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09-Nov-2020 07:11 PM
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PATNA : बिहार चुनाव में इस दफे तेजस्वी यादव की सरकार बनने के आसार जताये जा रहे हैं. कल नतीजा आना है. लेकिन तमाम एक्जिट पोल ने तेजस्वी का मुख्यमंत्री बनना तय बता दिया है. ऐसे में सियासी गलियार में सबसे ज्यादा चर्चा संजय यादव की हो रही है. कुछ साल पहले तक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले कंप्यूटर इंजीनियर संजय यादव ने तेजस्वी यादव से लेकर आरजेडी की पूरी तस्वीर ही बदल दी. क्या संजय यादव की रणनीति ने बीजेपी और जेडीयू के भारी भरकम मैनेजमेंट को फेल कर दिया.
फेल हो गया जेडीयू-बीजेपी का सारा मैनेजमेंट?
बिहार चुनाव शुरू होने से महीनों पहले दिल्ली से लेकर देश के दूसरे राज्यों से बीजेपी के मैनेजरों की भारी भरकम टीम पटना में कैंप कर चुकी थी. 300 से ज्यादा रणनीतिकार पटना में जमे थे. हर मुद्दे की पड़ताल हो रही थी, हर सीट की छानबीन हो रही थी. उधर पहली दफे जेडीयू ने चुनाव प्रबंधन के लिए बड़ी थैली खोली थी. दिल्ली से चुनावी रणनीतिकारों की टीम बुलाकर बिठायी गयी थी. पटना के दो होटलों से लेकर कई सरकारी बंगलों में जेडीयू की लंबी चौड़ी टीम 24 घंटे काम करने का दावा कर रही थी.
चुपचाप चलता रहा आरजेडी का अभियान
संसाधनों के मामले में बीजेपी-जेडीयू के सामने कहीं नहीं टिकने वाला आरजेडी बगैर किसी शोर-शराबे के अपनी रणनीति तैयार करने और उसे अंजाम देने में लगा था. आरजेडी के इस सारे अभियान की कमान संजय यादव के हाथों में थी. आरजेडी का भी वार रूम काम कर रहा था लेकिन फर्क ये था कि बीजेपी-जेडीयू की तुलना में वहां संसाधन बेहद कम था लेकिन रिजल्ट ज्यादा बेहतर आ रहा था. इसकी सारी रूपरेखा संजय यादव ने रची थी.
तेजस्वी का चेंज ओवर
आरजेडी के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट रहा तेजस्वी का चेंज ओवर. कोरोना काल के बाद तेजस्वी यादव बदले-बदले राजनेता नजर आये. पहले की तुलना में वे ज्यादा गंभीर दिखे. तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी से लेकर विकास का मुद्दा उठाया और उस पर आखिर तक अड़े रहे. जेडीयू-बीजेपी ने बार-बार लालू यादव से लेकर जंगलराज का जिक्र छेड़ा. लेकिन तेजस्वी अपने एजेंडे से नहीं हटे. आखिरकार जेडीयू-बीजेपी को भी तेजस्वी के एजेंडे पर ही चुनाव मैदान में आना पड़ा. आरजेडी की पहली जीत यहीं हो गयी थी. इसकी सारी रणनीति संजय यादव ने ही तैयार की थी.
आरजेडी का टिकट वितरण बेहतर रहा
आरजेडी को दूसरी बढत तब हासिल हुई जब उसने टिकट बांटा. विपक्षी पार्टियां भी मानती हैं कि आरजेडी ने इस दफे काफी बेहतर तरीके से टिकट बांटा. दरअसल तेजस्वी यादव ने इस दफे टिकट बांटने में पार्टी के किसी क्षत्रप की नहीं सुनी. वे जब टिकट बांटने बैठे तो उनके पास पूरा रिसर्च था. संजय यादव और उनकी टीम ने पहले से ही वर्क आउट कर रखा था. कहां किस उम्मीदवार को टिकट देना है. नतीजा ये हुआ कि यादवों का गढ़ माने जाने वाले कई सीटों पर भी गैर यादव उम्मीदवार दिये गये. ताकि उम्मीदवार को अपनी जाति का वोट मिले और उसमें एमवाई मिल कर जीत तय कर दे. सवर्णों में आरजेडी के प्रति नाराजगी न हो इसका भी खास ख्याल रखा गया. आरजेडी को 50 से ज्यादा सीटों पर उन तबकों का वोट मिला जो एनडीए के वोट बैंक माने जाते थे.
