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11-Sep-2025 10:43 AM
By First Bihar
Bihar News: बिहार के सीवान जिले में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या को लेकर नौ साल बाद बड़ी सच्चाई सामने आई है। इस हत्या की सुपारी पैसे में नहीं, बल्कि जमीन के सौदे के रूप में दी गई थी। यह जानकारी विशेष लोक अभियोजक राकेश दुबे ने न्यायालय में पेश साक्ष्यों के आधार पर दी है। उन्होंने बताया कि मुख्य साजिशकर्ता ने जमीन के बदले हत्या कराने की योजना बनाई, जिसमें सीवान के मौलेश्वरी चौक निवासी रोहित कुमार सोनी, शुक्ला टोली के विजय कुमार गुप्ता, सोनू कुमार गुप्ता और अन्य शामिल थे। इन सभी ने पत्रकार की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पहले रेकी की।
हत्याकांड में शामिल सभी आरोपित घटना के दिन आपस में मोबाइल फोन पर लगातार संपर्क में थे। न्यायालय में प्रस्तुत कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) और टावर लोकेशन जैसे डिजिटल साक्ष्य इस बात को साबित करते हैं कि हत्या एक पूर्व नियोजित साजिश थी। विशेष लोक अभियोजक ने यह भी बताया कि एक आरोपी नाबालिग घोषित किया गया है, और उसका मुकदमा किशोर न्यायालय में जारी है।
राजदेव रंजन की हत्या स्टेशन रोड पर उस समय की गई थी जब वह एक रिश्तेदार को अस्पताल से देखकर वापस लौट रहे थे। बाइक सवार अपराधियों ने उन्हें बेहद नजदीक से गोली मारी, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। मुख्य शूटर रोहित कुमार ने पत्रकार पर फायरिंग की, जबकि रीशु कुमार जायसवाल बाइक चला रहा था। अभियोजन पक्ष का सवाल है कि अगर रीशु सिर्फ बाइक चला रहा था, तो वह यह कैसे नहीं जानता था कि रोहित किसे और क्यों गोली मार रहा है?
इसी तरह दूसरी बाइक पर सवार सोनू और राजेश भी हत्या की साजिश में शामिल थे। सोनू द्वारा की गई रेकी इस बात का प्रमाण है कि वह घटना में शामिल था, तो क्या बाइक चला रहा राजेश निर्दोष माना जा सकता है? अभियोजन पक्ष ने स्पष्ट किया कि इन बिंदुओं को CBI की अपील का मुख्य आधार बनाया जाएगा। विशेष लोक अभियोजक के अनुसार, हत्या की पूरी साजिश जेल के अंदर रची गई थी। अदालत में प्रस्तुत साक्ष्य और रीशु कुमार के स्वीकारोक्ति बयान से यह साफ हुआ है कि जेल गेट पर ही शूटर को हत्या में इस्तेमाल पिस्टल, गोलियां और 15,000 नकद दिए गए थे। यह पूरी योजना सोची-समझी और संगठित साजिश थी।
राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन के बयान पर पहले सीवान टाउन थाने में अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए CBI ने जांच की जिम्मेदारी संभाली। नौ साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद अब मामले में दोषियों को सजा मिल चुकी है और CBI की ओर से हाईकोर्ट में अपील की तैयारी भी जारी है, ताकि सभी आरोपियों को अधिकतम सजा दिलाई जा सके।