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16 लाख रुपये खर्च कर विजयवाड़ा से आरा पहुंचे 65 बच्चे, CM नीतीश कुमार से भी लगायी थी गुहार

16 लाख रुपये खर्च कर विजयवाड़ा से आरा पहुंचे 65 बच्चे, CM नीतीश कुमार से भी लगायी थी गुहार

07-May-2020 12:42 PM

By KK Singh

ARRAH : कोरोना संकट के बीच आंध्र प्रदेश के एक बड़े स्कूल में बिहार के लगभग दो सौ स्कूली बच्चे फंसे हुए थे।लॉकडाउन के बीच इन बच्चों ने सीएम नीतीश कुमार से गुहार लगाते हुए एक वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होनें नीतीश अंकल से घर पहुंचाने की गुजारिश की थी। लेकिन बिहार सरकार ने बच्चों की एक न सुनी।लॉकडाउन के बीच केन्द्र सरकार की ढील के बाद अब ये बच्चे घर पहुंचे हैं। आरा के 65 बच्चों के गार्जियन ने अपने बच्चों को घर लाने में 16 लाख खर्च कर डाले।


आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा का विश्व शांति स्कूल देश भर में एक जाना माना नाम है। यह एक बेहद खर्चीले संस्थान के तौर पर जाना जाता है जहां पैसे वालों के बच्चें पढ़ते हैं। लेकिन लॉकडाउन के बीच अपने-अपने बच्चों को उनके माता-पिता लाने में उस वक्त मजबूर दिखे थे जब लाख कोशिशों के बावजूद खर्च करने को तैयार बैठे ये गार्जियन बच्चों को ला पाने में असमर्थ थे। वहीं से डरे-सहमे बच्चों ने भी वीडियो जारी कर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुहार लगायी थी कि उन्हें किसी तरह उनके घर पहुंचा दिया जाए। लेकिन उनकी गुहार व्यर्थ चली गयी।


सीएम नीतीश कुमार उस वक्त सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के नियमों का हवाला देकर बिहार के बाहर के किसी को लाने को तैयार नहीं थे। कोटा प्रकरण के बाद नीतीश सरकार बैकफुट पर थी विपक्ष बार-बार सरकार को कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने की नसीहत दे रहा था बावजूद उसके सरकार टस से मस नहीं हुई। उसी राजनीति का शिकार हो विश्व शांति स्कूल के बच्चे भी स्कूलों में रहने को मजबूर दिखे। उन्हें लाने की कोई पहल नहीं की गयी। जबकि ये बच्चे मासूम थे। इन्हें कोराना महामारी के बीच अपने गार्जियन से दूर रह कर डर सता रहा था। लेकिन किसी ने इन बच्चों का दुखड़ा नहीं सुना।


खैर अब बदली परिस्थितियों में जहां कोटा से बच्चे लौटे हैं मजदूरों की वापसी हो रही है। विश्व शांति स्कूल के बच्चे भी घर को लौट रहे हैं। आरा में 65 बच्चे घर लौटे हैं। गार्जियन अपने बच्चों को बसों से घर वापस ला रहे हैं। इन 65 बच्चों के मम्मी-पापा ने बच्चों को घर वापस लाने में 16 लाख खर्च कर दिए। खैर जो भी अपने बीच बच्चों को पाकर मम्मी-पापा चैन की सांस ले रहे हैं वहीं बच्चों के चेहरे खिल उठे हैं।