Patna Crime News: पुणे से धराए पटना के Top10 अपराधियों में शामिल दो शातिर बदमाश, लंबे समय से पुलिस को दे रहे थे चकमा Patna Crime News: पुणे से धराए पटना के Top10 अपराधियों में शामिल दो शातिर बदमाश, लंबे समय से पुलिस को दे रहे थे चकमा Bihar Politics: मंत्री जीवेश मिश्रा ने यूट्यूबर की पिटाई कर लोकतंत्र पर हमला किया: मुकेश सहनी Bihar Politics: मंत्री जीवेश मिश्रा ने यूट्यूबर की पिटाई कर लोकतंत्र पर हमला किया: मुकेश सहनी PM Modi Bihar Visit : बिहार जब भी आगे बढता है तो RJD और कांग्रेस वाले करते हैं आलोचना,बोले मोदी -घुसपैठियों को बचाने के लिए तेजस्वी और राहुल कर रहे यात्रा Supreme Court on Bihar SIR: ‘कोई गड़बड़ी मिली तो रद्द कर देंगे पूरी प्रक्रिया’ बिहार में SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चेताया Supreme Court on Bihar SIR: ‘कोई गड़बड़ी मिली तो रद्द कर देंगे पूरी प्रक्रिया’ बिहार में SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चेताया NITISH KUMAR : PM मोदी के सामने बोले नीतीश कुमार - हमारे पार्टी के एक लोग RJD के साथ जबरदस्ती साथ ले गए,यहीं बैठे हैं ...लेकिन अब ऐसा नहीं होगा PM Modi Bihar Visit : पूर्णिया एयरपोर्ट का PM मोदी ने किया उद्घाटन, बिहार को मिली बड़ी सौगात Bihar News: बिहार की JDU नेता ने RJD विधायक के खिलाफ दर्ज कराया केस, लगाए यह गंभीर आरोप
05-Jan-2024 09:24 AM
By First Bihar
PATNA : सूबे में निकाय चुनाव में ओबीसी समाज को आरक्षण मिलेगा या नहीं इस मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चन्द्रन एवं न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने की है। फिलहाल इस मामले में फैसला सुरक्षित है और यह कब सुनाया जाएगा इसको लेकर कोई डेट तय नहीं किया गया है।
दरअसल, इससे पहले इस मामले में सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि प्रविधानों के अनुसार, तब तक स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक राज्य सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं पूरी नहीं कर लेती। ऐसे में अब सवाल यह कि आखिरकार यह तीन आहर्ता है क्या तो इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला बताया था, उसमें उस राज्य में ओबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की अनुशंसा के अनुसार प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने को कहा गया था।
इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा कुल सीटों का 50 प्रतिशत की सीमा से ज्यादा नहीं हो। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव और राज्य निर्वाचन आयुक्त को आगे की कार्रवाई करने का आदेश दिया था। साथ ही सभी याचिकाओं को निष्पादित कर दिया था।
उधर, कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को समर्पित आयोग के रूप में अधिसूचित किया। समर्पित आयोग की रिपोर्ट को राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दिया गया और आयोग ने उस रिपोर्ट के आधार पर अति पिछड़ा वर्ग के लिए सीट आरक्षित कर नगर निकाय चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी की। लेकिन, हाई कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने समर्पित आयोग की अधिसूचना और उसकी रिपोर्ट को खारिज कर चुनाव को निरस्त करने हेतु याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद अब इस मामले में सुनवाई हुई है और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।