ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Road Accident: हादसे की शिकार हुई पटना जा रही बस, डेढ़ दर्जन से अधिक यात्री घायल; तीन की हालत गंभीर BIHAR NEWS : JDU विधायक के बॉडीगार्ड से EOU की पूछताछ, अब लाई-डिटेक्टर टेस्ट कराने की तैयारी Bihar News: दरभंगा राज घराने की महारानी सुंदरी की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में कराया गया भर्ती Bihar News: दरभंगा राज घराने की महारानी सुंदरी की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में कराया गया भर्ती Bihar News: ट्रैक्टर पार्ट्स चोरी का पर्दाफाश, ग्रामीणों की सतर्कता से एक चोर पकड़ाया; दूसरा फरार Bihar News : अब किसानों को ऑनलाइन मिलेगी हर जानकारी, ऐसे दर्ज करा सकते हैं अपनी शिकायत Bihar News: बिहार के इस जिले में रेडिमेड गारमेंट्स इकाई को मिली मंजूरी, रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास को मिलेगा नया आयाम Bihar News: बिहार के इस जिले में रेडिमेड गारमेंट्स इकाई को मिली मंजूरी, रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास को मिलेगा नया आयाम BIHAR NEWS : नोट जलाने वाले RWD इंजीनियर विनोद राय पर अब आय से अधिक संपत्ति का केस, 3.38 करोड़ की अवैध संपत्ति उजागर; छापेमारी जारी Bihar News: तीन सूत्री मांगों को लेकर चल रहा वकीलों का धरना प्रदर्शन खत्म, न्याय व्यवस्था में सुधार की उम्मीद

हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब, बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 के संशोधन पर लग सकती है रोक

हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब, बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 के संशोधन पर लग सकती है रोक

18-Feb-2022 04:15 PM

By

PATNA : बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 के चेप्टर 5 व 31 मार्च, 2021 को राज्य सरकार द्वारा किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने डॉ. आशीष कुमार सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार से जवाब मांगा है। मामला नगरपालिका में संवर्ग की स्वायत्तता से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने कहा है कि यदि एक सप्ताह में जवाब दायर नहीं किया जाता है, तो कोर्ट बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 में किये गए संशोधन पर रोक लगा सकती है।


अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट के समक्ष बहस करते हुए कहा कि इस संशोधन के तहत  नियुक्ति और तबादला को सशक्त स्थाई समिति में निहित अधिकार को ले लिया गया है और यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया था कि अन्य सभी राज्यों में नगर निगम के कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार निगम द्वारा ही की जाती है। 


उनका कहना था कि नगर निगम एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए इसे दैनिक क्रियाकलापों में स्वयं काम करने देना चाहिए। याचिकाकर्ताओं की अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को यह भी बताया कि जहां एक ओर निगम के कर्मियों पर राज्य सरकार का नियंत्रण है, वहीं दूसरी ओर वेतन समेत अन्य लाभ निगम के कर्मियों को निगम के फंड से दिए जाते हैं।


उन्होंने यह भी बताया कि निगम के कर्मियों के कैडर का केंद्रीकरण, 74 वें संशोधन और नगर निगम के स्वायत्तता के भावना के विपरीत है। कोर्ट को आगे यह भी बताया गया की चेप्टर 5 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक निगम में ए और बी केटेगरी में नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है, जबकि सी और डी केटेगरी में नियुक्ति के मामले में निगम को बहुत थोड़ा सा नियंत्रण दिया गया है। 31 मार्च को किये गए संशोधन से सी और डी केटेगरी के मामले में भी निगम के ये सीमित अधिकार को भी मनमाने ढंग से ले लिये गए है। इस मामले पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।