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13-Dec-2022 04:29 PM
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PATNA: बिहार के IAS अधिकारी संजीव हंस और राजद के पूर्व विधायक गुलाब यादव मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं। दोनों के खिलाफ एक महिला ने रेप का आरोप लगा रखा है। हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस को जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है। हाई कोर्ट ने इस गंभीर मामले को खारिज करने वाली निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए कड़ी टिप्पणी भी की है।
बता दें कि 2021 में ही एक महिला ने संजीव हंस और गुलाब यादव के खिलाफ रेप का आरोप लगाया था। महिला का आरोप है कि राजद के तत्कालीन विधायक गुलाब यादव ने उसे महिला आयोग का सदस्य बनाने का झांसा देकर अपने घर बुलाया और वहाँ उसका रेप किया। इस रेप का वीडियो बना लिया गया। महिला का आरोप है कि रेप के वीडियो के सहारे उसे ब्लैकमेल किया गया। गुलाब यादव ने उसे जबरन पुणे से लेकर दिल्ली के होटलों में बुलाया। जहां गुलाब यादव के जोड़ीदार IAS संजीव हंस मौजूद रहते थे। महिला का आरोप है कि संजीव हंस ने उन होटलों में उसके साथ कई दफे रेप किया। इसके कारण उसे एक बच्चा भी हुआ।
महिला ने 2021 में ही पटना पुलिस को कई दफे आवेदन देकर संजीव हंस और गुलाब यादव के खिलाफ FIR दर्ज करने की गुहार लगाई थी। पुलिस ने जब कोई कार्रवाई नहीं की तो पीड़िता ने पटना के दानापुर कोर्ट में मुकदमा दायर कर संजीव हंस और गुलाब यादव के खिलाफ कार्रवाई की गुहार लगाई। महिला की कोर्ट में अर्जी पर सुनवाई करते हुए दानापुर के ACJM ने पटना पुलिस को महिला की शिकायत भेजी और पुलिस से प्राथमिक जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था।
ACJM के निर्देश के बाद कई डेट गुजर गए लेकिन पटना पुलिस ने प्रभावशाली IAS और राजनेता पर लगे आरोपों की जांच रिपोर्ट कोर्ट को नहीं सौंपी। लंबे समय तक पुलिस की रिपोर्ट नहीं आने के बाद निराश महिला ने दानापुर कोर्ट जाना बंद कर दिया। इसके बाद इस साल दानापुर ACJM की कोर्ट ने महिला की अर्जी इस आधार पर खारिज कर दिया की वह कोर्ट में हाजिर नहीं हो रही है।
हाई कोर्ट का आदेश
दानापुर ACJM के इस फैसले के खिलाफ महिला ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई थी। सोमवार को पटना हाई कोर्ट में जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की बेंच ने इस मामले की सुनवाई के बाद कहा कि दानापुर की ACJM कोर्ट को इस मामले में जल्दबाजी में काम नहीं करना चाहिए था। हाई कोर्ट ने दानापुर ACJM के 12 मई 2022 के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमे ACJM ने पीड़ित महिला द्वारा दायर मुकदमे को प्राइवेट कंप्लेन करार दिया था। दरअसल जब कोर्ट किसी मुकदमें को प्राइवेट कंप्लेन मान लेती है तो उस मुकदमें में आरोप लगाने वाले को खुद सबूत उपलब्ध कराना होता है।
पटना हाईकोर्ट ने दानापुर AJCM के 20 सितंबर के उस आदेश को भी रद्द कर दिया है जिसमें उन्होंने IAS संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ दायर मुकदमे को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि ACJM कोर्ट में केस दायर होने के बाद पटना पुलिस को संजीव हंस और गुलाब यादव के खिलाफ लगे आरोपों की प्राथमिक जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया था. पुलिस ने रिपोर्ट दी नहीं और जांच रिपोर्ट देखे बगैर केस को खारिज कर देना गलत है।
संजीव हंस और गुलाब मुसीबत में
पटना हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पटना पुलिस संजीव हंस और गुलाब यादव के खिलाफ लगे आरोपों की जांच रिपोर्ट सही समय पर दानापुर ACJM की कोर्ट में दाखिल करे. इस रिपोर्ट और दूसरे कानूनी पहलू के मुताबिक दानापुर की ACJM कोर्ट अपना फैसला सुनाए.
हाई कोर्ट के आदेश से साफ हो गया है कि पटना पुलिस को IAS संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव पर लगे आरोपों की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में देनी होगी. जबकि पुलिस पिछले दो साल से इस मामले की लीपापोती करने में लगी है. रसुखदार आरोपियों के कारण पुलिस ने पहले तो खुद मामले की FIR दर्ज नहीं की, फिर कोर्ट के आदेश पर भी जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी. उधर पीड़ित महिला लगातार ये कह रही है कि संजीव हंस ने रेप किया जिसके बाद बच्चा हुआ. महिला कह रही है कि DNA टेस्ट करा कर इसकी पुष्टि कराई जा सकती है. अब मामला हाई कोर्ट कि नज़र में है, जाहिर है पुलिस के लिए लीपापोती करना आसान नहीं होगा।