Bihar Crime News: काजू हत्याकांड का पुलिस ने किया खुलासा, वारदात में शामिल दो बदमाश अरेस्ट; शक के घेरे में बिहार का दारोगा पूर्वी चंपारण में शर्मनाक घटना: टैंकर के पलटने के बाद तेल लूटने की मची होड़, किसी ने नहीं की घायल ड्राइवर की मदद Bihar Transport News: 1.24 लाख घूस लेने में अदना सा 'परिवहन सिपाही' पर केस..हाकिम तो बच गए ! किसके इशारे पर महिला के खाते में मंगवाई गई राशि ? घर पर ट्यूशन पढ़ाते-पढ़ाते 11 साल के बच्चे से प्यार कर बैठी 23 साल की लेडी टीचर, घुमाने के बहाने कई होटल में ले जाकर किया गंदा काम Bihar News: बाइक समेत गड्ढे में जा गिरे तीन दोस्त, दो की मौके पर हुई मौत; बकरी के चक्कर में गई जान Caste census india: जाति जनगणना की अनदेखी करने वाली कांग्रेस अब मुखर, बीजेपी की सहमति के पीछे क्या है राज? Bihar Mausam Update: बिहार के इन 9 जिलों में शाम तक आंधी-पानी-वज्रपात की चेतावनी, कौन-कौन जिला हैं शामिल जानें.... PIL Pahalgam Attack Rejected: मौजूदा समय सेना पर सवाल उठाने का नहीं, बल्कि एकजुट रहने का है: सुप्रीम कोर्ट Labour Law India: लेबर लॉ के पालन न होने की वजह से, जानिए कैसे सरकारी नौकरी बन गई भारतीय युवाओं की पहली पसंद? Chanakya Niti: इन 4 जगहों पर भूलकर भी न खोलें अपना मुंह, वरना टूट सकता है मुसीबतों का पहाड़
20-May-2020 03:01 PM
By
PATNA : ज्यादा दिन नहीं हुए जब केंद्र सरकार ने रिटायर हो रहे अपने स्वास्थ्य सचिव का कार्यकाल इस कारण से बढ़ा दिया कि देश कोरोना संकट से जूझ रहा है और अगर स्वास्थ्य सचिव रिटायर हो गये तो नये सिरे से काम करने वाले के लिए बडी मुसीबत होगी. लेकिन बिहार में जब कोरोना का संकट भीषण रूप लेता जा रहा है तब राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार को हटा दिया. अचानक से लिये गये फैसले में संजय कुमार को स्वास्थ्य विभाग से हटाकर फिलहाल मृत पड़े पर्यटन विभाग में भेज दिया गया. महामारी के बीच स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव का तबादला सामान्य बात नहीं है और सरकार के भीतर ये चर्चा आम है कि संजय कुमार बहुत दिनों से राजा की आंखों में खटक रहे थे. जानिये क्या है वे कारण जिसके कारण सरकार ने ये फैसला लिया.
क्यों राजा की आंखों में खटक रहे थे संजय कुमार
सरकारी सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार काफी दिनों से राजा की आंखों में खटक रहे थे. इसकी शुरूआत डेढ़ महीने पहले हुई थी जब स्वास्थ्य विभाग ने PMCH के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह को सस्पेंड कर दिया था. कोरोना सैंपल की जांच में गंभीर लापरवाही बरतने के आरोपी सत्येंद्र नारायण सिंह बिहार के सत्ताशीर्ष के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं. आलम ये हुआ कि बेहद गंभीर आरोपों के आधार पर 8 अप्रैल को सस्पेंड कर दिये गये डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह का निलंबन पांच दिनों में ही समाप्त कर दिया गया. डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह को फिर से अपने पुराने पद पर बहाल भी कर दिया गया.
बिहार के सचिवालय में ये चर्चा आम थी कि पीएमसीएच माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष का निलंबन खत्म कर उन्हें पुराने जगह पर ही बहाल करने का फरमान सीधे उपर से आया था. स्वास्थ्य विभाग ने इस पर जुबानी आपत्ति जतायी थी लेकिन फरमान नहीं बदला. इस प्रकरण ने बिहार सरकार की जमकर फजीहत भी करायी थी. आरजेडी नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने आरोप लगाया था कि एक खास वर्ग से आने के कारण गंभीर आरोपों से घिरे डॉक्टर के खिलाफ सारी कार्रवाई रद्द कर दी गयी.
एक खास जिले के डॉक्टरों पर कार्रवाई से भी थी बेचैनी
कोरोना संकट के बीच स्वास्थ्य विभाग ने कई डॉक्टरों की गंभीर लापरवाही पकड़ी थी. उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही थी. कार्रवाई की जद में एक खास जिले के कई डॉक्टर भी आये थे. जानकार बताते हैं कि उन डॉक्टरों को नहीं छेड़ने के संकेत दिये जा रहे थे लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उसे नहीं समझा. लिहाजा सत्ताकेंद्र में बेचैनी और बढ गयी थी.
सरकार चलाने वाले अधिकारियों की लॉबी भी थी नाराज
बिहार के सचिवालय में हर कर्मचारी-अधिकारी जानता है कि सरकार को अधिकारियों की एक खास लॉबी चला रही है. कहा ये भी जाता है कि अधिकारियों की इस लॉबी के हेड के सामने पूरी राजसत्ता नतमस्तक रहती है. बिहार में ट्रांसफर-पोस्टिंग से लेकर ठेका-पट्टे के सारे बड़े काम इसी लॉबी के रास्ते अंजाम तक पहुंचते हैं. लेकिन स्वास्थ्य महकमे में इस लॉबी की चल नहीं रही थी. लिहाजा लगातार ये कोशिश हो रही थी कि महकमे का कंट्रोल ऐसे हाथों में सौंपा जाये जिससे अपने मनमाफिक काम कराया जा सके.
मंत्री से टकराव भी बना कारण
बिहार के स्वास्थ्य विभाग में मंत्री और प्रधान सचिव के बीच टकराव की खबरें आम थी. यहां तक की सोशल मीडिया पर भी दोनों के बीच तालमेल न होने की बात दिख जा रही थी. कोरोना को लेकर मंत्री और प्रधान सचिव के ट्वीट में अक्सर कोई तालमेल ही नहीं दिख रहा था. स्वास्थ्य विभाग में होने वाली चर्चाओं के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री और प्रधान सचिव के बीच टकराव की खबरें लगातार आम हो रही थीं. लिहाजा बीजेपी की ओर से भी स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हटाने का दवाब था. हालांकि जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार के शासनकाल में मंत्रियों की नाराजगी से अधिकारियों का कुछ नहीं बिगड़ा है. ऐसे में अगर महामारी के दौर में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव हटाये गये हैं तो बात साफ है. फैसला सत्ताशीर्ष से हुआ है. राजा और राजा के रणनीतिकारों ने फैसला लिया है.
दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है कि कोरोना संकट के दौर में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव का तबादला महामारी के खिलाफ मुहिम पर बडा असर डाल सकता है. लेकिन सरकार को इसकी फिक्र हो ये जरूरी तो नहीं.