कौन हैं संजय यादव
बिहार में अगर तेजस्वी यादव की सरकार बनती है तो इसका बड़ा श्रेय संजय यादव को ही जायेगा. लेकिन सवाल ये उठता है कि संजय यादव हैं कौन? संजय यादव तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार हैं. 37 साल के संजय यादव मूल रूप से हरियाणा के महेंद्रगढ़ ज़िले के नांगल सिरोही गाँव रहने वाले हैं और पिछले एक दशक से तेजस्वी यादव से जुड़े हुए हैं. दोनों की मुलाक़ात दिल्ली में 2010 में तब हुई थी जब तेजस्वी यादव आईपीएल में अपना करियर तलाश रहे थे.
संजय यादव ने भोपाल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में एमएससी और इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली से एमबीए करने के बाद तीन मल्टीनेशनल आईटी कंपनियों में नौकरी कर ली थी. अगले दो-तीन सालों में दोनों के बीच और करीबी हुई. 2012 में तेजस्वी यादव ने क्रिकेट छोड़कर पूरी तरह से राजनीति में आने का फैसला लिया तो उन्होंने संजय यादव को नौकरी छोड़कर साथ काम करने को कहा. इसके बाद संजय यादव इसके बाद अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर 10 सर्कुलर रोड, पहुँच गए.
2015 के चुनाव में महागठबंधन की जीत का श्रेय भले ही प्रशांत किशोर ले गये लेकिन असल रणनीति संजय यादव ने बनायी थी. 2015 के चुनाव में आरजेडी ने बेहद सधे हुए तरीके से टिकट बांटा था और इसके पीछे संजय यादव का ही दिमाग काम कर रहा था.
लेकिन असली चुनौती इस दफे चुनाव में थी जब लालू यादव भी पटना में मौजूद नहीं थे. लेकिन रणनीति के स्तर पर पार्टी को उनकी कोई कमी नहीं खली. इसका श्रेय संजय यादव को ही जाता है. उन्होंने आरजेडी के पोस्टर पर सिर्फ तेजस्वी की तस्वीर लगाने का फैसला लिया था. जेडीयू-बीजेपी ने ताबड़तोड़ हमला बोला लेकिन आरजेडी अपने स्टैंड पर कायम रही.
संजय यादव चुनाव के दौरान न केवल तेजस्वी यादव की चुनावी सभाओं को मैनेज कर रहे थे बल्कि अलग अलग सभाओं में तेजस्वी को क्या बोलना चाहिए, इसकी रूपरेखा भी बना रहे थे.
तेजस्वी यादव हर दिन 17-18 सभाओं को संबोधित कर रहे थे और उसका कंटेंट मुहैया कराने के साथ-साथ तेजस्वी की बात पूरे बिहार तक पहुँचे, इसकी भी रणनीति तैयार रखी गयी थी. तेजस्वी की अगले दिन की सभायें, कहां जाना है और कहां नहीं जाना है. किस सभा में क्या बोलना है. सारी जिम्मेवारी संजय यादव के पास ही थी.
सियासी हलके में ये तय माना जा रहा है कि बिहार में अगली सरकार तेजस्वी यादव की बनने वाली है. देखना होगा संजय यादव को तेजस्वी कौन सी जिम्मेवारी सौंपते हैं.