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17-May-2020 10:52 PM
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PATNA : देश भर में 31 मई तक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई है. केंद्र सरकार की ओर से मजदूरों की घर वापसी को लेकर छूट दी गई है. ऐसे में रेलवे की ओर से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं. लेकिन फिर भी हजारों की संख्या में मजदूर पैदल सड़कों पर चलने को मजबूर हैं. ट्रक या अन्य माध्यम से भी लोग घर लौट रहे हैं. इसे रोकने के लिए बिहार सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से केंद्र को कई सुझाव दिए गए हैं.
बिहार सरकार ने दी सलाह
बिहार सरकार की ओर से केंद्र को लिखे गए पत्र में कई सलाह दिए गए हैं. दरअसल पिछले एक सप्ताह में कई सड़क हादसों में अब तक दर्जनों मजदूरों की मौत हो चुकी है. बीते दिन गृह मंत्रालय की ओर से राज्य सरकारों को पैदल प्रवासी मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए गए थे, क्योंकि देश के कई हिस्सों से दर्द भरी तस्वीरें मीडिया के माध्यम से लोगों के सामने आ रही थीं.
मजदूर कर रहे आंदोलन और प्रदर्शन
बिहार सरकार की ओर से अब केंद्र को पत्र लिखा गया है. इस पत्र में लिखा गया है कि "राज्य सरकारों के सर्वोत्तम प्रयास के बावजूद भी मजदूर पैदल या किसी सुरक्षित परिवहन से पलायन कर रहे हैं. जिस राज्य से लोग आ रहे हैं और जिस राज्य में लोग जा रहे हैं. दोनों राज्यों के तमाम कोशिशों के बावजूद भी यह सिलसिला थम नहीं रहा है. ऐसे में कई हादसे हो रहे हैं. कई जगहों पर मीडिया के माध्यम से मजदूरों के आंदोलन और प्रदर्शन को हाइलाइट किया जा रहा है.
रेलवे तय करे नया प्रोटोकॉल
राज्य सरकार ने पत्र में आगे कहा कि बिहार सरकार के विचार के मुताबिक कई स्थानों पर यह प्रदर्शन इसलिए हो रहे हैं कि अधिक से अधिक प्रवासी श्रमिक अपने गृह राज्य में आने की कोशिश कर रहे हैं मगर उनलोगों को सही तरीके से सहयोग नहीं मिल पा रहा है. ट्रेन के चलने की तारीखों के बारे में उन्हें सही जानकारी नहीं मिल रही है. इसलिए सरकार ने रेल मंत्रालय को एक प्रोटोकॉल विकसित करने की करने की सलाह दी है. जिसके माध्यम से प्रवासी मजदूर एक निर्धारित तारीख के बारे में जान सकेंगे कि उनको किस दिन ट्रेन मिलेगी. इस तरीके से हादसे को भी रोका जा सकता है.
बिहार सरकार ने 5 मुख्य बिंदुओं को इस पत्र में रेखांकित किया है -
1. मजदूरों को बुलाने वाली राज्य सरकार दूसरे राज्य को बता सकेगी कि वे एक दिन में कितनी ट्रेनें रिसीव कर सकेंगे
2. रेल मंत्रालय द्वारा प्रवासी यात्रियों को एक खुले विज्ञापन के माध्यम से टिकट की बुकिंग तारीख बतानी चाहिए. जैसे आम दिनों में सामान्य प्रक्रिया से टिकटों की बुकिंग की जाती है, लेकिन यह सिर्फ श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए हो.
3. यदि सीटें किसी एक दिन भर जाती हैं, तो उन्हें अगली तारीखों पर इसी तरह से टिकट बुकिंग की सुविधा हो
4. इन ट्रेनों को तब तक चलाया जाये, जब तक सभी इच्छुक प्रवासी लौट न जाये
5. अपने गृह राज्य में लौटने के बाद प्रवासी मजदूरों को सरकार द्वारा बनाये गए क्वारंटाइन सेंटर में रहना अनिवार्य हो