ब्रेकिंग न्यूज़

मोतिहारी: दर्दनाक सड़क हादसे में दो की मौत, परिजनों में मचा कोहराम प्रशांत किशोर ने लालू के साथ-साथ राहुल गांधी पर बोला बड़ा हमला, कहा..संविधान लेकर घूमने वाले क्या अंबेडकर के अपमान का जवाब देंगे? BIHAR: मिट गया माथे पर लगा कलंक: पॉक्सो एक्ट में बुरी तरह से फंस चुके केशव को मिला नया जीवन दान नीट 2025 में गोल इन्स्टीट्यूट के छात्रों ने लहराया परचम, 5400 से अधिक छात्र सफल, 527 छात्रों का सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश की उम्मीद Bihar Crime News: बिहार के पूर्व मंत्री की बहू को परिवार समेत जान से मारने की धमकी, जेठ पर गंभीर आरोप Bihar Crime News: बिहार के पूर्व मंत्री की बहू को परिवार समेत जान से मारने की धमकी, जेठ पर गंभीर आरोप BIHAR: शादी के 3 साल बाद विवाहिता की संदिग्ध मौत, ससुरालवालों पर दहेज के लिए हत्या का आरोप KATIHAR: डॉक्टर-पुलिस की मिलीभगत से कोर्ट को गुमराह करने का मामला उजागर, 82 वर्षीया महिला को जेल भेजने की धमकी, सोशल एक्टिविस्ट ने किया पर्दाफाश BIHAR CRIME: मोतिहारी एसपी के नाम पर बनाया फेक फेसबुक अकाउंट, साइबर ठगों ने की पैसे की मांग Bihar Politics: ‘बिहार की सत्ता में लालू परिवार की कभी नहीं होगी वापसी’ बाबा साहेब के अपमान पर बोले रोहित कुमार सिंह

सोनू सूद की छपेगी किताब, कोरोना संकट और लॉकडाउन के एक्सपीरियंस को करेंगे साझा

सोनू सूद की छपेगी किताब, कोरोना संकट और लॉकडाउन के एक्सपीरियंस को करेंगे साझा

15-Jul-2020 06:14 PM

By

DESK : कोरोना काल में जब पहली बार लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, तब पलायन की वो दुखदाई तस्वीर सभी ने देखी थी. देश के कोने कोने में काम की तलाश में गए मजदूर काम ना होने की वजह से अपने गांव-घर लौटने को मजबूर थे. ऐसे में महाराष्ट्र में फंसे मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद ने पहल की थी. सोशल मीडिया पर लोगों ने उनके इस नेक काम को खूब सराहा था. सोनू सूद ने उस मुश्किल घड़ी में रीयल हीरो बन प्रवासियों की मदद की थी.


अपने इन्ही दिनों के अनुभवों को लेकर सोनू सूद अब एक किताब लिखने वाले हैं. इसके लिए उन्होंने पेंग्विन रैंडम हाउस के साथ हाथ मिलाया है. माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक सोनू सूद की ये किताब ईबरी प्रेस द्वारा प्रकाशित कर दी जायेगी.


इस बारे में पूछे जाने पर एक्टर सोनू सूद ने कहा कि ‘पिछले करीब साढ़े तीन महीने एक तरीके से मेरे लिए जीवन के बदलने वाले अनुभव रहे. प्रवासियों के साथ 16 से 18 घंटे रहना और उनके दर्द को बंटना. मैं जब उनको उनके घर के लिए अलविदा कहने जाता था, तब मेरा दिल खुशियों से भर जाता था. उनके चेहरे पर मुस्कान, उनकी आखों में खुशी के आसूं, मेरे लाइफ के सबसे स्पेशल अनुभव रहे. मैं वादा करता हूं कि मैं तब तक काम करता रहूंगा, जब तक आखिरी प्रवासी अपने घर और प्रियजनों के पास नहीं पहुंच जाता.'


सोनू आगे कहते हैं कि, 'मुझे विश्वास हैं कि मैं इसलिए ही इस शहर में आया था, यही मेरा उद्देश्य था. मैं भगवान को शुक्रिया कहना चाहूंगा कि उन्होंने प्रवासियों की मदद के लिए मुझे साधन बनाया. मुंबई मेरी दिल की घड़कन हैं, लेकिन अब मुझे लगता है कि  मेरा एक हिस्सा यूपी, बिहार, झारखंड, असम, उत्तराखंड और कई अन्य राज्यों के गांवों में रहता है, जहां मुझे अब नए दोस्त मिल गए हैं और गहरे संबंध बनाए हैं. मैंने निर्णय किया है कि इन सभी अनुभवों और कहानियों को एक किताब में पिरोउंगा.'