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Bihar Politics : पशुपति पारस की पार्टी को नहीं मिली राहत, पटना हाई कोर्ट ने 13 नवंबर तक बंगला खाली करने का दिया समय

Bihar Politics : पशुपति पारस की पार्टी को नहीं मिली राहत, पटना हाई कोर्ट ने 13 नवंबर तक बंगला खाली करने का दिया समय

30-Oct-2024 08:34 AM

By First Bihar

PATNA : पशुपति पारस को एक बार फिर झटका लगा है। पटना हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) को व्हीलर रोड स्थित कार्यालय आवास खाली करने के मामले में कोई राहत नहीं दी है। हालांकि, कोर्ट ने आरएलजेपी को आवास आवंटन के लिए आवेदन करने की छूट दी है और आवेदन पर दो सप्ताह में कार्रवाई करने का आदेश दिया है।


दरअसल, न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष अम्बिका प्रसाद की याचिका पर पर सुनवाई करते हुए आवास आवंटन के लिए आवेदन करने की पूरी छूट दी है। साथ ही आवास आवंटन के लिए दिए गए आवेदन पर कानून के तहत दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने का आदेश दिया। 


याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता वाईवी गिरि ने कोर्ट को बताया कि भवन निर्माण विभाग ने 13 जून को व्हीलर रोड के शहीद पीर अली खां मार्ग स्थित आवास संख्या 1 का आवंटन रद कर दिया है। यह आवास लोक जन शक्ति पार्टी को कार्यालय के लिए 30 मई 2005 को दो साल के लिए आवंटित किया गया था। अवधि समाप्त होने के पूर्व नवीकरण करना था। 


वहीं,आवास के नवीकरण करने के लिए राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी ने भवन निर्माण के सचिव से गुहार लगाई थी, लेकिन उनके आवेदन पर किसी तरह का विचार किए बिना आवंटन को रद कर दिया गया। याचिका का विरोध करते हुए महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को अर्जी दायर करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आवास आवंटन रद करने के आदेश पर रोक लगाने से साफ इंकार कर दिया।


बताया जा रहा है कि जस्टिस मोहित कुमार शाह ने राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी और प्रदेश उपाध्यक्ष अम्बिका प्रसाद की ओर से दायर याचिक पर सुनवाई की। उसके बाद कोर्ट ने ये आवास खाली करने के लिए 13 नवंबर तक का मोहलत दिया। आवेदक की ओर से वरीय अधिवक्ता वाईवी गिरि ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता अपनी याचिका वापस ले रहा है, लेकिन सरकार कार्यालय भवन के लिए नये सिरे से आवंटन पर विचार कर शीघ्र भवन आवंटित करे। उसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह में इस मामले पर विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया। इसके साथ ही यह मामला निष्पादित कर दिया गया।