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27-Jun-2025 08:52 AM
By First Bihar
Bihar News: उत्तराखंड के लगभग 1300 युवाओं से रोजगार और ट्रेनिंग के नाम पर बड़ा धोखाधड़ी हुई है। दरअसल, बिहार में पंजीकृत एक संस्था लघु उद्योग विकास परिषद (सिडको) पर लगभग 1300 युवाओं से रोजगार और ट्रेनिंग के नाम पर ठगी करने का आरोप लगा है। इस मामले में देहरादून के नेहरू कॉलोनी थाना अंतर्गत बाईपास चौकी के प्रभारी निरीक्षक प्रवीण सिंह पुंडीर की ओर से रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
शिकायत मिलने के बाद दरोगा प्रवीण पुंडीर ने जब जांच शुरू की, तो कई चौंकाने वाली जानकारियाँ सामने आईं। जांच में पता चला कि सिडको को भारतीय ट्रस्ट अधिनियम के तहत 21 अप्रैल 2023 को पटना, बिहार में पंजीकृत किया गया था। इसके बाद संस्था ने देहरादून के अजबपुर क्षेत्र में ऑफिस खोलकर युवाओं से सदस्यता शुल्क और प्रशिक्षण शुल्क के नाम पर 6100 रुपये प्रति व्यक्ति वसूले। संस्था का दावा था कि ये राशि सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार और रोजगार प्रशिक्षण के लिए ली जा रही है। लेकिन पुलिस जांच में खातों के लेन-देन में भारी अनियमितता और संस्था की कार्यप्रणाली में गंभीर गड़बड़ियाँ पाई गईं।
नेहरू कॉलोनी थानाध्यक्ष संजीत कुमार के अनुसार, इस मामले में संस्था के अध्यक्ष सुगंध कुमार, कोषाध्यक्ष अभिषेक कुमार, सचिव अभय कुमार और प्रोजेक्ट मैनेजर प्रदीप सिंह ठाकुर को नामजद आरोपी बनाया गया है। प्रोजेक्ट मैनेजर प्रदीप सिंह ठाकुर और कैशियर अशिका गुप्ता से पूछताछ में खुलासा हुआ कि संस्था नौ राज्यों में सक्रिय है और उत्तराखंड में 1300 से अधिक युवाओं को जोड़ा गया है। सभी से वसूली गई राशि एचडीएफसी और एसबीआई के खातों में जमा कराई गई। लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि किस तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है और रोजगार कैसे उपलब्ध कराया जा रहा है, तो वे कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए।
पुलिस ने संस्था के अध्यक्ष सुगंध कुमार को भी पूछताछ के लिए नोटिस भेजा, लेकिन वे अब तक पक्ष रखने के लिए नहीं पहुंचे। वहीं, पुलिस ने इस संस्था के झांसे में आकर पैसे देने वाले कई युवाओं से बयान दर्ज करना शुरू कर दिया है। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि केंद्र या राज्य सरकार की किसी योजना के प्रचार-प्रसार अथवा प्रशिक्षण के लिए कोई शुल्क लेने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में संस्था द्वारा युवाओं से पैसा लेना स्पष्ट रूप से अवैध और धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। पुलिस ने संबंधित बैंक खातों की जांच भी शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वसूली गई राशि का उपयोग कहां और कैसे हुआ। साथ ही, संस्था के अन्य पदाधिकारियों और उनके अन्य राज्यों में सक्रिय नेटवर्क की भी जांच की जा रही है।