मंत्री का. महासचिवों को वेतन भी नहीं मिलेगा, बल्कि मानदेय से संतोष करना पड़ेगा. जबकि नागरिक परिषद के सदस्यों को जितना मानदेय मिलेगा, उतना मानदेय तो अदना सा सरकारी कर्मियों को मिलता है.
स्वघोषित राज्यमंत्री बनते फिर रहे थे, परिषद के महासचिव
गौरतलब है कि राज्य नागरिक परिषद के गठन के बाद कुछ ऐसे भी महासचिव थे, जो स्वघोषित राज्यमंत्री हो गए थे. वे जगह-जगह कहते फिर रहे थे, वे राज्यमंत्री हैं. सोशल मीडिया पर बजाप्ता लिखा जा रहा था...राज्यमंत्री. यहां तो नीतीश सरकार ने एक झटके में कहीं का नहीं छोड़ा. राज्यमंत्री की बात छोड़िए..उप मंत्री का दर्जा भी नहीं मिला. मानदेय से संतोष करना पड़ेगा. यानि नागरिक परिषद के इक्के-दुक्के नेताओं की सारी राजनीति की हवा निकाल दी.