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14-Feb-2024 08:03 AM
By First Bihar
PATNA : बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के आश्वासन के बाद नियोजित शिक्षकों ने मंगलवार शाम को आंदोलन फिलहाल स्थगित कर दिया है। नियोजित शिक्षक प्रतिनिधि आनंद कौशल सिंह ने कहा कि 15 फरवरी को उपमुख्यमंत्री के साथ वार्ता होगी। इसमें 11 सदस्यीय शिष्टमंडल वार्ता करेगा। शिक्षकों ने उपमुख्यमंत्री के ऊपर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम ने भरोसा दिया है कि बिहार में किसी भी नियोजित शिक्षक की नौकरी नहीं जाएगी।
दरअसल, बिहार में नियोजित शिक्षक पहले राज्यकर्मी के दर्जा की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। इसके बाद जब बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली, 2023 की स्वीकृति मिली तो इन शिक्षकों को राज्यकर्मियों का दर्जा देने का प्रावधान किया गया था। लेकिन, उसके साथ पहले सक्षमता परीक्षा पास करने की शर्त लगाई गई थी। नियोजित शिक्षकों का कहना है कि वे कई सालों से सेवा में हैं. उनसे पहले कोई परीक्षा की बात नहीं हुई थी, अब ऑनलाइन टेस्ट की बात कही जा रही है। इतना ही नहीं इस परीक्षा के रिजल्ट में तीन बार असफल रहने पर उन्हें नौकरी से हटाने का प्रावधान रखा गया है, जो उन्हें स्वीकार नहीं है।
वहीं, नियोजित शिक्षक के एक प्रतिनिधि ने बताया कि सम्राट चौधरी ने खुद आगे आकर हमारी बात सुनी है और भरोसा दिया है कि सरकार 15 फरवरी को हमारी बात सुनेगी। हमारे 11 सदस्यों वाले एक शिष्टमंडल से चर्चा करेगी। इसके बाद नियोजित शिक्षक अपने- अपने घरों को लौट रहे हैं। इससे पहले नियोजित शिक्षकों ने बिहार विधानसभा पर प्रदर्शन किया था। देर शाम को वे भाजपा कार्यालय भी पहुंचे थे। यहां मौजूद पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए उन्हें वहां से हटा दिया था।
उधर, शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करने से कुछ होने वाला नहीं है। निश्चित तौर पर सरकार उनकी बात को जरूर सुनेगी। मंत्री ने साफ़ तौर पर कहा कि जिस चीज़ पर अभी निर्णय हुआ ही नहीं है. इस मामले में अभी विरोध प्रदर्शन करने का क्या फायदा है। सरकार का अंतिम निर्णय के बाद कुछ हो तो अलग बात होती है।
उन्होंने कहा कि कभी सरकार ने यह नहीं कहा था कि हम बिना कोई शर्त राज्यकर्मी का दर्जा देंगे। लेकिन, इसके बाबजूद शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके बाद रही बात उनकी नौकरी जाने की तो यह साफ़ कर दूं कि इसको लेकर सरकार के तरफ से अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है और यह निर्णय कमेटी का था न की सरकार का अब सरकार इस पूरे मामले को देखेगी और टीचरों के हित में जो कुछ भी होगा यह निर्णय लिया जाएगा।