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06-Aug-2024 03:32 PM
By First Bihar
PATNA: भ्रष्टाचार के मामले में फंसे आईएएस संजीव हंस को पटना हाईकोर्ट से रेप के केस में राहत मिल गयी है. संजीव हंस ने अपने खिलाफ दर्ज रेप और ब्लैकमेल के केस को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. आज हाईकोर्ट में जस्टिस संदीप कुमार की बेंच ने फैसला सुनाते हुए रेप के एफआईआर को रद्द कर दिया.
पुलिस ने जांच में आऱोप को सही पाया था
बता दें कि संजीव हंस के खिलाफ रेप का केस बिहार के औरंगाबाद की एक महिला ने किया था. महिला का आऱोप था कि राजद के तत्कालीन विधायक गुलाब यादव ने उसे धोखे अपने फ्लैट पर बुलाकर रेप किया और फिर उसका वीडियो बनाया. वीडियो के आधार पर महिला को ब्लैकमेल किया गया. महिला ने आऱोप लगाया था कि उसे दिल्ली और पुणे जैसे शहरों के बड़े होटलों में बुलाकर गुलाब यादव औऱ उसके पार्टनर संजीव हंस ने रेप किया था. रेप के कारण उसे एक बच्चा भी हुआ है.
महिला ने 2022 में पटना पुलिस में रेप की शिकायत की थी लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं किया. इसके बाद महिला ने कोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगायी थी. कोर्ट के आदेश पर 2023 के जनवरी में पटना के रूपसपुर थाने में संजीव हंस औऱ पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ रेप, ब्लैकमेलिंग औऱ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था. इस केस के अनुसंधान के बाद पटना पुलिस ने संजीव हंस औऱ गुलाब यादव पर लगे रेप के आऱोप को सही पाया था. पटना के एसएसपी ने भी अपने सुपरविजन रिपोर्ट में संजीव हंस पर रेप के आरोप को सही पाया.
पटना पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि पुणे के जिस होटल में महिला ने रेप होने की बात कही थी, उस होटल में संजीव हंस ने कमरा बुक किया था. संजीव हंस ने कमरा बुक कराने के लिए पहचान पत्र के तौर पर अपना ड्राइविंग लाइसेंस भी दिया था. पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में संजीव हंस और महिला के बेटे की डीएनए जांच कराने की भी बात कही थी.
कोर्ट ने रद्द की एफआईआर
अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए संजीव हंस ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका दायर होने के साथ ही हाईकोर्ट ने संजीव हंस के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने इस मामले में 21 जुन को आखिरी सुनवाई की थी और फिर फैसला रिजर्व रख लिया था.
आज जस्टिस संदीप कुमार की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया. जस्टिस संदीप कुमार ने कहा कि रेप के इस मामले में एफआईआर काफी देर से दर्ज कराया गया है. हाईकोर्ट की बेंच ने एफआईआर को लेकर कई और सवाल उठाये हैं और उसे रद्द करने का आदेश दिया है.
उधर, पीड़िता के वकील दीनू कुमार ने कहा कि वे हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रहे हैं. इसके बाद आगे की कार्रवाई पर विचार करेंगे. दीनू कुमार ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट जाकर भी पीड़िता के लिए न्याय मांगेगे.