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16-Nov-2022 07:15 AM
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PATNA : अवमानना से जुड़े मामलों में पटना हाईकोर्ट लगातार सख्ती दिखा रहा है। सोमवार के अवमानना से जुड़े कई मामलों पर एकसाथ सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी समेत कई विभागों के प्रधान सचिव और सचिव को तलब कर दिया था और अब पटना सिटी के एक सब जज पर तीखी टिप्पणी की है। पटना हाईकोर्ट ने सिटी के सब जज 6 को उनके पद पर नहीं बने रहने लायक बताते हुए तल्ख टिप्पणी की है।
मामला हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करने से जुड़ा है। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकलपीठ ने आफताब हुसैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पटना सिटी के सब जज 6 को या तो हाईकोर्ट का आदेश समझ में नहीं आता है या आदेश समझने के बावज़ूद वे उसका अनुपालन नहीं करते हुए अवमानना कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा है कि दोनों ही परिस्थितियों में वे अपनी कुर्सी पर बने रहने लायक नहीं हैं। इतना ही नहीं पटना सिटी के सब जज 6 को एक हफ्ते के अंदर इस बाबत सफाई पेश करने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया है। हाईकोर्ट ने पूछा है कि इस मामले में कोर्ट ने पिछली सुनवाइयों में जो निर्देश सब जज महोदय को दिया था, उसका क्या अनुपालन हुआ? हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई अब अगले हफ्ते करेगा।
पूरा मामला पटना के सुल्तानगंज थाना इलाके के संदलपुर के धनुकी मौज़ा स्थित साढ़े पांच एकड़ ज़मीन पर परीक्षा समिति के परीक्षा हॉल और केंद्र के निर्माण का है। इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उस ज़मीन पर टाइटल सूट के तहत पटना सिटी के सब जज 6 की अदालत में मुकदमा चल रहा है। जिसपर निचली अदालत से निषेधाज्ञा तक जारी हो चुकी है। परीक्षा केंद्र का निर्माण उस निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर किया जा रहा है। राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि टाइटल सूट में जब राज्य सरकार पक्षकार है ही नहीं तो उसपर वह निषेधाज्ञा लागू नहीं होती और न ही कोई बंदिश है। फिर भी न्याय हित में पटना डीएम ने उक्त टाइटल सूट में पक्षकार बनने की इजाजत मांगी। जिसे हाईकोर्ट ने पिछले 4 जुलाई को मंज़ूरी दी थी। इसके साथ ही संबंधित निचली अदालत को निर्देश दिया था कि राज्य सरकार की तरफ से पक्षकार बनाने के लिए दिए गए आवेदन पर हर दिन सुनवाई करते हुए उसका निपटारा दो हफ्ते में कर दे। सोमवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया कि पटना सिटी के सब जज 6 के सामने आवेदन देने के बावज़ूद, न तो हाईकोर्ट आदेश के तहत रोज़ाना सुनवाई हुई, उल्टा अगली सुनवाई की तारीख 4 महीने के बाद मुकर्रर कर दी गई। इसी के बाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए सफाई पेश करने का आदेश दिया है।