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08-Mar-2020 06:00 AM
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DESK : महिला सशक्तिकरण को लेकर आज विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन हो रहा है. महिलाओं के लिए काम करने वाली संस्थाए, ऑफिस और पब्लिक प्लेस में उनके लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए है. ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट और मॉल में उन्हें भारी डिस्काउंट दिया जा रहा है.महिलाओं के प्रति सम्मान प्रकट करने के साथ ही उनके आर्थिक, सामाजिक और राजनितिक उपलब्धियों को सम्मान देने का एक छोटा सा प्रयास है. महिलाएं बैंगनी रंग की रिबन पहनकर इस दिन का जश्न मनाती हैं. पर कभी आपने सोचा है कि हम महिला दिवस क्यों मनाते है. आइये जानते है महिला दिवस के इतिहास और उससे जुड़ी ख़ास बातों को-
8 मार्च 1975 को पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने महिला दिवस सेलिब्रेट करना शुरू किया. पर क्या आप जानते है कि इसके लिए महिलाओं ने एक लम्बी लड़ाई लड़ी थी तब जा कर उन्हें यह अवसर प्राप्त हुआ. 1975 के बाद से हर साल अलग अलग थीम को ले कर महिला दिवस का आयोजन होता है. इस साल महिला दिवस की थीम महिला अधिकारों के प्रति जागरूक करना और जेंडर इक्वेलिटी पर बात करना है.
कैसे हुई इसकी शुरुआत?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में एक मजदूर आन्दोलन के बाद हुई थी. अमेरिका जो आज विश्व का सबसे विकसित देश है वहां के न्यूयॉर्क शहर में पंद्रह हजार महिलाओं ने नौकरी में काम के घंटे को कम करने और वेतन बढ़ने की मांग को लेकर एक मार्च निकला था.इसके अलावा उनकी मांग थी कि उन्हें भी मतदान करने का अधिकार दिया जाए. महिलाओं को इस आन्दोलन में सफलता मिली. एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया.
ये आइडिया जर्मनी की एक महिलाक्लारा ज़ेटकिन का था. 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझावक्लारा ज़ेटकिन ने दिया था. उस वक़्त कॉन्फ़्रेंस में 17 देशों की 100 महिलाएं मौजूद थीं. सभी महिलाओं ने इसका समर्थन किया था. इसके अगले साल ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था. भले ही संयुक्त राष्ट्र ने 1975 में आधिकारिक मान्यता देने की घोषणा की पर तकनीकी तौर पर इस साल हम 109वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं.
प्रथम विश्व युद्ध के दौरानरूस की महिलाओं ने 'ब्रेड एंड पीस'की मांग को लेकर महिलाओं ने आन्दोलन किया था. इस आन्दोलन के बाद रूस के सम्राट निकोलस को पद छोड़ना पड़ा था.ग्रेगेरियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च को पड़ता है इसी के बाद से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाने लगा.